जस्टिस शेखर यादव की बढ़ सकती है मुश्किलें, पद से हटाने के नोटिस पर 55 सांसदों ने किया साइन
Justice Shekhar Yadav इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव के विवादित बयान के बाद अब राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यादव को हटाने के लिए 55 सदस्यों की ओर से हस्ताक्षरित महाभियोग प्रस्ताव प्राप्त होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक तौर पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने का मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में विवादित टिप्पणी करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गुरुवार को राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यादव को हटाने के लिए 55 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित महाभियोग प्रस्ताव प्राप्त होने का जिक्र करते हुए कहा कि संवैधानिक तौर पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने का मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव ने पिछले वर्ष वीएचपी के एक कार्यक्रम में भाषण के दौरान विवादित टिप्प्पणी की थी। जिसके बाद 13 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में विपक्षी दलों के 55 सदस्यों ने हस्ताक्षर करके जस्टिस यादव को पद से हटाने के लिए महाभियोग का प्रस्ताव राज्यसभा सभापति को भेजा था।
जस्टिस यादव को हटाने का 55 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस
मालूम हो कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को सिर्फ संसद में महाभियोग के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है। जिसके लिए लोकसभा में 100 सदस्यों का हस्ताक्षरित प्रस्ताव या राज्यसभा में 50 सदस्यों का हस्ताक्षरित प्रस्ताव नोटिस होना चाहिए। गुरुवार को राज्यसभा कार्यवाही के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जस्टिस यादव को हटाने का 55 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस उन्हें प्राप्त हुआ है और वह नोटिस उनके पास लंबित है।
सभापति ने कहा कि संवैधानिक तौर पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने का अधिकार सभापति राज्यसभा, और किसी भी स्थिति में संसद और माननीय राष्ट्रपति में निहित है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी और प्राप्त इनपुट को ध्यान में रखते हुए यह उचित होगा कि राज्यसभा के महासचिव इस जानकारी को सुप्रीम कोर्ट के सेकरेट्री जनरल के साथ साझा करें।
संविधान के अनुच्छेद 218 के तहत नोटिस
राज्यसभा में विपक्षी दलों के सांसदों ने जजेस एन्क्वायरी एक्ट 1968 के तहत और संविधान के अनुच्छेद 218 के तहत जस्टिस शेखर को पद से हटाने का नोटिस भेजा है। इस नोटिस पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह, जॉन ब्रिटास, मनोज कुमार झा सहित कुल 55 राज्यसभा सदस्यों ने हस्ताक्षर किये हैं।
सूत्रों के मुताबिक नोटिस में जस्टिस यादव द्वारा वीएचपी के कार्यक्रम में की गई विवादित टिप्पणियों को आधार बनाते हुए कहा गया है कि उनकी टिप्पणियां प्रथम दृष्टया नफरत फैलाने वाला भाषण प्रतीत होती हैं और सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने वाली हैं। इससे पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी जस्टिस यादव की टिप्पणी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी थी और जस्टिस यादव को भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश के समक्ष आने को कहा गया था।
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