Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न्याय लोगों के दरवाजों तक पहुंचे, ना कि सत्ता के गलियारों में : सीजेआइ गवई

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Mon, 11 Aug 2025 12:29 AM (IST)

    भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका का अस्तित्व लोगों की सेवा के लिए है। उन्होंने न्याय को शीघ्रता से और कम लागत पर प्रदान करने की बात कही। गवई ने विकेंद्रीकरण का समर्थन करते हुए कहा कि न्याय लोगों के दरवाजों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट की इटानगर बेंच के उद्घाटन पर यह बात कही।

    Hero Image
    न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का अस्तित्व केवल लोगों की सेवा के लिए है: सीजेआई बीआर गवई

    पीटीआई, इटानगर। भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का अस्तित्व केवल लोगों की सेवा के लिए है और न्याय को शीघ्रता से और न्यूनतम लागत पर प्रदान करना चाहिए। गवई ने कहा, ''मैं हमेशा विकेंद्रीकरण का कट्टर समर्थक रहा हूं। न्याय लोगों के दरवाजों तक पहुंचना चाहिए, केवल सत्ता के गलियारों तक सीमित नहीं रहना चाहिए।''

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुवाहाटी हाई कोर्ट की यहां नवनिर्मित इटानगर स्थायी बेंच भवन का उद्घाटन करते हुए रविवार को सीजेआइ गवई ने कहा, ''न तो अदालतें, न न्यायपालिका और न ही विधायिका राजाओं, न्यायाधीशों या कार्यपालिका के सदस्यों के लिए अस्तित्व में हैं। हम सभी का उद्देश्य लोगों को न्याय प्रदान करना है।''

    राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से अधिक उप-जनजातियां

    गवई ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीशों की सराहना की जिन्होंने न्याय को अधिक सुलभ बनाने के लिए कार्य किया। अरुणाचल प्रदेश की विविधता में एकता की प्रशंसा करते हुए सीजेआइ ने कहा कि राज्य में 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से अधिक उप-जनजातियां हैं। सरकार ने प्रत्येक जनजाति की परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए हैं।

    देश को प्रगति करनी चाहिए लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराओं की कीमत पर नहीं। यह हमारे संविधान के तहत एक मौलिक कर्तव्य है कि हम उन्हें संरक्षित और संजोएं।'' बीआर आंबेडकर का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा, ''बाबा साहेब भारत की एकता के कट्टर समर्थक थे।

    उन्होंने आश्वासन दिया कि हमारा संविधान भारत को शांति और युद्ध के समय में एकजुट और मजबूत रखेगा, जैसा कि हमने 75 वर्षों के बाद भी देखा है।'' उन्होंने नागरिकों से संविधान को पढ़ने का आग्रह करते हुए कहा, ''हर धर्म का अपना 'धर्म ग्रंथ' है, लेकिन हर भारतीय के लिए संविधान महान 'ग्रंथ' है। हमारी पहली निष्ठा इससे होनी चाहिए।''

    गवई ने कहा, 'आर्थिक और सामाजिक समानता के बिना राजनीतिक समानता का कोई मूल्य नहीं है।' उन्होंने पूर्वोत्तर की जनजातीय समुदायों की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए पांचवीं और छठवीं अनुसूचियों के तहत संवैधानिक प्रविधानों के महत्व पर जोर दिया।

    इससे पहले, गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने कहा कि नया भवन भौगोलिक बाधाओं के बिना न्याय के संवैधानिक वादे को पुन: पुष्टि करता है।

    उल्लेखनीय है कि 135.35 करोड़ रुपये की लागत से बने इस अत्याधुनिक परिसर में पांच अदालत कक्ष और आधुनिक सुविधाएं हैं, जिसे लोक निर्माण विभाग ने बनाया है। निर्माण फरवरी 2021 में शुरू हुआ, जो भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री पेमा खांडू द्वारा 2018 में रखी गई नींव के बाद हुआ।