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    'मेरे दो ही बच्चे थे, भगवान मुझे भी उठा लेता'; झालावाड़ हादसे पर बोली रोती-बिलखती मां

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Sat, 26 Jul 2025 04:21 PM (IST)

    राजस्थान के झालावाड़ में एक दर्दनाक हादसे में एक सरकारी स्कूल की इमारत का हिस्सा गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई और 28 घायल हो गए। मरने वालों में कान्हा और मीना भी शामिल थे जिनकी माँ का दर्द असहनीय है। स्थानीय लोगों ने जर्जर इमारत के बारे में पहले भी शिकायत की थी लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।

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    झालावाड़ में स्कूल की दीवार गिरने से 7 मासूमों की मौत (फोटो सोर्स- पीटीआई)

    पीटीआई, झालावाड़। राजस्थान के झालावाड़ में एक दर्दनाक घटना घटी थी। स्कूल की बिल्डिंग का एक हिस्सा गिरने के बाद मलबे के नीचे 35 बच्चे दब गए थे। इस घटना में 28 बच्चे घायल हो गए और सात मासूमों की मौत हो गई।

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    यह घटना मीना और कान्हा की मां के लिए बहुत बुरा सपना साबित हुआ है। जिस घर में ये दोनों बच्चे कुछ दिनों पहले तक हंसते-खेलते और अपनी मां से जिद करते थे, वो आंगन आज गहरे सन्नाटे में डूब गया है।

    मां ने बयां किया अपना दर्द

    मां के मुंह से सिर्फ यही निकल रहा है- "मेरे तो दो ही बच्चे थे...एक बेटा और एक बेटी और अब दोनों ही चले गए। अब घर सूना है...आंगन सूना है। भगवान मुझे ही उठा लेता...बच्चों को बचा लेता।"

    यह मां अब नि:शब्द है और आंसू रूक नहीं रहे हैं। शुक्रवार को स्कूल हादसे में अपने दोनों बच्चों को खोने के बाद इस मां पर जो बित रही है उसकी कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है।

    कब हुई घटना?

    शुक्रवार की सुबह झालावाड़ के पिपलोड सरकारी स्कूल में कक्षा 6 और 7 के बच्चे प्रार्थना के लिए जमा हुए थे। उसी दौरान अचानक स्कूल की बिल्डिंग का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया। सबकुछ पलक झपकते हुआ।

    शनिवार की सुबह झालावाड़ के एसआरजी अस्पताल में मॉर्च्युरी के बाहर मातम पसरा था और रोती-बिलखती मांओं की चीखें आसमान चीर रही थीं। मरने वाले उन सात बच्चों में 6 साल का कान्हा और 12 साल की उसकी बहन मीना भी शामिल थी।

    लोगों का फूटा गुस्सा

    तीन अन्य बच्चों के साछ दोनों भाई-बहनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। बाकी दो बच्चों की अंत्योष्टि अलग की गई। इस हादसे ने न सिर्फ उन सात बच्चों के परिवारों को जिंदगीभर का दर्द दिया, बल्कि राजस्थान की ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

    स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की दीवार पहले से ही जर्जर थी। कई बार शिकायतें की गई, लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। जब ये हादसा हुआ उसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी किया।

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