Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जयप्रकाश नारायण: ऐसा नेता जिसके आंदोलन से निकले लालू-मुलायम जैसे दिग्गज, पढ़ें जेपी के उस दौर के बारे में

    By Jagran NewsEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 11 Oct 2023 06:34 AM (IST)

    लोकनायक के नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश नारायण एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता सिद्धांतवादी समाजवादी और राजनीतिक नेता थे। उन्हें 1970 के दशक के मध्य में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है। जेपी आंदोलन से ही लालू प्रसाद यादव मुलायम सिंह शरद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेता निकले जिन्होंने भारत की राजनिति में अपना खूब सिक्का चलाया।

    Hero Image
    लोकनायक के नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश नारायण की जयंती आज

    ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। जेपी या लोकनायक के नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश नारायण एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतवादी, समाजवादी और राजनीतिक नेता थे। उन्हें 1970 के दशक के मध्य में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है। जेपी आंदोलन से ही लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार जैसे नेता निकले।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत पर जब अंग्रेज शासन की हुकूमत थी तब महात्मा गांधी, सरदार पटेल जैसे तमाम नेता उनके सामने लोहा ले रहे थे। लेकिन आजाद में सत्ता की दीवारों को हिला देने वालों में अगर किसी का नाम आएगा तो सबसे पहले लोकनायक जयप्रकाश नारायण यानी जेपी का नाम सबसे पहले आएगा। कहा जाता है जेपी के आंदोलन से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इनती घबरा गईं थीं उन्होंने साल 1975 में इमरजेंसी लागू कर दी थी।

    जवाहरलाल नेहरू के बेहद खास सहयोगी रहे जेपी

    जयप्रकाश नारायण आजादी की लड़ाई में पंडित जवाहरलाल नेहरू के बेहद खास सहयोगी रहे। वह काफी दूरदर्शी राजनीतिज्ञ जो आधुनिक भारत की नब्ज जानते थे। बिहार के सिताब दियारा में साल 1902 में 11 अक्टूबर के ही दिन जय प्रकाश नारायण का जन्म हुआ था। आज देश के लोग संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण जेपी और लोकनायक के नाम से भी जानते हैं।

    जाति-भेद मिटाने को लेकर आंदोलन किया

    जेपी ने 1974 में भारत के उस दौर में जाति-भेद मिटाने को लेकर आंदोलन किया था और तब जेपी के साथ लगभग 10 हजार लोगों ने अपना जनेऊ तोड़ यह संकल्प लिया था कि वे जाति प्रथा को नहीं मानेंगे। जयप्रकाश नारायण ने भारत में न्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था की स्थापना के लिए संघर्ष किया। उनके मौलिक विचार आज भी अपने देश की ज्वलंत सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान के लिए प्रासंगिक हैं।

    जेपी आंदोलन से निकले मुलायम और लालू जैसे बड़े नेता

    जब जेपी आंदोलन से उभरे उस समय के छात्र नेता लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार आदि ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और इस आंदोलन ने उनको छात्र नेता से भारत की राजनीति के शीर्ष पर पहुंचाया। इसके अलावा हुकुमदेव यादव, रविशंकर प्रसाद, विजय गोयल, आजम खान, रामविलास पासवान, रेवतीरमण सिह, केसी त्यागी, स्व अरुण जेटली, स्वर्गीय सुषमा स्वराज, बीजू पटनायक आदि ऐसे नेता हैं जो भारत में शीर्ष राजनीतिक पदों रहे।

    यह भी पढ़ें- संपूर्ण क्रांति : जेपी ने जाति-भेद मिटाने को 1974 में चलाया था जनेऊ तोड़ो आंदोलन

    मुलायम सिंह यादव को जेल जाना पड़ा था

    लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के खिलाफ देश में आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इसमें मुलायम सिंह यादव की भी अहम भूमिका रही। साल 1975 को देश में इमरजेंसी लागू हुई थी। और मुलायम सिंह यादव को जेल जाना पड़ा था। सोमवार सुबह समाजवादी पार्टी के संरक्षक व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया।

    जेपी आंदोलन की वजह से लालू को पहचान मिली

    लालू प्रसाद यादव की बात करें तो वे जयप्रकाश नारायण की अगुवाई वाले आंदोलन में शामिल हुए। इस आंदोलन के सबसे खास युवा नेता लालू प्रसाद ही थे। इमरजेंसी के बाद 1977 में आम चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के टिकट पर छपरा से जीत हासिल हुई और वे 29 साल की उम्र में सांसद बन गए। जहां तक नीतीश कुमार की बात है तो 1974 मेa जेपी आंदोलन से ही उनके राजनीतिक सफर का आगाज हुआ। लालू प्रसाद की जनता पार्टी में नीतीश कुमार 1974 में शामिल हुए थे।

    जेपी ने भारत की राजनीति में ऐसी छाप छोड़ी कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने को उनके लिए लिखने से रोक नहीं पाए। उन्होंने जेपी के बारे में लिखा कि-

    क्षमा करो बापू तुम हमको

    वचनभंग के हम अपराधी

    राजघाट को किया अपावन ,भूले मंजिल यात्रा आधी। जयप्रकाश जी रखो भरोसा

    टूटे सपनों को जोड़ेंगे

    चिता भस्म की चिंगारी से

    अंधकार के गढ़ तोड़ेंगे"