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    मेगा स्पोर्ट्स कार्यक्रम में कोलकाता अब तक पांच बार हो चुका है कलंकित, 1980 में हुई थी सबसे बड़ी घटना

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 05:35 PM (IST)

    कोलकाता में लियोनेल मेस्सी के कार्यक्रम के दौरान साल्टलेक स्टेडियम में हुई घटना पहली नहीं है। शहर के खेल इतिहास में पहले भी कई बार भीड़ अनियंत्रित हुई ...और पढ़ें

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    अब तक मेगा स्पोर्ट्स कार्यक्रम में कोलकाता पांच बार हो चुका है कलंकित (फोटो सोर्स- पीटीआई)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। विख्यात फुटबॉलर लियोनेल मेस्सी के कार्यक्रम के दौरान सॉल्टलेक के युवाभारती स्टेडियम में बवाल कोलकाता में खेल से जुड़े कार्यक्रम में पहली घटना नहीं है। इस घटना ने एक बार फिर कोलकाता के मेगा स्पोर्ट्स कार्यक्रम के साथ जुड़े बवाल के इतिहास को कलंकित कर दिया है।

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    शनिवार को सॉल्टलेक स्टेडियम में अराजकता तब फैल गई जब अर्जेंटीना के सुपरस्टार लियोनेल मेसी की एक झलक पाने को बेताब फुटबॉल प्रशंसकों ने तोड़फोड़ और हिंसा का सहारा लिया। जो फुटबॉल का उत्सव होना चाहिए था, वह अव्यवस्था और अराजकता में बदल गया।

    कोलकाता के लिए यह कोई अकेली घटना नहीं थी। शहर की खेल संस्कृति शानदार है, लेकिन इतिहास बताता है कि जब भीड़ प्रबंधन विफल होता है और स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं और जुनून से हंगामा खड़ा हो जाता है।

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    यहां ऐसी पांच घटनाएं हैं जिन्होंने 'सिटी ऑफ जाय' को कलंकित किया है-

    1967:- भारत बनाम वेस्ट इंडीज टेस्ट

    कोलकाता ने 1967 में भारत-वेस्ट इंडीज टेस्ट मैच के दौरान अपनी पहली गंभीर भीड़-संबंधी विवाद देखा। भारत श्रृंखला में 0-1 से पीछे था, और प्रशंसकों को सर गैरी सोबर्स की वेस्ट इंडीज टीम के खिलाफ भारतीय टीम से वापसी की उम्मीदें थीं। ब्लैक मार्केट में नकली टिकटों के बेरोकटोक बिक्री से, लगभग 60,000 दर्शकों की क्षमता वाला स्टेडियम में 80,000 से अधिक प्रशंसक पहुंच गए। भीड़ मैदान तक फैल गई, पुलिस से ज्यादा हो गई, और इसके बाद पूरी तरह से अराजकता छा गई।

    1980:- मोहन बागान बनाम ईस्ट बंगाल डर्बी मैच, 16 मौतें

    कोलकाता के खेल इतिहास का सबसे काला अध्याय 1980 में एक कोलकाता डर्बी के दौरान सामने आया। मोहन बागान और ईस्ट बंगाल से जुड़ी 'बंगाल-घोटी' प्रतिद्वंद्विता चरम पर थी। पारंपरिक रूप से अलग बिठाई गई प्रशंसक भीड़ उस दिन अलग नहीं थी। अलगाव की कमी और अपर्याप्त पुलिसिंग के कारण स्टैंड में झड़पें हुईं। प्रशंसक संकीर्ण निकास द्वारों की ओर भागे। भगदड़ और झड़प में 16 लोगों की मौत हो गई।

    1996:- भारत बनाम श्रीलंका क्रिकेट विश्व कप सेमी-फाइनल

    1996 क्रिकेट विश्व कप सेमी-फाइनल के दौरान ईडन गार्डन्स एक बड़ा हंगामा हो गया था। 252 रनों का पीछा करते हुए, भारत 98 पर 2 था और हार की ओर बढ़ रहा था। सचिन तेंदुलकर के आउट होते ही भीड़ के लिए यह एक भड़कने वाला बिंदु बन गया। जब भारत 120 पर 8 हो गया, तो दर्शकों ने अपनी निराशा को गुस्से में बदल दिया। मैदान पर पानी की बोतलें फेंकी गईं, जिससे मैच रेफरी क्लाइव लायड को श्रीलंका को विजेता घोषित करना पड़ा। विनोद कांबली का रोते हुए मैदान से बाहर जाना आज भी एक दर्दनाक छवि है।

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    2007:- आईएपए शील्ड कप फाइनल का रद

    2007 में साल्टलेक स्टेडियम में 107वें आइएफए शील्ड कप फाइनल के दौरान अराजकता का राज रहा। पाल्मेरास 1-0 से ईस्ट बंगाल से आगे था, तभी खिलाड़ियों के बीच हिंसा भड़क उठी। ब्राजीलियाई कोच हम्बर्टो फरेरा ने अपनी टीम को पहले हाफ के सिर्फ 35 मिनट में मैदान से बाहर कर दिया और आगे खेलने से इन्कार कर दिया। कई बातचीत के बावजूद, मैच रद कर दिया गया।

    2012:- मोहन बागान बनाम ईस्ट बंगाल डर्बी फिर हिंसक

    1980 की त्रासदी के तीन दशक बाद, कोलकाता डर्बी 2012 में फिर से अव्यवस्था में बदल गई। हाफटाइम से ठीक पहले ईस्ट बंगाल के लिए गोल होने के बाद तनाव बढ़ गया। रेफरी के साथ हाथापाई के लिए ओडाफा को बाहर भेजे जाने पर, गुस्साई मोहन बागान समर्थकों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।

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    दुर्भाग्य से, एक पत्थर उनके अपने खिलाड़ी नबी के सिर पर लगा। मोहन बागान सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मैदान से बाहर चले गए और वापस आने से मना कर दिया। बाद में मैच रद कर दिया गया और इस झड़प में 40 दर्शक घायल हुए थे।

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