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    Kargil Vijay Diwas: जब अटल जी की एक कॉल से नवाज शरीफ के छूट गए थे पसीने, पूर्व पाक PM ने बताया था वो किस्सा

    By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Wed, 26 Jul 2023 08:54 AM (IST)

    Kargil Vijay Diwas 2023 पाकिस्तान के निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी ऑफिशियल बायोग्रफी गद्दार कौन? नवाज शरीफ की कहानीउनकी जुबानी किताब में कारगिल युद्ध का एक किस्सा साझा किया है। इसमें उन्होंने दावा किया है कि जनरल परवेज मुशर्रफ ने उनकी मंजूरी के बिना भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध छेड़ा था और उन्हें इस दुस्साहस के बारे में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के माध्यम से पता चला था।

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    जब अटल जी की एक कॉल से नवाज शरीफ के छूट गए थे पसीने

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। kargil war 1999: 26 जुलाई, 1999 का यह दिन हर भारतीय की जहन में होगा। इस दिन भारतीय सेना ने अदम्य साहस और अपने शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान को कारगिल की लड़ाई में हराया था। आइये आज हम आपको बताते है 24 साल पहले हुए कारगिल युद्ध से जुड़ा वो किस्सा जिसमें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अचानक आए फोन से पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवजा शरीफ के पसीने छूट गए थे। 

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    बात फरवरी 1999 की है, जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान दौरे पर थे। उनके साथ 20-25 लोग साथ गए थें जिनमें अभिनेता देवानंद, कपिल देव और जावेद अख्तर भी शामिल थे।

    वाजपेयी बस में बैठकर, वाघा बॉर्डर पार करके लाहौर पहुंचे और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोस्ताना अंदाज से गले लगाया। लेकिन इसके पीठ पीछे पाकिस्तान वो कायराना हरकत कर रहा था जिसका पता वाजपेयी को 4 महीने बाद लगा।

    नवाज शरीफ दुनिया के सामने वाजपेयी के साथ मिलकर शांति का राग अलाप रहे थे और उसी दौरान पाकिस्तान सेना जम्मू-कश्मीर के लद्दाख के कारगिल में भारतीय जमीन पर कब्जा जमा कर बैठी हुई थी। भारत को जब इसकी खबर लगी तो पाकिस्तानी अधिकारियों की तरफ से ये कहा गया कि जो कुछ भी कारिगल में हुआ उसकी जानकारी वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ को थी। लेकिन शरीफ ने इस बात का खंडन किया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी।

    नवाज शरीफ की बायोग्राफी में कारगिल युद्ध का वो किस्सा

    अपनी ऑफिशियल बायोग्रफी 'गद्दार कौन? नवाज शरीफ की कहानी,उनकी जुबानी' किताब में नवाज शरीफ ने कारगिल युद्ध के समय वाजपेयी के उस फोन कॉल का जिक्र किया है, जिससे खुद पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम थर्रा गए थे। 500 पन्नों की यह किताब नवाज शरीफ के निजी और राजनीतिक जीवन पर आधारित है और वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार सुहैल वाराइच द्वारा लिखी गई है। इस किताब में पूर्व प्रधामंत्री ने पहली बार अपने बचपन, अपने राजनीतिक करियर, कारगिल मुद्दे को लेकर कई बड़े खुलासे किए है।

    साहेब, ये क्या कर डाला? अटल जी ने घुमाया था पड़ोसी मुल्क में फोन

    कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी अटल जी को मई 1999 को मिली। उन्होंने तुरंत नवाज शरीफ को फोन घुमाया और गुस्से में कहा, 'नवाज साहेब, ये आपने क्या किया? हमने इतने अच्छे माहौल में बातचीत की और मेरे लौटते ही आपकी आर्मी ने हम पर अटैक कर दिया।' नवाज ने जवाब में अटल जी को कहा कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है। सुहैल वाराइच द्वारा लिखी किताब के मुताबिक, शरीफ ने दावा किया की कि उस समय के आर्मी चीफ रहे परवेज मुशर्रफ ने उनकी मंजूरी के बिना भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध छेड़ा था और उन्हें इस दुस्साहस के बारे में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के माध्यम से पता चला था।

    'नवाज साब, पीठ में छुरा घोंपा है'

    कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी नेता को तेजी से आगे बढ़ता देख अटल जी परेशान हो गए थे। फोन पर बातचीत के दौरान अटल जी ने कहा था, 'नवाज साब, फरवरी 1999 में लाहौर में इक्कीस तोपों की सलामी दिए जाने के बाद उनकी पीठ में छुरा घोंपा गया।

    परवेज मुशर्रफ ने ही मुजाहिदीनों के नाम पर पाकिस्तानी सेना को कारगिल में भेजा था। 26 और 29 मई को मुशर्रफ और चीफ ऑफ जनरल स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद अजीज खान के बीच की बातचीत लीक होने के बाद वाजपेयी ने एक चिट्ठी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को भेजी।

    इस चिट्टी के बाद दबाव बढ़ा और पाकिस्तानी सेना की पीछे हटने की शुरुआत होने लगी। भारत ने अमेरिका को एक मेल के जरिए धमकी दी की अगर पाकिस्तान अपनी सेना वापस नहीं बुलाता है तो भारत को भी काउंटर अटैक करना पड़ेगा।

    शरीफ ने तुरंत क्लिंटन से किया था संपर्क

    कारगिल युद्ध टेंशन के बीच शरीफ ने क्लिंटन से संपर्क किया और उनसे कहा कि वह उनसे मिलना चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति वाशिंगटन में उनका स्वागत करने के लिए सहमत हो गए। तीन घंटे की बैठक के दौरान क्लिंटन ने वाजपेयी को फोन किया। क्लिंटन ने वाजपेयी को सुझाव दिया कि अगर भारत कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए सहमत हो तो पाकिस्तान कारगिल में युद्धविराम बुलाने के लिए तैयार है।

    तब वाजपेयी ने बताया कि उन्होंने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान शरीफ से कहा था कि वह 1999 में कश्मीर मुद्दे का समाधान करना चाहते थे लेकिन यह कारगिल में हमले से पहले की बात है। 74 दिन तक चले इस कारगिल युद्ध के बाद क्लिंटन की मध्यस्थता के बाद पाकिस्तान को अपनी सेना पीछे हटानी पड़ी।

    संसद में एक भाषण के दौरान अटल जी ने कारगिल युद्ध का जिक्र कविता के जरिए किया, जिसकी पंक्ति कुछ ऐसी थी...

    धमकी जिहाद के नारों से हथियारों से, कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो

    हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से, भारत का शीश झुका लोगे यह मत समझो

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    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    हर साल 26 जुलाई को भारत में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। इस दिन को भारतीय सैनिकों के बलिदान और शौर्य को याद किया जाता है।

    हां, आप कारिगल घूम सकते है। इस पर्यटन स्थल को मार्च से अक्टूबर तक जनता के लिए खोला जाता है। वहीं, सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण इसे बंद कर दिया जाता है।

    भारत ने इस युद्ध को जीता था। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को पूरी तरह से खदेड़ दिया था।