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    पहली बार सीमा की 15 चौकियां महिलाओं के हवाले

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Mon, 24 Oct 2016 07:46 PM (IST)

    भारत-तिब्बत सीमा पर बनी पंद्रह चौकियों पर महिला जवानों को तैनाती दी गई है। सीमा पुलिस के बेड़े में हाइस्पीड यूटिलिटी वाहन को शामिल किया गया है।

    ग्रेटर नोएडा, (जागरण संवाददाता)। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) के लिए युगांतकारी समय है। पहली बार महिला जवानों को देश की सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात किया है। भारत-तिब्बत सीमा पर बनी पंद्रह चौकियों पर महिला जवानों को तैनाती दी गई है। सीमा पुलिस के बेड़े में हाइस्पीड यूटिलिटी वाहन को शामिल किया गया है। कुल 27 दुर्गम स्थानों पर सड़क निर्माण की योजना है। आठ स्थानों पर काम पूरा हो चुका है, जबकि छह स्थानों पर काम चल रहा है। ये जानकारी आइटीबीपी के 55वें स्थापना दिवस परेड में महानिदेशक कृष्णा चौधरी ने दी। ग्रेटर नोएडा स्थित 39वीं वाहिनी कैंप में सोमवार को परेड निरीक्षण के बाद उन्होंने 71 जवानों को पुलिस सेवा पदक व विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया।

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    आइटीबीपी के महानिदेशक कृष्णा चौधरी ने बताया कि अभी तक कार्यालय के कामकाज में हाथ बंटाने वाली महिला जवान भी सुरक्षा प्रहरी के रूप में देश की सीमा पर तैनात की गई हैं। महिलाओं ने बर्फीली चोटियों पर देश की रक्षा के लिए चुनौतियों से भरे कदम बढ़ाने में शौर्य व साहस दिखाया है। शुरुआती चरण में पंद्रह चौकियों पर महिला जवानों को तैनात किया गया है। महिलाओं के लिए 27 और नई चौकियां बनाई जा रही हैं। इनमें से आठ बनकर तैयार हैं, छह का निर्माण कार्य जल्द पूरा हो जाएगा।

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    छत्तीसगढ़ में खेमा मजबूत

    आइटीबीपी ने नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में अपने खेमे को और मजबूत किया है। अभी तक यहां मात्र तीन बटालियन को लोगों की मदद के लिए तैनात किया गया था। कुछ दिनों पूर्व पांच और बटालियन को यहां तैनात कर दिया गया है। आइटीबीपी की कुल आठ बटालियन को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ तैनात किया गया है। महानिदेशक ने बताया कि आइटीबीपी के 171 जवानों को लॉ एंड आर्डर संभालने सहित वीवीआइपी ड्यूटी में लगाया गया है। आइटीबीपी को विशेष सेवा के लिए निर्भया पदक से भी एक एनजीओ ने सम्मानित किया है।

    अफगानिस्तान में विशेष जिम्मेदारी

    महानिदेशक ने कहा कि अफगानिस्तान में भी दूतावास की सुरक्षा की जिम्मेदारी आइटीबीपी को मिली है। इस वर्ष जनवरी में भारतीय वाणिज्य दूतावास मजार-ए-शरीफ व मार्च में जलालाबाद में हुए फिदाइन हमले को नाकाम कर उनके दांत खट्टे कर दिए थे। आइटीबीपी के जवानों ने आपरेशनल कार्यकुशलता व बहादुरी से हमलों का जवाब दिया।

    धौलागिरी फतह करना लक्ष्य

    आइटीबीपी भारत ही नहीं, विदेशों में भी 204 चोटियों को सफलतापूर्वक आरोहण के बाद अगले वर्ष नेपाल स्थित धौलागिरी पर्वत को फतह करने की योजना तैयार कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश में आइटीबीपी के पर्वतारोहण अभियान में माउंट कांग्टो पर फतह करने लिए बेस कैंप स्थापित किया है। अभी तक कोई भी भारतीय अभियान यहां बेस कैंप तक स्थापित नहीं कर पाया है, इसलिए आइटीबीपी का यह अभियान इतिहास में दर्ज होगा।

    भवनों को स्वीकृति : देश के सीमांत क्षेत्र में सभी फील्ड यूनिटों के लिए आधारभूत ढांचे की कमी को दूर करने के लिए दो हजार से अधिक भवनों को स्वीकृति मिली है। इसे महत्वाकांक्षी योजना में शामिल किया गया है। लद्दाख व अरुणाचल प्रदेश में कम्पोजिट बीओपी भवन को स्वीकृति मिली है। यह पूरी तरह से सोलर सिस्टम से लैस होगी। न्यूनतम 30 डिग्री तापमान में भी इन भवनों का तापमान 22 डिग्री तक बना रहेगा। यह भवन जीवाश्म शौचालय से भी अपडेट रहेगा।

    होलीडे होम योजना लांच

    महानिदेशक ने बताया कि वाहिनी के जवानों के लिए अब छुट्टियां बिताना आसान होगा। परिवार के साथ पिकनिक स्पॉट पर जाने वाले जवान होली-डे योजना का लाभ ले सकेंगे। न्यूनतम मूल्य अदा करने के बाद जवान होली-डे होम में परिवार के लिए कमरा बुक करा सकेंगे। इसके लिए जल्द ही आनलाइन बु¨कग योजना शुरू की जाएगी। इसका लाभ अ‌र्द्धसैनिक बल सीआरपीएफ, आइटीबीपी व सीआइएसएफ को भी मिलेगा।

    श्वान व घोड़ा को भी पदक

    पहली बार पदक के लिए श्वान सोफिया (कुत्ता) व अश्व थंडरबोल्ट (घोड़ा) को चयनित किया गया। परेड की सलामी लेने के बाद महानिदेशक ने अश्व व श्वान के गले में पदक पहना कर उन्हें सैल्यूट किया। उन्होंने बताया कि सोफिया छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में दुश्मनों के आहट को पहचान कर उनके हथियार लेकर भाग निकली थी। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सोफिया ने कई बार बारूदी सुरंग से भी जवानों के प्राणों की रक्षा की है। उसके विशेष योगदान के लिए उसे पदक देकर सम्मानित किया गया। जबकि अश्व थंडरबोल्ट आठ बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत कर आइटीबीपी का नाम रोशन कर चुका है। सोफिया व थंडरबोल्ट ने पदक जीत कर नए युग की शुरुआत की है।

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