'मियां साब ने जूते खाने अकेले भेज दिया', पाक के पूर्व DGMO ने क्यों कही थी ये बात; कारगिल की अनसुनी कहानी
कारगिल विजय दिवस पर तत्कालीन पाकिस्तानी DGMO की एक कहानी सामने आई। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना पर दबाव बढ़ रहा था। अटल बिहारी वाजपेयी ने नवाज शरीफ से बात की और अपने DGMO को भारतीय DGMO से मिलने के लिए कहा। ब्रिगेडियर मोहन भंडारी ने बताया कि पाकिस्तानी DGMO अकेले आए थे और उन्होंने कहा कि मियां साब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश आज 26वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है। पीएम मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु समेत दिग्गजों ने जांबाज वीर जवानों की शहादत को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
कारगिल विजय दिवस के मौके पर इससे जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं। आइए आपको कारगिल युद्ध से जुड़ी एक और कहानी बताते हैं, जब तत्कालीन पाकिस्तानी DGMO ने कहा था कि क्या करूं? मियां साब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया।
जानिए पूरी कहानी
दरअसल, जुलाई 1999 की शुरुआत में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना दबाव में आकर पीछे हटने लगी। इसी समय और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों के बीच फोन पर बात हुई थी।
बताया जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 4 जुलाई को अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को फ़ोन करके अपने महानिदेशक सैन्य अभियान (DGMO) को भारतीय DGMO के साथ बातचीत के लिए नियंत्रण रेखा (LoC) से पूरी तरह पीछे हटने के लिए भेजने को कहा।
दोनों देशों के DGMO के बीच हुई थी मुलाकात
दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद भारत के तत्कालीन पीएम के निर्देश पर तत्कालीन DGMO लेफ्टिनेंट जनरल निर्मल चंद्र विज (सेवानिवृत्त) और तत्कालीन उप DGMO ब्रिगेडियर मोहन भंडारी (सेवानिवृत्त) ने 11 जुलाई को अटारी में पाकिस्तानी DGMO लेफ्टिनेंट जनरल तौकीर ज़िया (सेवानिवृत्त) से मुलाकात की। इसी मुलाकात को तत्कालीन उप DGMO ब्रिगेडियर मोहन भंडारी ने याद किया है और उस घटनाक्रम को बताया है।
जब अकेले बातचीत के लिए पहुंचे पाकिस्तान के DGMO
टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कारगिल युद्ध के दौरान दोनों देशों के डीजीएमओ की पहली और एकमात्र बैठक के घटनाक्रम को याद करते हुए भंडारी ने बताया कि उन्हें आश्चर्य हुआ कि पाकिस्तान के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल जिया अकेले पहुंचे जो डीजीएमओ बैठकों के लिए बहुत ही असामान्य बात है।
भंडारी ने बताया कि हम निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, हम 11 जुलाई को सुबह करीब 6.30 बजे दिल्ली से अमृतसर के लिए रवाना हो गए। वहां से हम हेलीकॉप्टर से बैठक स्थल पर पहुंचे। यहां पर जाने के बाद पता चला कि बातचीत करने के लिए पाकिस्तानी DGMO अकेले थे और धुम्रपान कर रहे थे।
तत्कालीन पाकिस्तानी DGMO ने बताई अकेले आने की वजह
लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी बताते हैं कि वह पहले भी पाकिस्तानी DGMO से एक दो बार सियाचिन पर बातचीत करने के लिए मिल चुके हैं। ऐसे में उन्होंने पाकिस्तानी DGMO से पूछा कि ये क्या है तौकीर... अकेले?' उन्होंने जवाब दिया, 'क्या करूं? मियां साब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया'।" बता दें कि यहां पर मियां साब का मतलब पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम से जुड़ा था।
जानबुझकर 10 मिनट कराया इंतजार
लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी बताते हैं कि प्रोटोकॉल के हिसाब से भारतीय डीजीएमओ को बिना किसी प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्तानी समकक्ष से मिलने की इजाज़त नहीं थी। इस स्थिति में हमने उनसे कहा कि वे पाक रेंजर्स के जवानों को बुला ले।
ऐसा कहने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन डीजीएमओ के साथ पाकिस्तानी रेंजर्स के तीन अधिकारी उनके साथ आए। बावजूद इसके हमने उन्हें 10 मिनट इंतजार कराया। क्योंकि हम सब दोनों पक्षों के बीच चल रही शांति वार्ता के बीच कारगिल में उनके द्वारा किए गए कृत्य से नाराज़ थे।
तीन घंटे चली थी बैठक
लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी ने बताया कि दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बैठक करीब तीन घंटे तक चली। बैठक के दौरान हमारे डीजीएमओ ने उन्हें नियंत्रण रेखा से पूरी तरह पीछे हटते समय क्या करना है और क्या नहीं करना है, इस बारे में निर्देश दिए।
बताया जाता है कि इस बैठक के बाद पाकिस्तानी अधिकारी चुपाचाप चले गए। उनके सामने भारत की ओर से शर्त रखी गई थी कि वे भारतीय सीमा से पीछे हटेंगे और इसके अलावा वे हटते समय बारूदी सुरंगें नहीं बिछाएंगे। हालांकि, उन्होंने बिल्कुल उल्टा किया।
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