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    भारत के 53वें CJI की शपथ लेंगे जस्टिस सूर्यकांत, SIR और पेगासस पर फैसले का रहे थे हिस्सा

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 07:16 AM (IST)

    जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। उन्होंने अनुच्छेद 370, बिहार चुनाव मतदाता सूची संशोधन और पेगासस मामले जैसे कई ऐतिहासिक फैसलों में भाग लिया है। वह चीफ जस्टिस बीआर गवई की जगह लेंगे। जस्टिस सूर्यकांत 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे और 9 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने राजद्रोह कानून पर नई एफआईआर दर्ज करने पर रोक लगाई थी और पीएम मोदी की सुरक्षा उल्लंघन मामले की जांच के लिए समिति गठित की थी।

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    जस्टिस सूर्यकांत आज लेंगे भारत के CJI की शपथ। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेंगे।

    जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 38ए समाप्त करने, बिहार के चुनावी मतदाता सूची संशोधन (एसआइआर) और पेगासस स्पाइवेयर मामले पर कई ऐतिहासिक फैसलों और आदेशों में भाग ले चुके जस्टिस सूर्यकांत अब चीफ जस्टिस बीआर गवई का स्थान लेंगे जो रविवार शाम को सेवानिवृत्त हो गए हैं।

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    15 महीने CJI के पद पर रहेंगे जस्टिस सूर्यकांत

    जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया था और वे लगभग 15 महीनों तक इस पद पर रहेंगे। वे 9 फरवरी, 2027 को 65 वर्ष की आयु में पद से विदाई देंगे।

    जस्टिस सूर्यकांत हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा विधानसभा में पारित विधेयकों से संबंधित राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधिकारों पर की गई संदर्भ याचिका का हिस्सा रहे हैं। राजद्रोह कानून को निलंबित रखने वाली पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस सूर्यकांत ने निर्देश दिया था कि इस पर कोई नई एफआइआर दर्ज नहीं की जाए जब तक कि सरकार इसकी समीक्षा न करे।

    सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों के हिस्सा रहे जस्टिस सूर्यकांत

    • जस्टिस कांत ने बिहार में चुनावी रोल के मसौदे से 65 लाख मतदाताओं को बाहर करने के चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आयोग को इन मतदाताओं के विवरण को उजागर करने के लिए भी प्रेरित किया।
    • जस्टिस सूर्यकांत वाली पीठ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2022 में पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया।
    • उन्होंने रक्षा बलों के लिए एक रैंक-एक पेंशन योजना को संविधान के अनुसार मान्य ठहराया और स्थायी कमीशन में समानता की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की याचिकाओं की सुनवाई जारी रखी।
    • जस्टिस सूर्यकांत उस सात जजों की पीठ में थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के निर्णय को पलटा, जिससे संस्थान की अल्पसंख्यक स्थिति पर पुनर्विचार का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई की और अवैध निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की समिति का गठन किया।

    हिसार के हैं जज सूर्यकांत

    10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत ने एक छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक का सफर तय किया है, जहां वे कई राष्ट्रीय महत्व के फैसलों और संवैधानिक मामलों का हिस्सा रहे हैं। उन्हें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 2011 में कानून में मास्टर डिग्री मिली। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिखने वाले जस्टिस सूर्यकांत को 5 अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

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