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भारत के Gaganyaan project को इस देश का मिला साथ, देगा क्रायोजनिक इंजन

Gaganyaan project भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) अपने पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान को 2022 में लांच करने की तैयारी कर रहा है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 07:23 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 10:43 PM (IST)
भारत के Gaganyaan project को इस देश का मिला साथ, देगा क्रायोजनिक इंजन
भारत के Gaganyaan project को इस देश का मिला साथ, देगा क्रायोजनिक इंजन

चेन्नई, आइएएनएस। भारत के महत्वाकांक्षी अभियान गगनयान (Gaganyaan Project) में मदद को रूस (Russia) ने हाथ बढ़ाया है। इसके लिए उसने भारत को क्रायोजनिक इंजन (Cryogenic Engine) देने का प्रस्ताव किया है। रूस की सरकारी एजेंसी स्पेस कारपोरेशन 'रोस्कोसमोस' (Roscosmo) ने कहा कि भारत रूस से जल्द अपने गगनयान अभियान को लेकर बात करने वाला है।

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भारत रूस से गगनयान के लिए कई जरूरी उपकरण खरीदना चाहता है। इनमें गगनयान में लगनेवाली वैज्ञानिकों के लिए सीटें, खिड़कियां तथा वो पोशाक प्रमुख हैं जो अंतरिक्ष यात्रा पर वैज्ञानिक पहनते हैं। 'रोस्कोसमोस' के मुताबिक, इस संबंध में 4 से 6 सितंबर के बीच रूस के ब्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनामिक फोरम की बैठक के दौरान उच्च स्तरीय वार्ता हो सकती है।

21 अगस्त को मास्को में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तथा महानिदेशक डिमिट्री रोगोजिन के बीच हुई बातचीत के बाद 'रोस्कोसमोस' ने एक बयान में कहा कि इस वार्ता में अंतरिक्ष अभियान, उपग्रह नेविगेशन तथा इंजन टेक्नालोजी समेत कई अन्य महत्वपूर्ण सहयोग पर विचार-विमर्श किया जाएगा। दोनों देशों के उच्च अधिकारियों के बीच भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और रूस की ग्लावकोसमोव के बीच व्यापक सहयोग और चार भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को यूरी गागरिन अंतरिक्ष प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनिंग देने पर चर्चा हुई। इस संबंध में अगस्त माह के अंत तक एक समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। 'रोस्कोसमोस' ने कहा कि भारत अपने पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान को 2022 में लांच करने की तैयारी कर रहा है।

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रूस के  मास्को में बनेगा भारत का ग्राउंड स्टेशन
इस बीच इसरो के अध्यक्ष के.सिवन ने रविवार को एक साक्षात्कार में कहा कि रूस ने भारत को अंतरिक्ष टेक्नालोजी के साथ-साथ सेमी क्रायोजनिक इंजन टेक्नालोजी देने का भी प्रस्ताव किया है। इसके अतिरिक्त गगनयान के लिए अन्य महत्वपूर्ण उपकरण एवं सामान भी देने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने बताया कि रूस ने सेमी क्रायोजनिक राकेट इंजन टेक्नालोजी को भारत को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत देने का प्रस्ताव किया है। राकेट इंजन को भारत में ही बनाया जाएगा और उसका इस्तेमाल हम अपने राकेट में करेंगे। सिवन ने कहा कि दोनों देश अपने-अपने यहां ग्राउंड स्टेशन की भी स्थापना करेंगे। रूस में भारत का ग्राउंड स्टेशन मास्को में तो रूस का भारत में ग्राउंड स्टेशन बेंगलुरु में स्थापित होगा। इससे उपग्रह नेविगेशन सिग्नल अचूक और सटीक होंगे।

सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में उतरेगा लैंडर विक्रम
इसरो वैज्ञानिक के.सिवन ने कहा कि फिलहाल हम अपना सारा ध्यान अपने चंद्रयान-2 अभियान पर लगा रहे हैं जो अभी चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। सात सितंबर को अलग होकर लैंडर विक्रम रात में करीब 1.55 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में उतरेगा।


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