Chandrayaan-2 ने भेजी चांद की बेहद खास तस्वीर, दिख रहा भारतीय साइंटिस्ट के नाम का क्रेटर
चंद्रयान-2 के टेरैन मैपिंग कैमरे ने 23 अगस्त को लगभग 4375 किमी की ऊंचाई से चांद के सतह की तस्वीर ली थी।
नई दिल्ली, एएनआइ। इसरो (ISRO) थोड़े-थोड़े समय में चांद के साऊथ पोल की ओर बढ़ रहे चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) द्वारा ली गई तस्वीरें साझा कर रहा है। अब इसरो ने चंद्रयान -2 के टेरैन मैपिंग कैमरा-2 (TMC-2) से खींची गई चांद की सतह की बेहद शानदार तस्वीर साक्षा की हैं।
चंद्रयान-2 के टेरैन मैपिंग कैमरा-2 द्वारा ये तस्वीर 23 अगस्त को लगभग 4375 किमी की ऊंचाई से ली गई थी। तस्वीर में जैक्सन, मच, कोरोलेव और मित्रा जैसे क्रेटर दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि क्रेटर मित्रा का नाम प्रोफेसर शिशिर कुमार मित्रा के नाम पर रखा गया है।
Lunar surface imaged by Terrain Mapping Camera-2(TMC-2) of #Chandrayaan2 on August 23 at an altitude of about 4375 km showing craters such as Jackson, Mach, Korolev and Mitra (In the name of Prof. Sisir Kumar Mitra)
For more images please visit https://t.co/ElNS4qIBvh" rel="nofollow pic.twitter.com/T31bFh102v — ISRO (@isro) August 26, 2019
चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह पर मौजूद जिन गढ्डों की तस्वीरें ली है उनमें सोमरफेल्ड, किर्कवुड, जैक्सन, मच, कोरोलेव, मित्रा, प्लास्केट, रोज्देस्टेवेन्स्की और हरमिट शामिल हैं। इन गढ्डों के नाम महान वैज्ञानिकों, अंतरिक्षयात्रियों और भौतिकविदों के नाम पर रखे गए हैं। मित्रा गढ्डे का नाम प्रसिद्ध भारतीय भौतिकविद और पद्मभूषण से सम्मानित प्रोफेसर एस कुमार मित्रा के नाम पर रखा गया है। उन्हें आयनमंडल और रेडियोफिजिक्स के क्षेत्र में अग्रणी कार्य के लिए जाना जाता है।
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ISRO ने चांद के साऊथ पोल में चंद्रयान-2 की लैंडिंग का लक्ष्य रखा है, जहां अभी तक कोई देश नहीं पंहुचा है। देश के इस लो-कॉस्ट प्रोग्राम पर पूरे देश की नजरें हैं। चंद्रयान 2 का अगला जरूरी पड़ाव सितम्बर 7 को है। इस दिन विक्रम लैंडर चांद के साऊथ पोल पर लैंड करेगा। अगर यह हुआ, तो भारत दुनिया में ऐसा पहला देश होगा, जो लूनर साऊथ पोल के पास सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
भारत का दूसरा चंद्र अभियान
यह भारत का दूसरा चंद्र अभियान है। 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 की मदद से चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया गया था। 2008 में भारत ने आर्बिटर मिशन चंद्रयान-1 भेजा था। यान ने करीब 10 महीने चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है। चंद्रयान-2 से इस दिशा में भी नए प्रमाण जुटाए जाने की उम्मीद है।
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