Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोलकाता में 16वें संयुक्त कमांडर सम्मेलन का हुआ समापन, भविष्य की रणनीति पर हुई चर्चा

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    कोलकाता में सशस्त्र बलों का तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन संपन्न हुआ। इसमें सेनाओं के भविष्य की योजनाओं पर विचार किया गया और तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने पर जोर दिया गया। रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों ने रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। सम्मेलन में सुधारों का वर्ष- भविष्य के लिए परिवर्तन विषय पर ध्यान केंद्रित किया गया।

    Hero Image
    कोलकाता में सशस्त्र बलों का संयुक्त कमांडर सम्मेलन संपन्न

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोलकाता में आयोजित सशस्त्र बलों का तीन दिवसीय 16वां संयुक्त कमांडर सम्मेलन बुधवार को संपन्न हो गया। यहां सेना की पूर्वी कमान मुख्यालय विजय दुर्ग (पूर्व में फोर्ट विलियम) में आयोजित इस सम्मेलन में सशस्त्र बलों के भविष्य का रोडमैप तैयार किया गया और तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता को बढ़ाने पर जोर दिया गया। इसके अलावा क्षमताओं के विकास को दिशा देने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप योजनाओं को संरेखित करने पर मंथन हुआ। सम्मेलन के समापन पर कोलकाता में एक रक्षा प्रवक्ता ने इसकी जानकारी दी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह द्विवार्षिक सम्मेलन सशस्त्र बलों का सर्वोच्च विचार मंच है, जिसमें रक्षा मंत्रालय एवं तीनों सेनाओं के शीर्ष निर्णयकर्ता एक साथ बैठकर रणनीतिक एवं वैचारिक विमर्श करते हैं। 15 से 17 सितंबर तक आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से तीनों सेनाओं- आर्मी, नौसेना व वायुसेना के शीर्ष कमांडरों ने हिस्सा लिया और तीन दिनों तक सुरक्षा संबंधी मुद्दों, चुनौतियों व भविष्य की रणनीति आदि विषयों पर गहन मंथन किया।

    इस बार का विषय था- सुधारों का वर्ष- भविष्य के लिए परिवर्तन, जो बताता है कि तीनों सेना खुद को बदलते सुरक्षा परिदृश्य के अनुसार तैयार कर रही है।

    अधिकारियों के अनुसार, यह सम्मेलन सशस्त्र बलों को और अधिक एकीकृत, तकनीकी रूप से उन्नत और परिचालन रूप से चुस्त-दुरुस्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह सम्मेलन सेनाओं को बहु-क्षेत्रीय खतरों का सामना करने, राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने तथा राष्ट्र निर्माण एवं वैश्विक शांति व स्थिरता में योगदान करने के लिए तैयार करेगा। कमांडर सम्मेलन में तीनों सेनाओं के प्रमुख व सीडीएस मौजूद रहे। सम्मेलन का उद्घाटन 15 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। उद्घाटन अवसर पर पीएम ने सशस्त्र बलों के रणनीतिक दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि भविष्य की तैयारियों के लिए संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार अत्यंत आवश्यक हैं।

    सम्मेलन का आरंभ संयुक्त अभियान कमांड सेंटर द्वारा उच्चस्तरीय प्रदर्शन से हुआ। इसके बाद भारतीय एयर डिफेंस का लाइव प्रदर्शन किया गया जिसमें हवाई निगरानी, मिसाइल रक्षा और ड्रोन-रोधी क्षमताओं का प्रदर्शन शामिल था। चर्चाओं में भविष्य के युद्ध की बदलती प्रकृति तथा बहु-क्षेत्रीय ऑपरेशनों पर विशेष विमर्श हुआ।

    सीडीएस ने प्रमुख सुधारों और अब तक उठाए गए कदमों की समीक्षा की

    प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पिछले दो वर्षों के प्रमुख सुधारों और अब तक उठाए गए कदमों की समीक्षा की। सम्मेलन में अंतिम दिन का फोकस – ‘उभरते खतरे और भविष्य की चुनौतियां’ था। सीडीएस जनरल चौहान ने सुधारों का वर्ष के तहत तैयार की गई योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा दिया। अपने समापन भाषण में सीडीएस ने सेनाओं की फुर्तीली, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रूपांतरण की प्रतिबद्धता दोहराई।

    उन्होंने कहा कि सुधारों को निरंतर प्रक्रिया के रूप में संस्थागत करना अनिवार्य है। सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि भारतीय सशस्त्र बलों को संयुक्ता, तकनीकी नवाचार और संस्थागत सुधार के माध्यम से और अधिक मजबूत, लचीला और आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। इस सम्मेलन से यह संदेश दिया गया कि भारत की सेनाएं न केवल आज के खतरों से निपटने के लिए तैयार है, बल्कि भविष्य की जटिल चुनौतियों का सामना करने के लिए भी लगातार तैयार हो रही है।

    साइबर, सूचना और विशेष अभियान जैसे क्षेत्रों पर जोर

    सम्मेलन में तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता और सेवाओं के बीच एकीकरण, अंतर-परिचालन क्षमता, त्वरित निर्णय-प्रक्रिया तथा स्पेस, साइबर, सूचना और विशेष अभियान जैसे क्षेत्रों के लिए संस्थागत सुधारों पर जोर दिया गया। प्रौद्योगिकी-आधारित युद्धक क्षमता, नवाचार और उन्हें परिचालन सिद्धांतों में शामिल करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।

    आधुनिक उपकरणों की खरीद व पारदर्शिता जैसे विषयों पर भी गंभीर चर्चा हुई

    सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक अहम सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने सैन्य बलों की वर्तमान तैयारी, क्षमता विकास और भविष्य के युद्धों के लिए रणनीतिक रोडमैप की समीक्षा की। इस सम्मेलन का एक मुख्य फोकस ‘सूचना युद्ध’ का बढ़ता महत्व रहा। इसी के साथ ‘संयुक्त सैन्य अंतरिक्ष सिद्धांत’ भी जारी किया गया, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक ऐतिहासिक कदम माना गया। पड़ोसी देशों और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर खुलकर चर्चा हुई।

    आधुनिक उपकरणों की खरीद, वित्तीय अधिकारों के वितरण और प्रक्रियागत पारदर्शिता जैसे विषयों पर भी गंभीर चर्चा हुई। दूसरे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेनाओं को पारंपरिक युद्ध की सोच से आगे बढ़कर सूचना युद्ध, वैचारिक युद्ध, इकोलोजिकल एवं बायोलाजिकल (जैविक) युद्ध जैसी अदृश्य चुनौतियों से सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया।

    यह भी पढ़ें- '10 मई को नहीं खत्म हुआ था ऑपरेशन सिंदूर', सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने खोला बड़ा राज