Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'थोड़ी तो मर्यादा रखिए... वो आज भी जस्टिस वर्मा हैं', वकील की किस बात पर नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट?

    By Agency Edited By: Chandan Kumar
    Updated: Mon, 21 Jul 2025 12:55 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी विवाद में FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने बेंच से जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया जिसे चीफ जस्टिस ने अस्वीकार कर दिया।

    Hero Image
    जस्टिस वर्मा पर एफआईआर को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल मना कर दिया है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी विवाद में FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका की तत्काल सुनवाई से मना कर दिया।

    वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच से गुजारिश की कि यह उनकी तीसरी याचिका है और इसे जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

    चीफ जस्टिस ने पूछा, "क्या आप चाहते हैं कि इसे अभी खारिज कर दिया जाए?" उन्होंने कहा कि याचिका को उचित समय पर सुनवाई के लिए रखा जाएगा। वकील ने दलील दी कि FIR दर्ज होनी चाहिए और जांच होनी चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन बेंच ने वकील की ओर से जज को 'वर्मा' कहकर संबोधित करने पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने कहा, "क्या वह आपके दोस्त हैं? वह अभी भी जस्टिस वर्मा हैं। आप उन्हें कैसे बुला रहे हैं? कुछ मर्यादा रखें। वह एक जज हैं।"

    'कोर्ट को आदेश न दें'

    वकील ने जोर देकर कहा कि यह मामला गंभीर है और इसे सूचीबद्ध करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि उनमें कोई महानता है।" इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा, "कृपया कोर्ट को आदेश न दें।"

    हाल ही में, जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एक आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को रद करने की मांग की, जिसमें उन्हें नकदी बरामदगी मामले में दोषी ठहराया गया था।

    जस्टिस वर्मा ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की 8 मई की सिफारिश को भी चुनौती दी, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू करने की बात कही गई थी।

    जांच कमिटी की रिपोर्ट में क्या कहा गया?

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने 10 दिनों तक जांच की, 55 गवाहों से पूछताछ की और घटनास्थल का दौरा किया।

    इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी।

    जांच कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का उस स्टोर रूम पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण था, जहां भारी मात्रा में आधी जली हुई नकदी मिली थी। यह नकदी उनके आधिकारिक आवास पर 14 मार्च को रात 11:35 बजे लगी आकस्मिक आग के दौरान बरामद हुई थी। इस घटना को गंभीर कदाचार मानते हुए कमेटी ने उनके हटाने की सिफारिश की थी।

    यह भी पढ़ें: 'दुनिया ने भारत की सैन्य ताकत को देखा...', संसद के मानसून सत्र की शुरुआत पर बोले पीएम मोदी, विपक्ष से की खास अपील