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    जयपुर में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, अमेरिकी लोगों को ठगने वाले 60 युवक-युवती गिरफ्तार

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 10:10 PM (IST)

    जयपुर पुलिस ने अमेज़न और एप्पल के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले 60 युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया है। ये गिरोह फर्जी कॉल सेंटर चलाकर लोगों को निशाना बनाते थे। वे ग्राहकों को बैंक खाते में गड़बड़ी बताकर या FBI अधिकारी बनकर डराते थे और पैसे ट्रांसफर करवा लेते थे। पुलिस ने आरोपियों के लैपटॉप से फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं।

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    जयपुर में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जयपुर पुलिस ने अमेजन और एप्पल के नाम पर अमेरिका के लोगों को ठगने के आरोप में 60 युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जयपुर के प्रतापनगर एवं मालवीय नगर स्थित दो काल सेंटरों पर छापा मारकर 49 युवक एवं 11 युवतियों को गिरफ्तार किया है।

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    शुक्रवार को जयपुर पुलिस आयुक्त सचिन मित्तल ने मामले को लेकर बताया कि यह गिरोह अमेरिकी नागरिकों को ठगी का शिकार बनाते थे। पुलिस ने उपायुक्त संजीव नैन के नेतृत्व में कई स्थानों पर छापेमारी एवं जांच के बाद 60 लोगों को गिरफ्तार किया है।

    कैसे बनाता था निशाना?

    19 नवंबर को पुलिस ने मालवीय नगर के शिवनंद मार्ग पर स्थित होटल स्पार्क इन एवं प्रताप नगर सरस्वती अपार्टमेंट के फर्जी कॉल सेंटर चलने की सूचना पर कार्रवाई की थी। यह गिरोह अमेरिकी नागरिकों को तब निशाना बानाता था, जब वे अमेजन एवं एपल कस्टमर केयर नंबर इंटरनेट पर खोजते थे।

    इंटरनेट पर आए परिणामों ने इन फर्जी काल सेंटरों के नंबर सामने आते थे। ग्राहक अपनी समस्याओं के बारे में काल करते थे। काल प्राप्त करने वाले सदस्य जिन्हें डायलर कहा जाता था। ग्राहक को बताते थे कि उनकी समस्या का कारण बैंक खाते में गड़बड़ी है। उसके बाद वे काल को क्लोजर नामक सदस्यों को स्थानांतरित कर देते थे।

    पैसे कर लेते थे ट्रांसफर

    ये क्लोजर खुद को बैंककर्मी बताकर ग्राहकों से उनके बैंक खाते के बारे में जानकारी हासिल करते थे। गिरोह के सदस्य नया बैंक खाता खोलने के बहाने एक फर्जी खाता भी बनवा देते थे। इसके बाद ग्राहक के असली खाते से पैसे इस फर्जी खाते में स्थानांतरित करा लिए जाते थे।

    एक अन्य तरीके से गिरोह के सदस्य खुद को अमेरिकी संस्था जैसे एफबीआई अथवा किसी अन्य संस्था का अधिकारी बताकर ग्राहक से संपर्क करते थे। ग्राहक को डराया जाता था कि उसके बैंक खाते में चाइल्ड पोनोग्राफी अथवा अवैध लेनदेन की जानकारी मिली है। भरोसा दिलाने के बाद अमेरिकी एजेंसियों के नाम से फर्जी नोटिस एवं वारंट भेजे जाते थे।

    आरोपियों के लैपटॉप से क्या मिला?

    भय दिखाकर ग्राहक से खुद के खाते में पैसे स्थानांतरित करवा लिए जाते थे। दो मुख्य आरोपितों साजन कुमार साहनी एवं प्रियेश के लैपटाप से अमेरिकी सरकारी एजेंसियों के फर्जी नोटिस, वारंट एवं अन्य दस्तावेज मिले हैं। पुलिस ने 57 कंप्यूटर,तीन लैपटाप सहित कई सामान जब्त किए हैं।

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