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    'उन फैसलों का विवरण दें जो तीन महीने तक सुरक्षित रखे गए, पर सुनाए नहीं गए', सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को यह निर्देश दिया है कि वे अपने चीफ जस्टिस को उन फैसलों का विवरण दें जो तीन महीने तक सुरक्षित रखे गए हों मगर सुनाए नहीं गए। पीठ ने कहा यह बेहद चौंकाने वाला और आश्चर्यजनक है कि याचिका की सुनवाई की तारीख से लगभग एक साल तक फैसला नहीं सुनाया गया।

    By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Wed, 27 Aug 2025 07:18 AM (IST)
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    'उन फैसलों का विवरण दें जो तीन महीने तक सुरक्षित रखे गए, पर सुनाए नहीं गए', सुप्रीम कोर्ट

     पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को यह निर्देश दिया है कि वे अपने चीफ जस्टिस को उन फैसलों का विवरण दें जो तीन महीने तक सुरक्षित रखे गए हों, मगर सुनाए नहीं गए। कोर्ट ने फैसला सुनाने में देरी के ऐसे ही एक मामले को ''बेहद चौंकाने वाला'' बताया।

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    जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एक आपराधिक मामले में दिसंबर, 2021 में फैसला सुरक्षित रखने के बावजूद उसे सुनाने में विफल रहने पर चिंता व्यक्त की।

    सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को दिया निर्देश

    पीठ ने कहा, ''यह बेहद चौंकाने वाला और आश्चर्यजनक है कि याचिका की सुनवाई की तारीख से लगभग एक साल तक फैसला नहीं सुनाया गया। इस कोर्ट को बार-बार ऐसे ही मामलों का सामना करना पड़ता है जिनमें हाईकोर्ट में कार्यवाही तीन महीने से ज्यादा समय तक लंबित रहती है। कुछ मामलों में तो छह महीने या सालों से भी ज्यादा समय तक मामले की सुनवाई के बाद भी फैसला नहीं सुनाया जाता।''

    जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने इस बात को रेखांकित किया कि ज्यादातर हाईकोर्ट में ऐसी व्यवस्था का अभाव है जिससे कोई वादी संबंधित पीठ या चीफ जस्टिस से संपर्क कर सके और देरी की बात उनके संज्ञान में ला सके। पीठ ने कहा, ''ऐसी स्थिति में वादी न्यायिक प्रक्रिया में अपना विश्वास खो देता है जिससे न्याय के उद्देश्य विफल हो जाते हैं।''

    वर्ष 2001 में अनिल राय बनाम बिहार राज्य मामले में अपने फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि वह समय पर फैसले सुनाए जाने को सुनिश्चित करने के लिए उस समय जारी किए गए विस्तृत दिशानिर्देशों को दोहरा रही है।

    पीठ ने कहा, ''हम निर्देशों को दोहरा रहे हैं और प्रत्येक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश देते हैं कि वे अपने चीफ जस्टिस को उन मामलों की सूची प्रस्तुत करें जिनमें सुरक्षित निर्णय उस महीने की शेष अवधि के भीतर नहीं सुनाए गए। वे ऐसा तीन महीने तक दोहराते रहें।''

    पीठ ने कहा कि अगर तीन महीने के भीतर भी फैसला नहीं सुनाया जाता है, तो रजिस्ट्रार जनरल को आदेश के लिए मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष रखना चाहिए।

    इसके बाद चीफ जस्टिस इसे संबंधित पीठ के संज्ञान में लाएंगे ताकि वह दो सप्ताह के भीतर आदेश सुना सके, ऐसा न करने पर मामला किसी अन्य पीठ को सौंप दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसके इस फैसले को अनुपालन के लिए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों के साथ साझा किया जाए।