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इस्लामी संस्थान में संस्कृत की हो रही पढ़ाई, भगवद गीता के 'श्लोक' बोल रहे बच्चे, जानें कहां का है मामला

देश के एक इस्लामी संस्थान में लंबे सफेद वस्त्र और सिर पर सफेद टॉपी पहने हुए छात्र अपने गुरुओं के कहे अनुसार संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं। यह मामला केरल के एक संस्थान का है जहां जैसा गुरू कह रहे वैसे ही छात्र उसे दोहरा रहे। फोटो- (एमआईसी वेबसाइट)

By AgencyEdited By: Mahen KhannaSun, 13 Nov 2022 01:18 PM (IST)
इस्लामी संस्थान में संस्कृत की हो रही पढ़ाई, भगवद गीता के 'श्लोक' बोल रहे बच्चे, जानें कहां का है मामला
इस्लामी संस्थान में संस्कृत की हो रही पढ़ाई। फोटो- (एमआईसी वेबसाइट)

त्रिशूर, एजेंसी। किसी इस्लामी संस्थान में संस्कृत पढ़ाने की बात तो शायद ही किसी ने सुनी होगी, लेकिन ऐसा ही एक मामला देश के एक इस्लामी संस्थान में देखने को मिला। यहां लंबे सफेद वस्त्र और सिर पर सफेद टॉपी पहने हुए छात्र अपने गुरुओं के कहे अनुसार संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं। जैसा गुरू कह रहे वैसे ही छात्र उसे दोहरा रहे। एक मिसाल कायम करने वाला यह मामला मध्य केरल के त्रिशूर जिले का है, जहां बच्चे रोज संस्कृत पढ़ते हैं।

श्लोक के साथ बातचीत भी संस्कृत में करते हैं छात्र 

केरल के इस संस्थान की कक्षा में छात्र और प्रोफेसर के बीच सभी बातचीत संस्कृत में होती है। 'गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुदेव नमः', ऐसा ही श्लोक रोज छात्र अपने प्रोफेसर द्वारा कहे जाने पर संस्कृत में बोलते हैं। 

यह है इसके पीछे का उद्देश्य

मलिक दीनार इस्लामिक कॉम्प्लेक्स (एमआईसी) द्वारा संचालित इस शरिया और उन्नत अध्ययन अकादमी (एएसएएस) के प्राचार्य ओणमपिल्ली मुहम्मद फैजी ने बच्चों को संस्कृत पढ़ाने का उद्देश्य बताया। समाचार एजेंसी पीटीआई को उन्होंने बताया कि संस्कृत, उपनिषद, पुराण आदि पढ़ाने के पीछे का उद्देश्य छात्रों में अन्य धर्मों के बारे में ज्ञान और जागरूकता पैदा करना है। इसका मुख्य कारण, एमआईसी में छात्रों को संस्कृत पढ़ाने के लिए फैजी की अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि थी क्योंकि उन्होंने शंकर दर्शन का अध्ययन किया था।

भगवद गीता, रामायण की भी पढ़ाई

प्राचार्य ने कहा कि भगवद गीता, उपनिषद, महाभारत, रामायण के महत्वपूर्ण अंश छात्रों को 10वीं कक्षा पास करने के बाद आठ साल की उम्र में संस्कृत में चुनिंदा रूप में पढ़ाए जाते हैं। इन ग्रंथों का चयनात्मक शिक्षण इसलिए है क्योंकि संस्था मुख्य रूप से एक शरिया कॉलेज है जहां अन्य भाषाएं, जैसे उर्दू और अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती हैं, इसके अलावा कला में एक डिग्री पाठ्यक्रम भी पढ़ाया जाता है क्योंकि यह कालीकट विश्वविद्यालय से संबद्ध है।