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    ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवसेना को दिलाई मराठी अस्मिता की याद, भड़क गए संजय राउत; बोले- महाराज...समझें इतिहास

    Updated: Thu, 13 Feb 2025 06:51 PM (IST)

    महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को हादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया है। इसे लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच वार-पलटवार जारी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मराठा समाज सब देख रहा है कि वे (शिवसेना) मराठा गौरव को कैसे संभालेंगे? इसपर संजय राउत ने सिंधिया के परदादा जयजीराव सिंधिया का नाम लेकर उनपर तंज किया।

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    एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार दिए जाने पर सियासत जारी है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार दिए जाने पर एक दूसरे पर कटाक्ष किया है।

    एकनाथ शिंदे को ये सम्मान एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार के हाथों से मिला है। एकनाथ शिंदे को पुरस्कार मिलने के बारे में पूछे जाने पर शिवसेना नेता संजय राउत ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "क्या आप जानते हैं कि यह पुरस्कार किसने दिया? राजनीतिक नेताओं को दिए जाने वाले ऐसे पुरस्कार या तो खरीदे जाते हैं या बेचे जाते हैं।"

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    'मराठा समाज देख रहा है...'

    संजय राउत के इस बयान के बाद केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तंज करते हुए कहा कि मराठा समाज देख रहा है। उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों को त्याग दिया, हिंदुत्व और मराठा स्वाभिमान का अपमान किया, वे मराठा गौरव को कैसे संभालेंगे? जिन्होंने अपने समाज में सम्मान और समर्थन खो दिया है, वे दूसरों को सम्मानित होते देखकर दुखी हैं।"

    सिंधिया के 'इतिहास' पर क्या पर संजय राउत का तंज?

    ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान पर पलटवार करते हुए संजय राउत ने उनके इतिहास पर तंज किया उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, " महाराज ! इतिहास को समझें। वीर महादजी शिंदे एक महान आत्म-सम्मानित मराठा योद्धा थे। उनके नाम पर भगोड़ों को पुरस्कार देना महादजी शिंदे का अपमान है। जयजीराव शिंदे के नाम पर एकनाथ शिंदे को पुरस्कार देने में कोई आपत्ति नहीं है। महादजी ने दिल्ली के सामने झुकने से इनकार कर दिया!"

    दरअसल जयाजीराव सिंधिया 1843 से 1886 तक ग्वालियर के महाराजा रहे और कहा जाता है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया था। ज्योतिरादित्य सिधिंया उनके परपोते हैं. राजनीति में सिंधिया परिवार को महाराजा जयाजीराव के उस समय के फैसले के लिए अक्सर हमलों का सामना करते रहने पड़ा है। 

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