प्यासा आसमां- सूखी धरती,अभी से सूखने लगा बुंदेलखंड के नहरों-तालाबों का गला
बुंदेलखंड के सभी इलाकों की कमोबेश एक जैसी तस्वीर है। बांधों-नहरों में पानी है जिसका असर खेती पर पड़ रहा है। इन सबके बीच किसानों को राहत का इंतजार है। ...और पढ़ें

महोबा [अजय दीक्षित]। बुंदेलों हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी। इस कविता का जिक्र इसलिए जरूरी है कि बुंदेलखंड के पुरुष और महिलाएं कितनी बहादुर होती हैं। ये कविता अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में बुंदेलों के साहस, उत्साह को बयां करती है। ऐसा नहीं है कि बुंदेलों के अदम्य साहस में किसी तरह की कमी आई है। लेकिन वो मौसम की मार से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। वो कारे कारे बदरा का इस उम्मीद के साथ इंतजार करते हैं कि उनके सूखे गले तर हो सकेंगे और उनके खेतों में हरियाली अपनी छटा बिखेरेगी।
सूखे की त्रासदी झेल रहे बुंदेलखंड की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। लगातर कम वर्षा के दंश के बाद अब इसका असर यहां के बांधों पर भी पड़ा है। महोबा जिले के सभी पांचों बांध सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। इनका पानी न्यूनतम स्तर के करीब पहुंच गया है। तालाब लगभग सूख चुके हैं। खेतों की सिंचाई के लिए निकली नहरों में पांच माह से पानी नहीं छोड़ा गया है। इसलिए ये पहले ही सूख चुकी हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने किसानों से राजस्व वसूली रोकने के लिए शासन का पत्र लिखा है। 
दरअसल महोबा के बांधों से आसपास के कई जिलों को पानी मिलता है। इसके अलावा यहां शहर और कस्बों में बड़े-बड़े तालाब भी हैं, जिनसे पानी का आपूति होती है। पिछले कुछ सालों में बारिश कम होने से हालात लगातार खराब होते चले गए। इससे पानी कम होता चला गया। मजबूरी में बांध से नहरों को पानी देना बंद करना पड़ा। 
17 साल में तीन बार ही भर सके बांध
महोबा में 2003, 2013, 2016 में पर्याप्त बारिश हुई थी। बीते सत्रह साल के अंदर इन तीन साल में ही जिले के पांचों बाधों में पानी आ सका। 2006, 2007, 2015 और अब 2017 में पूरी तरह से सूखा पड़ गया। इस बीच नहरें भी सूखी रहीं।
बांधों की स्थिति
अर्जुन बांध
-वर्तमान में पानी 170.74 मीटर पानी है।
- न्यूनतम स्तर 167.68 मीटर होता है।
- बांध की क्षमता 176.17 मीटर है।
- इससे छोटी-बड़ी 31 नहरें निकली हैं जो कि हमीरपुर जिले तक फैली हैं। 
उर्मिल बांध
- वर्तमान में पानी स्तर 229.40 मीटर है।
-इसकी क्षमता है 237.43 मिलियन घन मीटर।
- न्यूनतम स्तर 228.30 मीटर पानी है।
- इस बांध से महोबा शहर, श्रीनगर क्षेत्र को पीने के पानी की सप्लाई होती है। इससे पांच नहरें निकली हैं।
चंद्रावल बांध
- वर्तमान में 148.62 मीटर पानी है।
-इसकी क्षमता 152.04 मीटर पानी की है।
- न्यूनतम 146.96 मीटर पानी होता है।
- इस बांध से कुल 14 नहरें निकली हैं। इनसे जिले के ही किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलती है। 
कबरई बांध
- पूरी क्षमता 154.22 मीटर पानी की है।
-न्यूनतम स्तर 149.04 मीटर पानी की है।
- वर्तमान में पानी पूरी तरह सूख गया है। यहां काम हो रहा है। इस बांध से 15 नहरें निकली हैं, जिनसे किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है।
मझगवां बांध
- पूरी क्षमता 224.33 मीटर पानी की है।
- न्यूनतम स्तर 217.01 मीटर है।
- वर्तमान में बांध सूखा है, यहां काम चल रहा है। इससे दस नहरें निकली हुई हैं।
जिले के बड़े तालाब
महोबा शहर में मदनसागर तालाब, कीरत सागर तालाब, कल्याण सागर, विजय सागर, रहलिया सागर। इसमें मदन सागर तालाब से शहर को पीने के पानी की सप्लाई भी होती है। 2016 में सभी तालाब लबालब भरे थे लेकिन वर्तमान में तलहटी में पानी बचा है। बेलाताल का बेलासागर, चरखारी के सप्तसरोवर, इनमें भी वर्तमान में पानी कम हो गया है।
किसानों की जुबानी
अरघटमऊ निवासी तेजवा पाल के पास तीन एकड़ के करीब जमीन है। इनका कहना है कि खेतों में ङ्क्षसचाई के लिए कोई साधन नहीं होने से जमीन पूरी परती पड़ी है। 
महुआबांध निवासी हलकुट्टा का कहना कि उसके पास दो बीघा जमीन है। पानी का साधन न होने से जमीन परती पड़ी है। 
यही हालात कुलपहाड़ तहसील क्षेत्र के बेरी, अरघटनमऊ, ननवारा, अकौना, ननौरा, कैथौरा का है। इसी तरह मध्य प्रदेश से जुड़े क्षेत्र नौ गांव आदि भी सूखे की मार झेल रहे हैं। श्रीनगर क्षेत्र के दो दर्जन गांवों की हालत भी खराब है।
जिलाधिकारी रामविशाल मिश्रा ने शासन को पत्र भेज कर जिले के मौजूदा हालात की जानकारी दी थी। साथ ही राजस्व वसूली पर रोक लगाने की मांग भी की थी।
बारिश इस बार काफी कम होने से हालात खराब हुए हैं। पीने के पानी का संकट नहीं होगा। सिंचाई के लिए नहरों में पानी बांध से नहीं छोड़ा जा सकता है- दिग्विजय सिंह, एक्सईएन सिंचाई प्रखंड, महोबा
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