PM Shri पर पहले दो साल तक केरल करता रहा न, फिर अब क्यों कहा हां? रिवर्स गियर मारने का क्या है पूरा खेला
केरल ने केंद्र के साथ पीएम श्री योजना पर समझौता किया, जबकि पहले इसका विरोध किया था। केंद्र ने समग्र शिक्षा फंड रोक दिया था, जिससे राज्य के 40 लाख छात्रों पर असर पड़ा। राज्य को 1,476.13 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन केरल ने स्पष्ट किया है कि यह एनईपी को पूरी तरह से स्वीकार नहीं करता और अपने पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं करेगा।

पीएम श्री योजना पर केरल ने क्यों बदला फैसला? (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल ने केंद्र से तालमेल बिठाते हुए पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (PM Shri) के एमओयू पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसकी चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि इस नीति का केरल ने विचारधारा की वजह से लगातार विरोध किया था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, "देर आए दुरुस्त आए। मैं मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी को पीएम श्री योजना का समर्थन करने और एनईपी को लागू करने में मिलकर काम करने की भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद देता हूं।"
पहले योजना में शामिल होने से किया था मना
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) गठबंधन सरकार ने इससे पहले तक इस योजना में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसमें तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी शामिल हैं। इनका तर्क है कि एनईपी स्कूल पाठ्यक्रम में केंद्रीयकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिक नैरेटिव को बढ़ावा देती है।
केरल ने क्यों मारा रिवर्स गियर?
केरल के रुख में यह बदलाव तब आया जब केंद्र ने 2025-26 के लिए समग्र शिक्षा फंड में 456.01 करोड़ रुपये रोक लिए क्योंकि राज्य PM SHRI में शामिल नहीं हुआ था। पिछले सालों के 513.54 करोड़ रुपये (2024-25) और 188.58 करोड़ रुपये (2023-24) के बकाया भी पेंडिंग थे, जिससे कुल रोकी गई रकम 1,158.13 करोड़ रुपये हो गई।
केरल सरकार की अगर मानें तो इससे सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले पिछड़े तबके के 40 लाख छात्रों पर सीधा असर पड़ा। मुफ्त स्कूल ड्रेस, किताबें, पूर्व-प्राथमिक शिक्षा, 1.8 लाख दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सहायता और लड़कियों के लिए भत्ते जैसी सुविधाएं रुक गईं।
राज्य के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने कहा कि राज्य पैसे की तंगी के समय फंड छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा, "हम अपने बच्चों के लिए रखे एक भी रुपये को बर्बाद नहीं होने देंगे।"
एमओयू पर हस्ताक्षर करने से मिलेंगे ये फायदे
एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद अब राज्य को रोके गए एरियर और दो साल की PM SHRI फंडिंग मिलेगी, जो कुल 1,476.13 करोड़ रुपये होगी। इसमें समग्र शिक्षा केरल के तहत पक्का किया गया 971 करोड़ रुपये भी शामिल है।
मंत्री शिवनकुट्टी ने इस हस्ताक्षर को नीति में बदलाव के बजाय एक टैक्टिकल फैसला बताया है। उन्होंने साफ किया कि केरल का करिकुलम, जो केरल करिकुलम फ्रेमवर्क (KCF) 2023 के तहत बनाया गया है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
एनईपी पर केरल का स्टैंड क्या है?
राज्य का कहना है कि PM SHRI एमओयू पर साइन करने का मतलब यह नहीं है कि एनईपी को पूरी तरह से मान लिया गया है। शिवनकुट्टी ने कहा कि केरल शिक्षा के जरिए आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने की किसी भी कोशिश का विरोध करता रहेगा, जबकि सिर्फ उन्हीं पहलुओं को लागू करेगा जो उसके एकेडमिक विजन से मेल खाते हैं।

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