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    ये हैं रियल लाइफ सैंटा जो वर्ष भर वंचितों में बांटते हैं खुशियां

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 25 Dec 2017 05:23 PM (IST)

    असहाय लोगों की चिकित्सा तो कहीं कोई जरूरतमंद लड़कियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने में शांता की तरह लगा हुआ है। ऐसे ही हैं रमेश कुमार चोखानी और लक्खी जायसव ...और पढ़ें

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    ये हैं रियल लाइफ सैंटा जो वर्ष भर वंचितों में बांटते हैं खुशियां

    कोलकाता [इम्तियाज अहमद अंसारी, सुनील शर्मा]। क्रिसमस की खुशियों में महानगर डूबा हुआ है। बड़ा दिन को लेकर बच्चों में खासा उत्साह है, क्योंकि सैंटा क्लॉज की ओर से उन्हें मनपसंद उपहार मिलते हैं। समाज के कुछ वर्ग ऐसे भी हैं जो खुशियों से वंचित हैं। समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो नि:स्वार्थ भाव से कमजोर तबके के बच्चों में खुशियां बांटते हैं, वे किसी खास मौके पर नहीं बल्कि वर्ष भर इस कार्य से जुड़े रहते हैं। वे लोग शांता क्लॉज से कम नहीं हैं। कहीं कई असहाय लोगों की चिकित्सा तो कहीं कोई जरूरतमंद लड़कियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने में शांता की तरह लगा हुआ है। ऐसे ही हैं रमेश कुमार चोखानी और लक्खी जायसवाल।

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    समाज के रियल सैंटा क्लॉज

    रमेश कुमार चोखानी भी उन्हीं में से एक हैं, जो समाज के रियल शांता क्लॉज हैं। वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों की उच्च शिक्षा में हर तरह से मदद करते हैं। इसमें उनका नारी शिक्षा पर विशेष ध्यान रहता हैं। उनका मानना है कि एक नारी के शिक्षित होने पर पूरा परिवार शिक्षित होता है। इसलिए वे नारी शिक्षा पर विशेष बल देते हैं। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) रमेश कुमार चोखानी मदद स्वरूप छात्र-छात्राओं में पाठ्य पुस्तकें, स्कूली पोशाक, पेंसिल बॉक्स एवं टिफिन बॉक्स वितरण करने के साथ ही उनका स्कूल फीस भी भरते हैं। सीए एवं सीएस की पढ़ाई करने वाली गरीब छात्राओं की फीस की व्यवस्था करते हैं।

    बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने का संकल्प

    कुछ महीने पहले ही उन्होंने उत्तर 24 परगना जिले के कांपा-चाकला ग्राम स्थित जमैयत श्री गांधी आदर्श विद्यालय में जल शुद्धिकरण यंत्र लगवाया ताकि बच्चों का स्वास्थ ठीक रहे। इस प्राथमिक विद्यालय में पढऩे वाले ज्यादातर बच्चे आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। चोखानी ने एक अन्य संस्था की मदद से इस स्कूल में ब्लैकबोर्ड, मेज-कुर्सी से लेकर अन्य बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने का संकल्प लिया है। एक कार्यक्रम में पहुंचे राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ स्थित स्कूल की बच्चियों के खाली पैर देख चोखानी ने तुरंत उन सभी करीब 150 बच्चियों के जूते और मोजे की व्यवस्था की। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कोलकाता स्थित अपने कार्यालय में सैकड़ों जरूरतमंद महिलाओं को शॉल प्रदान किया।

    बच्चों में खुशियां बांटी

    इसके पहले 600 छात्राओं में छाते वितरित किए। चोखानी फाउंडेशन की ओर से इस तरह वर्षभर विद्यार्थियों एवं समाज के अन्य जरूरतमंद लोगों को सहयोग किया जाता है। बच्चों को खुशियां देने के उद्देश्य से रमेश महानगर के डायमंड सिटी प्रांगण में हर साल खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं। इस बार 26 जनवरी को यह प्रतियोगिता आयोजित होगी। रमेश कुमार चोखानी इस संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। इस कार्य में संस्था की एक अन्य मैनेजिंग ट्रस्टी नेहा चोखानी का योगदान भी भरपूर रहता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर रमेश ने डायमंड सिटी के बच्चों में खुशियां बांटी।

