जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विपुल पंचोली सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त, कोलेजियम ने की थी सिफारिश
कॉलेजियम की सिफारिश पर जस्टिस विपुल पंचोली और जस्टिस आलोक अराधे को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया है। केंद्र सरकार ने यह जानकारी दी लेकिन यह पदोन्नति सर्वसम्मति से नहीं हुई। कॉलेजियम सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की नियुक्ति पर असहमति जताई जिससे कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोलेजियम की सिफारिश स्वीकार करते हुए बांबे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्ति किया है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के कुल 34 पद मंजूर हैं अभी फिलहाल दो पद रिक्त हैं।
इन दो नये न्यायाधीशों के पद ग्रहण करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ कर 34 हो जाएगी जो कि पूर्ण होगी। दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति की जारी अधिसूचना के मुताबिक राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 124 (2) में प्राप्त शक्तियों के तहत न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायाधीश विपुल पंचोली की सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश पद पर नियुक्ति की है।
कोलेजियम ने की थी सिफारिश
दोनों न्यायाधीशों की नियुक्तियां उनके पद ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होंगी। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने गत 25 अगस्त को इन दोनों न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। केंद्र सरकार ने सिफारिश स्वीकार करते हुए दो ही दिन में दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुवाई वाली पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों की कोलेजियम करती है। हालांकि कोलेजियम की सदस्य जस्टिस वीवी नागरत्ना ने जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली की सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश पद पर नियुक्ति पर असहमति जताई थी।
जस्टिन नागरत्ना ने जताई थी असहमति
जस्टिस नागरत्ना ने सुप्रीम कोर्ट में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के मुद्दे को लेकर और हाई कोर्ट न्यायाधीशों में वरिष्ठता को लेकर जस्टिस पंचोली के नाम पर असहमति जताई थी। जस्टिस बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट की एकमात्र महिला जज हैं। वह सितंबर 2027 में देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने की भी कतार में हैं। जस्टिस पंचोली के नाम पर असहमति जताते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा था कि उनसे बेहतर रैंक के न्यायाधीशों के नाम पर भी विचार किया जा सकता है।
कथित तौर पर जस्टिन नागरत्ना ने कहा कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति न्यायपालिका के लिए प्रतिकूल होगी और इससे कॉलेजियम सिस्टम की विश्वसनीयता भी खत्म हो सकती है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि जुलाई 2023 में जस्टिस पंचोली का ट्रांसफर गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट किया गया था। उन्होंने कहा कि यह फैसला कई सीनियर जजों के परामर्श के बाद लिया गया था।
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