केएन रेणुका ने रचा इतिहास, कर्नाटक के विश्वविद्यालय में लेक्चरर बनने वाली बनी पहली ट्रांसजेंडर
कर्नाटक की केएन रेणुका पुजार ने इतिहास रच दिया है। कर्नाटक के किसी विश्वविद्यालय में गेस्ट लेक्चरर बनने वाली वह पहली ट्रांसजेंडर बन गई हैं। हाल ही में उन्हें कृष्णदेवराय विश्वविद्यालय के नंदीहल्ली परिसर (पीजी सेंटर) में उन्हें कन्नड़ विभाग में गेस्ट लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता को दिया है।

पीटीआई, बल्लारी। केएन रेणुका पुजार कर्नाटक के किसी विश्वविद्यालय में गेस्ट लेक्चरर के रूप में नियुक्त होने वाली पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति बन गई हैं। इस महीने की शुरुआत में विजयनगर श्री कृष्णदेवराय विश्वविद्यालय के नंदीहल्ली परिसर (पीजी सेंटर) में उन्हें कन्नड़ विभाग में गेस्ट लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया गया। रेणुका ने कन्नड़ में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है।
उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, 'मैं बहुत खुश हूं। बहुत संघर्ष के बाद मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं। विश्वविद्यालय ने मेरी बहुत मदद की है। मैंने 2018 में अपनी डिग्री पूरी की और 2017 में ट्रांसजेंडर बन गई, जब मैं अपने दूसरे वर्ष में थी। मैंने 2022 में अपना एमए पूरा किया और अब मैं अतिथि व्याख्याता के रूप में काम कर रही हूं।'
माता-पिता को दिया श्रेय
केएन रेणुका बल्लारी जिले के कुरुगोडु की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है और कहा है कि इस मुकाम तक पहुंचने में उन्होंने उनकी बहुत मदद की। उन्होंने कहा, 'मेरा परिवार कृषि पृष्ठभूमि से आता है और मेरे माता-पिता ने मुझे जीवन में सफल होने के लिए शिक्षित किया।'
उन्होंने समर्थन के लिए विश्वविद्यालय के फैकल्टी के भी प्रशंसा की। उन्होंने एजेंसी से कहा, 'विश्वविद्यालय के फैकल्टी ने मुझे तब भी समर्थन दिया, जब मैं भर्ती हुई और एमए की पढ़ाई कर रही थी।'
प्रोफेसर बनना चाहती हैं रेणुका
अपनी महत्वाकांक्षा के बारे में बताते हुए वह कहती हैं, 'मुझे पढ़ाना पसंद है और मैं पीएचडी करना चाहती हूं और प्रोफेसर बनना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि ट्रांसजेंडर शिक्षा प्राप्त करें।' विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार, पद के लिए 30 आवेदकों में से, पुजार को उनकी प्रभावशाली योग्यता, अच्छे अंकों और उनके व्याख्यान के दौरान मजबूत प्रदर्शन के कारण चुना गया था। उनकी नियुक्ति को एक मील का पत्थर माना जा रहा है, क्योंकि यह कर्नाटक राज्य के लिए पहली बार होने वाली नियुक्ति है।
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