    चेहरों पर खुशियां बिखेर मिलती है खुशी

    क्रिसमस ने दस्तक दे दी है। चारों ओर खुशियों का बेल बजने लगा है। हर चेहरे पर क्रिसमस की किलकारियां खिल उठी हैं। शांता अपने पारंपरिक अंदाज में निकल पड़े है, लोगों की जीवन में खुशियां भरने। हमारे बीच भी एक शांता हैं, जिन्हें जरूरतमंद लोगों की तकलीफ को दूर कर खुशी महसूस होती है। उनके प्रयास व पहल से हजारों जरूरतमंद परिवार आज खुशहाल जीवन जी रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इन सामाजिक कार्यों के लिए वह कभी भी श्रेय स्वीकार नहीं करते हैं। हावड़ा के लक्खी जायसवाल, पेशे से व्यवसाई हैं, लेकिन जब बात जरूरतमंद लोगों की मदद की आती है, तो हमेशा मददगार बनकर तैयार हो जाते हैं। गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद करनी हो, बीमार लोगों को मदद चाहिए, हर मौके पर वह अपनी कोशिशों से लोगों की परेशानी को कम करने की पूरी कोशिश करते हैं।

    प्रत्येक साल करते हैं कन्यादान

    भारतीय परंपरा में कन्यादान की तुलना तीरथ से की जाती है। जायसवाल बीते 11 सालों से प्रत्येक साल 21 जरूरतमंद युवतियों का कन्यादान करते आ रहे हैं। बेहद गरीब और मजबूर परिवार के युवक-युवतियों का सामूहिक विवाह मल्लिक फाटक ब्रह्मबाबा देवस्थान संस्था की ओर से मल्लिक फाटक में बड़े धूमधाम से कराया जाता है। इस समारोह में विशेष लोग अतिथि बनते हैं। अगले साल 18 फरवरी को 21 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया जाएगा। नए जोड़ों को संस्था की ओर से जरूरी सामान भी बतौर उपहार उपलब्ध कराया जाता है। वहीं  जायसवाल के आवास स्थल के समीप साप्ताहिक तौर पर भोज का भी आयोजन सालों से हो रहा है, जिसमें 450-500 जरूरतमंद लोग पहुंचते हैं।

    गरीब बच्चों की पढ़ाई

    गरीब बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी जायसवाल सक्रिय रहते हैं। पैसों की कमी के कारण किसी गरीब परिवार के बच्चे की पढ़ाई में कोई बाधा हो, मदद को आगे आते हैं। कोई बीमार हो, उसे पैसों की बेहद जरूरत हो, वह संकोच नहीं करते। इतना ही नहीं उन्होंने जरूरतमंद हजारों परिवारों को गंगा सागर मेले का दर्शन करवाया है। वैष्णो देवी का दर्शन करवाने के लिए उन्होंने एक पूरी ट्रेन बुक कराई और 1400 गरीब परिवारों को देवी का स्मरणीय व दुर्लभ दर्शन करवाया।

    पशुओं से उनका गहरा लगाव 

    मानव सेवा के साथ ही पशुओं से उनका गहरा लगाव है। राह चलते स्वांग, गोमाता व अन्य पशु दिख जाए, जो बीमार या कष्ट में हो, मदद को आतुर हो जाते हैं। कई बार उन्हें आवारा पशुओं के जख्म पर खुद ही दवा लगाते देखा गया है।

    क्या कहते हैं जायसवाल

    उल्लेखनीय है कि जायसवाल आम व जरूरतमंद लोगों के लिए जो कार्य करते हैं, इसके लिए कभी वो किसी से किसी प्रकार की कोई मदद नहीं लेते। उनका कहना है कि लोग खुद ही चलकर उनके सामाजिक कार्यों को समर्थन देने की पेशकश करते हैं। जीवन का 50 दशक देख चुके जायसवाल कहते हैं, कि प्रभु जब तक चाहेंगे वह जरूरतमंद लोगों की मदद इसी प्रकार से करते रहेंगे।

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