Move to Jagran APP

समुद्र में दुश्‍मन को आईएनएस वेला सबमरीन का पता लगाना होगा मुश्किल, जानें- क्‍या है इसके पीछे की बड़ी वजह

भारतीय नौसेना में शामिल की गई आईएनएस वेला की कई खासियत इसको दूसरों से अलग करती हैं। ये खुद को दुश्‍मन से छिपाने में सक्षम है। साथ ही इसको ऐसे डिजाइन किया गया है कि पानी में इसकी हलचल का भी पता नहीं चलता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 10:52 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 02:59 PM (IST)
समुद्र में दुश्‍मन को आईएनएस वेला सबमरीन का पता लगाना होगा मुश्किल, जानें- क्‍या है इसके पीछे की बड़ी वजह
पानी में चलते हुए कम होती है हलचल

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। आईएनएस वेला से भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्‍त इजाफा होगा। गुरुवार को इस सबमरीन को भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के हाथों सेना को सौंप दिया जाएगा। भारतीय नौसेना को कुछ ही दिनों में मिलने वाली ये दूसरी बड़ी ताकत है। इससे पहले रविवार को मिसाइल डिस्‍ट्रोयर आईएनएस विशाखापट्टनम को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था।  

loksabha election banner

प्रोजेक्‍ट 75

गौरतलब है कि जिस वक्‍त आईके गुजराल प्रधानमंत्री थे उस वक्‍त 25 पनडुब्बियों के अधिग्रहण की बात की गई थी। उस वक्‍त तीन दशकों में भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए प्रोजेक्‍टर 75 शुरू किया गया था। वर्ष 2005 में भारत के मझगांव डाक लिमिटेड और फ्रांस के डीसीएनएस के बीच छह स्‍कार्पियन क्‍लास की सबमरीन के निर्माण को लेकर समझौता किया गया था। इस समझौते के तहत बनने वाली आईएनएस कलवरी को वर्ष 2017 में पहली बार समुद्र में उतारा गया था। आईएनएस वेला इस सूची की चौथी सबमरीन है। इसके अलावा वजीर का भी ट्रायल चल रहा है। इसके बाद छठी सबमरीन वगशीर का निर्माण अभी चल रहा है।  

पहले भी थी वेला सबमरीन

आपको यहां पर ये भी बता दें कि वेला नाम से पहले भी एक सबमरीन भारतीय नौसेना का हिस्‍सा रह चुकी है। ये सबमरीन 1973 में नौसेना में शामिल की गई थी और इसने वर्ष 2010 तक सेवा दी थी। हालांकि ये फोक्‍सट्राट क्‍लास की सबमरीन थी, जो रूस में निर्मित थी। 

समुद्र में खोद देगी दुश्‍मन की कब्र

भारतीय नौसेना को अब जो सबमरीन आईएनएस वेला सौंपी गई है उसमें आठ अधिकारी और 35 अन्‍य कर्मी एक समय में सेवा दे सकते हैं। इसमें सी303 एंटी टारपीडो काउंटर मेजर सिस्‍टम लगा है। इसके अलावा इसमें 18 टारपीडो हैं। साथ ही करीब 30 एंटी शिप मिसाइल और इतनी ही माइंस भी हैं। इसके साथ ये दुश्‍मन की कब्र समुद्र की गहराई में खोद सकती है। 

ये है इसकी रफ्तार

वेला का समुद्री ट्रायल कोरोना महामारी की वजह से टाल दिया गया था। इसकी ही वजह से इसको कमीशन करने में भी देरी हुई है। 67.5 मीटर लंबी और करीब 12.5 मीटर ऊंची ये सबमरीन 20 नाट की स्‍पीड से समुद्र का सीना चीर कर आगे बढ़ सकती हे। वहीं समुद्र की सतह पर इसकी उच्‍चतम स्‍पीड 11 नाट की है। इसको ताकत देने के लिए इसमें चार MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन लगे हैं।

Koo App

INS Vela commissioned into the Indian Navy 🇮🇳 Watch as the naval ensign is hoisted for the first time onboard.

View attached media content - Prasar Bharati News Services (@pbns_india) 25 Nov 2021

खामोशी के साथ सबमरीन को ताकत देते हैं इंजन

इनकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये दूसरे डीजल इंजन की तुलना में बेहद कम शोर होता है। इसके अलावा इसका डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया है कि समुद्र की गहराई में चलते हुए इसकी वजह से पानी में होने वाला कंपन कम से कम हो। ये सबमरीन दुश्‍मन की निगाह से छिपी रह सकती है। एंटी सर्फेस वारफेयर, एंटी सबमरीन वारफेयर, सूचनाएं एकत्रित करने, समुद्र में माइंस बिछाने और इलाके की छानबीन में इसका कोई जवाब नहीं है। 

ये भी पढ़ें:- 

अभी तो और बढ़ेगी दुश्‍मन की धड़कन, जल्‍द ही नौसेना को मिलेगा एयरक्राफ्ट करियर और दो सबमरीन
एडमिरल करमबीर की मौजूदगी में भारतीय नौसेना को मिली आईएनएस वेला सबमरीन की ताकत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.