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Karnataka: जमीन अधिग्रहण मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सुनाया बड़ा फैसला

Karnataka High Court ने गजेंद्रगड-सोराब राजमार्ग के जमीन अधिग्रहण को लेकर बड़ा आदेश सुनाया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जमीन मालिकों द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है और फैसला सुनाया है कि गजेंद्रगड-सोराब राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं होगा।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashPublished: Sun, 30 Oct 2022 03:41 PM (IST)Updated: Sun, 30 Oct 2022 03:41 PM (IST)
जमीन अधिग्रहण मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सुनाया बड़ा फैसला

बैंगलोर, पीटीआइ। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हावेरी जिले के ब्याडगि तालुक में एक राज्य राजमार्ग को चौड़ा करने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया रद कर दी है। इसको लेकर कई जमीन मालिकों ने पांच याचिकाएं दायर की थी। बता दें कि उच्च न्यायालय ने जमीनी मालिकों की भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया को अवैध करार दिया है।

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उच्च न्यायालय ने सुनाया फैसला

उच्च न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुन:स्थापन (कर्नाटक) अधिनियम की धारा-34 में किए गए संशोधन के तहत ये फैसला सुनाया है। बता दें कि धारा 34 मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार से जुड़ी हुई है। इससे पहले राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी किया था जिसके तहत राज्य राजमार्ग-136 के लिए प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण को लेकर सामाजिक असर मूल्यांकन (एसआइए) में छूट दी थी।

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याचिकाकर्ताओं का दावा

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वे हावेरी जिले के ब्याडगि तालुक में रहते हैं और शहर के बाजार वाले इलाके में कारोबार करते हैं। कर्नाटक सरकार ने याचिकाकर्ताओं की जमीन समेत अन्य भूमि के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी, जिसके बाद जमीन मालिकों ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

उच्च न्यायालय ने 12 मार्च 2020 को अपना अंतिम आदेश सुनाया जिसमें प्राधिकारियों को याचिकाकर्ताओं और अन्य जमीन मालिकों की भूमि के अधिग्रहण के लिए कानून के अनुसार प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस आर कृष्ण कुमार ने हाल ही में दिए अपने फैसले में कहा कि कर्नाटक के 2015 के उक्त अधिनियम की धारा-34 में किया गया संशोधन अधिग्रहण प्रक्रिया के संबंध में लागू नहीं होता है।

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113 संपत्ति मालिकों ने दायर की थी याचिका

उच्च न्यायालय ने कहा कि 16 मई, 2020 की आक्षेपित अधिसूचना को रद किया जाता है और कानून की नजर में इसे अवैध, अमान्य, निष्क्रिय, गैरकानूनी और गैर-स्थायी माना जाता है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की भूमि के संबंध में विषय अधिग्रहण की कार्यवाही स्पष्ट रूप से अवैध और कानून में अप्रवर्तनीय हैं,"। बता दें कि कुल 113 संपत्ति मालिकों ने पांच अलग-अलग याचिकाओं में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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