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    9 जुलाई का इंतजार, जोर पकड़ सकती है राम मंदिर बनाने की मांग

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Sun, 02 Jul 2017 01:43 PM (IST)

    स्वामी विद्या चैतन्य महाराज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा को संतों के साथ आम लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।

    9 जुलाई का इंतजार, जोर पकड़ सकती है राम मंदिर बनाने की मांग

    नई दिल्ली[स्पेशल डेस्क] ।   अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। लेकिन मंदिर के भव्य निर्माण की मांग जोर पकड़ती जा रही है। संतों का कहना है कि अब इस मुद्दे को लंबे समय तक लटकाने की जरूरत नहीं है। समय समय पर भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी ये कहते रहे हैं कि उन्हें उम्मीद है कि राम मंदिर का निर्माण अगले साल से शुरू हो जाएगा। लेकिन अधिकृत तौर पर भाजपा का ये कहना है कि इस मुद्दे को आपसी बातचीत या न्यायालय के फैसले के द्वारा सुलझाने की जरूरत है। लेकिन इन सबके बीच यूपी में सीतापुर स्थित नारदानंद आश्रम के संत का कहना है कि गुरु पूर्णिमा के दिन वो राममंदिर बनाने के लिए लोगों से समर्थन की अपील करेंगे। 

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    जनअभियान के जरिए मंदिर निर्माण !

    अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की मांग अगले हफ्ते गुरु पूर्णिमा को जोर पकड़ सकती है। सीतापुर के नारदानंद आश्रम में इस संबंध में आगे की कार्ययोजना तय करने के लिए बैठक होगी। उस बैठक में उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से संत और अखाड़े शामिल होंगे। इस बैठक का मकसद है कि किस तरह से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हो सके।


    नारदानंद आश्रम के प्रमुख संत स्वामी विद्या चैतन्य महाराज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा यानि 9 जुलाई को संतों के साथ आम लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए बड़े स्तर पर अभियान की शुरुआत की जाएगी। 27 जून 2017 को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि 2019 से पहले भव्य राममंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

    स्वामी विद्यानंद चैतन्य महाराज ने ये भी कहा कि 9 जुलाई को एक विशेष रथ के जरिए वो अपनी यात्रा शुरू करेंगे। उनकी यात्रा यूपी के दूसरे आश्रमों के साथ पड़ोसी राज्यों राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में लोगों का समर्थन हासिल करेगी। करीब डेढ़ महीने की यात्रा के बाद वो आश्रम आएंगे और मंदिर निर्माण के संबंध में अंतिम कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

    राम राज्य के लिए ऋषि-कृषि कल्याण जरूरी

    राष्ट्रीय किसान मंच के शेखर दीक्षित ने कहा कि जबतक ऋषियों और किसानों के हालात में सुधार नहीं होंगे भारत में रामराज्य का सपना हकीकत में तब्दील नहीं हो पाएगा। ऋषि और कृषि राष्ट्र की धरोहर हैं, उनके हितों की चिंता करनी होगी। ऐसा न होने पर भारत की पूर्णरूप से तरक्की नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर भूमाफिया संतों और किसानों के दुश्मन बने हुए हैं। भूमाफियों की कोशिश संतों और आश्रमों की जमीनों पर कब्जा करने की है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार भूमाफियाओं को सलाखों के पीछे भेजती है तो ये बेहतरीन कदम होगा। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के दिन उनका संगठन इन समस्याओं का सामना करने के लिए शपथ लेगा।

    क्यों फिर उठ रहा है राम मंदिर मुद्दा

    दरअसल, राम मंदिर एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। कहा जाता है कि राम नाम के सहारे ही भारतीय जनता पार्टी सत्ता तक पहुंची थी। इसलिए जहां यह एक आम लोगों से जुड़ा भावनात्मक मुद्दा है तो वहीं दूसरी तरफ एक सियासी मुद्दा भी है जिसे खारिज नहीं किया जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार शिवाजी सरकार ने Jagran.com से ख़ास बातचीत में बताया कि भाजपा के लिए राम मंदिर का मुद्दा चर्चा में बनाए रखना बेहद ज़रुरी है। उन्होंने बताया कि योगी आदित्यनाथ के लिए अयोध्या दौरा भले ही एक व्यक्तिगत श्रद्धा हो, लेकिन राजनाथ सिंह के बाद वह दूसरे प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने 15 वर्षों के बाद वहां का दौरा किया है। ऐसे में योगी के वहां जाने के बाद अयोध्या मुद्दे की गूंज सियासी गलियारे में सुना जाना लाजिमी है।


    क्यों अयोध्या मुद्दे को चर्चा में बनाए रखना चाहती है भाजपा

    यह सवाल इसलिए इस वक़्त उठ रहा है क्योंकि 30 मई यानि मंगलवार को बाबरी विध्वंस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे बड़े नेताओं पर आरोप तय होने के महज 24 घंटे के अंदर बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अयोध्या के दौरे पर पहुंचे और वहां रामलला का दर्शन किया। दरअसल, शिवजी सरकार की मानें तो योगी के अयोध्या दौरे के बाद खुद-ब-खुद राम मंदिर का मुद्दा चर्चा में जाएगा भले ही वह इस बारे में कुछ बोलें या ना बोलें क्योंकि मुख्यमंत्री के वहां जाने मात्र से ही उसका कहीं ना कहीं एक राजनीतिक संदेश लोगों में जाता है।

    क्या 2019 में फिर राम मंदिर बनेगा बड़ा मुद्दा

    ये बात इसलिए यहां उठ रही है क्योंकि पिछले कई चुनावों में राम मंदिर की जगह भारतीय जनता पार्टी ने विकास को अपना प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया और अयोध्या मुद्दे को बहुत ज्यादा तूल नहीं दिया गया। राजनीतिक विश्लेषक शिवाजी सरकार का कहना है कि यह मुद्दा फिलहाल अदालत में है इसलिए सरकार बहुत ज्यादा कुछ करने की हालत में नहीं है। लेकिन, जिस तरह अभी से राम मंदिर को उठाया जा रहा है वह भविष्य में इस बात के सियासी संकेत हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या एक बड़ा मुद्दा बनेगा।

    क्यों कांग्रेस राम मंदिर को नहीं भुना पायी

    वरिष्ठ पत्रकार शिवाजी सरकार से जब यह बात पूछी गई तो उनका कहना है कि इसकी एक बड़ी वजह है कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति। कांग्रेस हमेशा से दो नावों पर सवार होने की कोशिश करती रही। यही वजह है कि भारत के बहुसंख्यक लोगों के बीच राम मंदिर मुद्दे को भुनाने में तुष्टिकरण के चलते उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा और उसके अपने वोटर उनका हाथ छोड़ते चले गए। जबकि, भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को भले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया लेकिन भाजपा ने हमेशा यह बात कही कि राम मंदिर का मुद्दा देश के बहुसंख्यक लोगों की आस्था से जुड़ा है और वह जरूर बनना चाहिए। भाजपा ने इस मुद्दे पर कभी भी तुष्टिकरण की राजनीति नहीं की। यही वजह रही कि लगातार लोगों का भाजपा की ओर जुड़ाव होता चला गया।

    पिछले 6 महीनों से राम मंदिर निर्माण में अकेले क्यों जुटे हैं रजनीकांत?