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    Jet Airways: जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल गिरफ्तार, 538 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में ED की कार्रवाई

    By AgencyEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Sat, 02 Sep 2023 12:34 AM (IST)

    Jet Airways founder Naresh Goyal Arrest ईडी कार्यालय में लंबी पूछताछ के बाद जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को हिरासत में लिया गया। नरेश गोयल पर केनरा बैंक से 538 करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप है। गोयल को शनिवार को मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किए जाने की उम्मीद है जहां से ईडी उनकी रिमांड मांगेगी।

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    Jet Airways founder Naresh Goyal Arrest: जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल गिरफ्तार।

    मुंबई, पीटीआई। Jet Airways founder Naresh Goyal Arrest केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को शुक्रवार देर रात गिरफ्तार कर लिया।

    ईडी कार्यालय में लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तारी

    आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ईडी के स्थानीय कार्यालय में लंबी पूछताछ के बाद उन्हें धन शोधन अधिनयम के तहत हिरासत में ले लिया गया। 74 वर्षीय नरेश गोयल (Naresh Goyal Arrestको शनिवार को मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किए जाने की उम्मीद है जहां से ईडी उनकी रिमांड मांगेगी।

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    मनी लांड्रिंग मामले में हुई कार्रवाई

    मनी लांड्रिंग का यह मामला केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में जेट एयरवेज, गोयल, उनकी पत्नी अनीता और कंपनी के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर होने के बाद दर्ज किया गया था।

    कैनरा बैंक की शिकायत दर्ज हुई थी एफआईआर

    कैनरा बैंक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी जिसमें बताया गया कि बैंक ने जेट एयरवेज इंडिया लिमिटेड (जेआइएल) को 848.86 करोड़ रुपये की क्रेडिट सीमा और ऋण मंजूर किए जिनमें से 538.62 करोड़ रुपये बकाया हैं। सीबीआइ ने कहा था कि खाते को 29 जुलाई, 2021 को ''फ्राड'' घोषित किया गया।

    बैंक ने लगाए ये आरोप

    बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी के फोरेंसिक आडिट से पता चला कि उसने कुल कमीशन खर्चों में से ''संबंधित कंपनियों'' को 1,410.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इस तरह यह धन कंपनी से निकाल लिया गया। इसमें कहा गया कि गोयल परिवार के कर्मचारियों के वेतन, फोन बिल और वाहन खर्च जैसे व्यक्तिगत खर्चों का भुगतान जेआइएल द्वारा किया गया था।

    इन आरोपों के अलावा, फारेंसिक आडिट मे यह सामने आया कि सहायक कंपनी जेएलएल के माध्यम से अग्रिम भुगतान और निवेश के माध्यम से धन की हेराफेरी की गई और बाद में प्रविधान कर उसे बट्टे खाते में डाल दिया गया।

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