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    जैविक हथियारों से सुरक्षा, जयशंकर ने विकासशील देशों से एकजुट होने का किया आह्वान

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 11:30 PM (IST)

    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जैविक खतरों से निपटने के लिए एक मजबूत वैश्विक ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ग्लोबल साउथ में कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं और वैक्सीन तक असमान पहुंच को वैश्विक जोखिम बताया। भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की 60% वैक्सीन का उत्पादन करता है और उसने कोविड के दौरान 100 से अधिक देशों को मुफ्त वैक्सीन प्रदान की।

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    जयशंकर ने विकासशील देशों से एकजुट होने का किया आह्वान

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तेजी से बदलती विज्ञान-प्रौद्योगिकी और वैश्विक अनिश्चितता के दौर में जैविक खतरों से निपटने के लिए एक आधुनिक, मजबूत और समावेशी वैश्विक फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत पर जोर दिया है।

    यहां 'ग्लोबल साउथ के लिए जैव-सुरक्षा को मजबूत करना' सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि, “चाहे जैविक खतरा प्राकृतिक हो, दुर्घटनावश हो या जानबूझकर किया गया हो, वह सीमाओं की परवाह नहीं करता और तेजी से फैलता है। इसलिए मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था ही मजबूत सुरक्षा व्यवस्था है।''

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    उन्होंने ग्लोबल साउथ के तौर पर चिन्हित दुनिया के विकासशील व गरीब देशों को सीधे तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि, “इस क्षेत्र के अधिकांश देशों में अभी भी कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं व निगरानी तंत्र, सीमित प्रयोगशालाएं, आपातकालीन स्थिति से निपटने की धीमी प्रतिक्रिया और वैक्सीन-दवाओं तक असमान पहुंच जैसी गहरी खामियां हैं। ये सिर्फ विकास संबंधी मुद्दे नहीं हैं, बल्कि वैश्विक जोखिम भी हैं।''

    कितनी बढ़ी संख्या?

    अपनी चिंता को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जब तक जैव-सुरक्षा असमान रहेगी, वैश्विक सुरक्षा भी असमान और कमजोर रहेगी। इस बारे में भारत की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि दुनिया की 60 फीसद वैक्सीन और अफ्रीका की 60 फीद जेनेरिक दवाएं भारत सप्लाई करता है। यहां बायोटेक स्टार्टअप की संख्या 60 से बढ़ कर 11 हजार से ज्यादा हो चुकी है।

    भारत ने कोविड के दौरान 100 से ज्यादा देशों को 30 करोड़ वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध कराए थे। उन्होंने बात की तरफ से भारत ने जैविक हथियार समझौते (बीडब्लूसी) में आधुनिक सत्यापन तंत्र , विज्ञान-तकनीकी की नियमित समीक्षा और राष्ट्रीय कार्यान्वयन फ्रेमवर्क का प्रस्ताव रखा।

    विदेश मंत्री ने क्या कहा?

    सनद रहे कि आतंकवादियों द्वारा जैविक हथियार हासिल करने से रोकने के लिए हर साल संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित होता है। भारतीय विदेश मंत्री ने अंत में कहा कि, “आज हम जो फैसला करेंगे वही आगे तय करेगा कि जैविक बीमारियों का इस्तेमाल हथियारों के तौर पर ना हो। भारत वैश्विक दक्षिण का भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा और जैव-सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हरसंभव योगदान देगा।''

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