जब पाकिस्तान पर मौत बनकर बरसी थी भारतीय वायुसेना, आज भी 'ऑपरेशन सफेद सागर' के नाम से खौफ खाता है पड़ोसी मुल्क
Operation Safed Sagar 1999 में कारगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे की खबर से सनसनी फैल गई। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लाहौर बस सेवा शुरू की थी लेकिन पाकिस्तान ने विश्वासघात किया। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया जिसमें कैप्टन सौरभ कालिया शहीद हो गए। वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत दुश्मन पर हमला किया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मई का महीना था और साल 1999...मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही थी। पहाड़ों की बर्फ भी पिघलने लगी थी। समुद्र तल से तकरीबन 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कारगिल से एक चरवाहा दौड़ा-दौड़ा सेना के पास पहुंचा और उसने जो बताया वो सुनकर सभी के होश उड़ गए। चरवाहे ने दावा किया कि कारगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा कर लिया है और उनके पास ढेर सारे हथियार भी मौजूद हैं।
उस वक्त दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की तर्ज पर दिल्ली से लाहौर बस सेवा भी शुरू हो गई थी। भारत और पाकिस्तान के बीच करार हुआ था कि कड़ाके की सर्दी में दोनों देशों की सेनाएं चोटियों से नीचे उतर जाएंगी, जिससे जवानों को परेशानी नहीं होगी।
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पाकिस्तान की नापाक हरकत
मगर, हर बार की तरह पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत की पीठ में छूरा घोंपा। 1998 के आखिर में जब सर्द हवाओं ने दस्तक दी, तो भारतीय सेना कारगिल की चोटियों से नीचे उतर गई। पाकिस्तानी सेना ने मौके का फायदा उठाया और आगे बढ़कर भारतीय बंकरों पर कब्जा कर लिया। मई में जब यह बात भारत सरकार के कानों तक पहुंची तो पाकिस्तान के तत्कालीन गवर्नर जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक सफेद झूठ बोलते हुए कहा कि बंकरो पर कब्जा करने वाले लोग घुसपैठिए हैं।
कारगिल युद्ध स्मारक। फाइल फोटो
कैप्टन सौरभ कालिया बलिदान
कारगिल पर कब्जा जमाकर बैठी पाक सेना को जल्द से जल्द खदेड़ना बेहद जरूरी था। लिहाजा 8 मई 1999 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' लॉन्च कर दिया। कैप्टन सौरभ कालिया की अगुवाई में सेना की एक छोटी टुकड़ी कारगिल की चोटी पर भेजी गई। मगर पाक सैनिक पूरी तैयारी के साथ बैठे थे। उन्होंने कैप्टन सौरभ कालिया को पकड़ लिया और उन्हें बेहद बेरहमी से मारा गया। उनके नाखून उखाड़े गए, आंखें निकाली गईं और यहां तक की उनके कानों में रॉड घुसा दी गई। कैप्टन सौरभ कालिया की इस दर्दनाक मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
ऑपरेशन सफेद सागर' का आगाज
चोटी पर दुश्मन डेरा डाले बैठा था। ऐसे में सेना के लिए ऊपर चढ़ना चुनौती बन गया था। दुश्मन पर डबल अटैक करने के लिए सेना ने भारतीय वायुसेना से मदद मांगी और 12 मई से वायुसेना कारगिल में एक्टिव हो गई। 26 मई 1999 को वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर 'ऑपरेशन सफेद सागर' लॉन्च किया।
दूसरे ही दिन मिग-27 हुआ क्रैश
भारतीय वायुसेना ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर युद्ध में हिस्सा लिया था। पहाड़ पर चढ़ाई कर रहे सैनिकों को बचाने का दारोमदार वायुसेना के कंधों पर था। हालांकि ऑपरेशन के शुरुआती चरण में वायुसेना को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 27 मई को वायुसेना का मिग-27 इंजन फेल होने के कारण क्रैश हो गया और पायलट निचिकेत ने खुद को इजेक्ट करके पैराशूट खोला, लेकिन बदकिस्मती से वो पाकिस्तान में जा गिरे।
स्क्वाड्रन लीडर अजय आहुजा बलिदान
कैप्टन निचिकेत को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था। इस बात से अंजान जब स्क्वाड्रन लीडर अजय आहुजा कैप्टन निचिकेत को ढूंढने गए तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें भी पकड़ लिया और पॉइंट ब्लैंक पर उन्हें गोली मार दी गई। कैप्टन अजय आहुजा बलिदान हो गए।
3 फेज में चलाया ऑपरेशन सफेद सागर
- पहला फेज - दुश्मन की लोकेशन पता करना और आसपास के इलाकों की निगरानी करना।
- दूसरा फेज - दुश्मन को हर एक कोने में चुन-चुन कर मारना।
- तीसरा फेज - रात के अंधेरे में भी दुश्मन पर हमला करना।
टाइगर हिल और तोंगलोंग पर कब्जा
इस पूरे ऑपरेशन का सबसे अहम हिस्सा तीसरा फेज रहा, जहां पाकिस्तानी सेना भारतीय वायुसेना के सामने घुटनों पर आ गई। इस ऑपरेशन में इजरायल ने भी भारत की मदद की और इजरायल की ही नाइट विजन तकनीकी की मदद से वायुसेना के विमानों ने रात में दुश्मन के बंकरों को तबाह कर दिया। जून में वायुसेना ने टाइगर हिल और तोंगलोंग पर हमला किया, जिसके बाद 4 जुलाई को भारतीय सेना इन जगहों पर तिरंगा फहराने में कामयाब रही।
वायुसेना के शौर्य पर हुआ गर्व
ऑपरेशन सफेद सागर में भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000, मिग-21, मिग-23, मिग-27, मिग-29 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया। साथ ही mi-17 और चीता हेलीकॉप्टर ने भी दुश्मन के दांत खट्टे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सेना को मदद पहुंचाने से लेकर घायल सैनिकों को शिविर तक ले जाने और दुश्मन पर बम बरसाने में वायुसेना ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।
कारगिल युद्ध में इस्तेमाल हुए लड़ाकू विमान। फाइल फोटो
वायुसेना को दो वीर चक्र से नवाजा गया
26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना पाक सैनिकों को खदेड़ने में कामयाब रही। इसी के साथ ऑपरेशन सफेद सागर पर भी विराम लगाने की घोषणा कर दी गई। कारगिल युद्ध में शानदार प्रदर्शन के लिए वायुसेना को 2 वीर चक्र और 23 वायुसेना मेडल से नवाजा गया था।
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