Hindi Divas: अ,आ,इ,ई... से हिंदी वर्णमाला की होती है शुरुआत जिसमें हैं कुल 52 अक्षर
हिंदी हमारी राजभाषा है जिसके पीछे 52 अक्षरों की पूरी वर्णमाला है जिसका अहम योगदान है। बताया जाता है कि इस वर्णमाला को चौथी सदी में पहली बार लिखा गया था। वर्णमाला के प्रचलित शब्द तो लोगों को याद रहते हैं लेकिन पूरी वर्णमाला याद हो...इस बारे में दुविधा है।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारत में जन्म हुआ और हिंदी भाषा को जानते न हो... ऐसा असंभव है। हां इसकी पूरी संभावना है कि इस भाषा के पीछे जिस वर्णमाला की अहम भूमिका है उससे अवगत न हों या 52 अक्षरों वाली हिंदी वर्णमाला भूल गए हों। भारत में हिंदी और अंग्रेजी आधिकारिक भाषा है।दरअसल यह हमारी गलती नहीं है यह समय और ट्रेंड का कसूर है जिसने अंग्रेजी को इस कद्र हमारी जरूरत बना दी है कि हमने हिंदी को कहीं पीछे ही छोड़ दिया है।
हर साल देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाई जाती है। इस क्रम में आज भी इस दिन को हिंदी के लिए समर्पित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और इस भाषा के प्रति जागरुक किया है।
हिंदी वर्णमाला के 52 अक्षरों से बनी है हमारी राजभाषा
पहली बार हिंदी को चौथी शताब्दी (AD)में लिखी गई। यह देवनागरी भाषा है जो ब्राम्ही लिपि का एक प्रकार हैं। यह लिपि 700 ईसा पूर्व आई थी।
स्वर – अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ ऑ
अनुस्वार – अं
विसर्ग – अ:
व्यंजन – क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह (क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ श़ )
संयुक्त व्यंजन– क्ष त्र ज्ञ श्र
हिंदी भाषा में प्रकाशित पहली किताब
हिंदी की शुरुआत ब्राह्मी लिपि से हुई थी जो बाद में देवनागरी लिपि के में लिखी जाने लगी। हिंदी में प्रकाशित होने वाली पहली किताब थी जान गिलक्रिस्ट की पुस्तक। 1796 में प्रकाशित पुस्तक का शीर्षक था 'हिंदुस्तानी भाषा का व्याकरण (Grammar of the Hindoostanee Language)।'
भारत के अलावा इन देशों में भी है हिंदीभाषी
भारत में मुख्य तौर पर बोली जाने वाली भाषा हिंदी से नेपाल, पाकिस्तान, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका के लोग भी अवगत हैं। इन देशों में भी हिंदी भाषी समुदाय है। दुनिया भर में करीब 600 मिलियन लोग हिंदी बोलते हैं।
जहां तक भारत की बात है तो देश के सेंट्रल व नादर्न राज्यों - राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और बिहार में मुख्य तौर पर हिंदी बोली जाती है।
इस राज्य के 90 प्रतिशत से ज्यादा स्टूडेंट को हिंदी बोलना, लिखना और समझना नहीं आता
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