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    'मेरे लिए ये ठीक नहीं होगा', जस्टिस वर्मा मामले में CJI गवई ने खुद को सुनवाई से क्यों किया अलग?

    By Agency Edited By: Chandan Kumar
    Updated: Wed, 23 Jul 2025 12:23 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका पर जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया है। यह याचिका इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने के लिए है जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी पाया गया। जस्टिस वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए तुरंत सुनवाई की अपील की है।

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    जस्टिस वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे तुरंत सुनने की अपील की है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो।

    यह याचिका एक इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद करने के लिए दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है। जस्टिस वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे तुरंत सुनने की अपील की है।

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    वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया। उन्होंने चीफ जस्टिस बी आर गवई से अनुरोध किया कि इस याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि इसमें कुछ अहम संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं। चीफ जस्टिस गवई ने कहा, "मुझे एक बेंच गठित करनी होगी।"

    गौरतलब है कि इस याचिका पर सुनवाई करने से सीजेआई बीआर गवई ने खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कहा है कि उनके लिए इस मामले की सुनवाई करना उचित नहीं होगा क्योंकि वह जस्टिस वर्मा से जुड़े विवाद पर बातचीत का हिस्सा थे।

    सीजेआई ने बाद में साफ किया कि न्यायालय इस पर फैसला लेगा और जस्टिस वर्मा की याचिका पर सुनवाई के लिए एक उपयुक्त बेंच नियुक्त करेगा।

    सुप्रीम कोर्ट की ओर से महाभियोग की सिफारिश को चुनौती

    जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना की 8 मई की उस सिफारिश को रद करने की मांग की है, जिसमें संसद से उनके खिलाफ इम्पीचमेंट की कार्रवाई शुरू करने की बात कही गई थी।

    यह सिफारिश उस जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसने जस्टिस वर्मा को दोषी पाया था।

    यह जांच पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अगुवाई में हुई थी। कमेटी ने 10 दिनों तक जांच की, 55 गवाहों से पूछताछ की और उस जगह का दौरा किया, जिस जगह पर 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहते हुए उनके सरकारी आवास पर आग लगी थी।

    'जस्टिस वर्मा का आचरण संदिग्ध'

    यह आग जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर लगी थी, जो उस वक्त दिल्ली हाई कोर्ट में उनकी पोस्टिंग के दौरान हुआ। इस हादसे के दौरान उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी।

    इसके बाद जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस वर्मा का आचरण संदिग्ध था, जिसके चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई।

    जस्टिस वर्मा अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में हैं और इस मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। उनकी याचिका में इस जांच और इसके नतीजों को चुनौती दी गई है।

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