मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण के भूखंड आवंटन में हुआ बड़े पैमाने पर घोटाला, ED ने किया दावा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कर्नाटक में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान बड़े पैमाने पर घोटाले का दावा किया है। जांच में अयोग्य व्यक्तियों को अवैध आवंटन और सरकारी आदेशों का उल्लंघन पाया गया। एमयूडीए के पूर्व आयुक्त जीटी दिनेश कुमार की भूमिका संदिग्ध है जिन्हें गिरफ्तार किया गया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईडी ने दावा किया है कि मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में कर्नाटक में विभिन्न कानूनों और सरकारी आदेशों का उल्लंघन कर मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंडों के आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला पाया गया है। अयोग्य संस्थाओं और व्यक्तियों को अवैध आवंटन में एमयूडीए के पूर्व आयुक्त जीटी दिनेश कुमार की भूमिका अहम थी।
एमयूडीए मामला कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया की पत्नी पार्वती को भूमि आवंटन में अनियमितताओं से जुड़ा है। कुमार को ईडी ने 16 सितंबर को बेंगलुरु में गिरफ्तार किया था। सांसदों व विधायकों से संबद्ध एक विशेष अदालत ने बुधवार को उन्हें 26 सितंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था।
ईडी का क्या है दावा?
ईडी ने दावा किया कि इस मामले में जांच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्य और दस्तावेजों से पता चला है कि जीटी दिनेश कुमार एमयूडीए के आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग में सक्रिय रूप से शामिल थे। पिछले साल सितंबर में राज्य सरकार ने एमयूडीए के कामकाज में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की रिपोर्ट मिलने के बाद आंतरिक जांच कराई थी। इसके बाद कुमार को निलंबित कर दिया गया था। यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस की एक प्राथमिकी पर आधारित है।
ईडी का दावा- किया गया घोटाला
ईडी ने कहा कि जांच में पाया गया कि विभिन्न कानूनों, सरकारी आदेशों और दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर और अन्य धोखाधड़ीपूर्ण तरीकों से एमयूडीए भूखंडों के आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया।
ईडी ने कहा कि उसने अवैध रूप से आवंटित अब तक 252 भूखंडों को कुर्क किया है। इनका बाजार मूल्य लगभग 400 करोड़ रुपये है। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पार्वती के खिलाफ ईडी की कार्यवाही रद करने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था।
इस मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति पीएन देसाई आयोग ने भी सिद्दरमैया और उनके परिवार को दोषमुक्त करार दिया है। लोकायुक्त पुलिस ने भी सिद्दरमैया, पार्वती और दो अन्य को क्लीन चिट देते हुए कहा है कि आरोप सुबूतों के अभाव में साबित नहीं हो सके।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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