JP Death Anniversary: कैसे सिताब दियारा के जय प्रकाश नारायण को मिली लोकनायक की उपाधि
मां भारती के वीर सपूत लोकनायक जय प्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। जय प्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। मां भारती के वीर सपूत लोकनायक जय प्रकाश नारायण की आज यानी कि 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। जय प्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। जय प्रकाश का जीवन काफी संघर्षशील रहा। वह कभी किसी के सामने नहीं झुके। उन्होंने अपने पढ़ाई के दौरान होटल में काम किया, लेकिन स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। उनके संपूर्ण क्रांति के नारे पर पूरा देश उमड़ पड़ा था और उन्हें समाजसेवा के लिए लोकनायक की उपाधि दी गई।
जय प्रकाश नारायण का परिचय
लोकनायक जय प्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सारण जिला के सिताब दियारा में हुआ था। वह मात्र 9 वर्ष की कच्ची उम्र में ही गांव छोड़कर पढ़ाई के लिए पटना चले गए। इसके बाद 1920 में केवल 18 वर्ष की उम्र में उनकी शादी 14 वर्ष की प्रभावती से हो गई। जयप्रकाश नारायण का झुकाव शुरुआत से ही स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ था। उन्होंने 1919 में ब्रिटिश सरकार के रालेट एक्ट के खिलाफ असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर कालेज छोड़ दिया। जय प्रकाश नारायण महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलन में शामिल रहे। इसके बाद अपनी पत्नी को 20 साल की उम्र में साबरमती आश्रम में छोड़कर अमेरिका पढ़ने चले गए। वहां उन्होंने पढ़ाई के दौरान अपने खर्चे निकालने के लिए कई छोटे मोटे काम किए। उन्होंने खेतों में काम किया, होटलों में बर्तन धोए और कई अन्य काम किए।
जय प्रकाश नारायण का राजनीतिक जीवन
जय प्रकाश नारायण अमेरिका से वापस आने के बाद 1929 में कांग्रेस में शामिल हुए। हालांकि उनकी विचारधारा समाजवादी थी और जल्द ही कांग्रेस से अलग होकर उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के नाम से अलग संगठन बनाया। आजादी के बाद उन्होंने 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। लेकिन आजादी के बाद राजनीति ने जय प्रकाश नारायण को हताश कर दिया। इसके बाद जय प्रकाश नारायण 1974 में इंदिरा गांधी के राजनीति के खिलाफ देशभर में तेजी से उभरे। जय प्रकाश ने इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस दौरान, उन्होंने बिहार में छात्र आंदोलन की अगुआई की, जिसे जेपी आंदोलन कहा गया। जेपी आंदोलन से बिहार में कई समाजवादी नेताओं का जन्म हुआ, जो आज भी सक्रिय राजनीति में अहम किरदार में हैं।
जब जेपी ने किया संपूर्ण क्रांति का आह्वान
जय प्रकाश नारायण ने सत्ता में कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक बनने का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। जय प्रकाश नारायण ने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में 5 जून 1974 को संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया। उन्होंने कहा था, 'सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है।' उस दौरान, गांधी मैदान में 'जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो, समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो' नारा गूंजा था। इसी नारे से जय प्रकाश नारायण को विश्व में पहचान मिला। इसके बाद 1979 में आज ही के दिन (8 अक्टूबर) उनका निधन हो गया। बाद में 1999 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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