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    BNS विधेयक ने आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हटाया, अप्राकृतिक यौन संबंध; व्यभिचार पर IPC प्रविधान होंगे खत्म

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sun, 13 Aug 2023 11:28 PM (IST)

    भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक में अप्राकृतिक यौन संबंध और व्यभिचार पर दो प्रविधानों को हटाया गया है। इस विधेयक को भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के स्थान पर लाया जा रहा है। बीएनएस विधेयक में व्यभिचार के अपराध से संबंधित कोई प्रविधान नहीं है। बीएनएस विधेयक ने धारा 309 में बड़ा संशोधन करते हुए आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हटा दिया।

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    बीएनएस विधेयक आइपीसी के तहत राजद्रोह के अपराध को निरस्त करने का करता है प्रस्ताव। फाइल फोटो।

    नई दिल्ली, पीटीआई। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक में अप्राकृतिक यौन संबंध और व्यभिचार पर दो प्रविधानों को हटाया गया है, जिन्हें 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने क्रमश: कमजोर और समाप्त कर दिया था। बीएनएस को भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के स्थान पर लाया जा रहा है।

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    अप्राकृतिक यौन संबंध पर नहीं है कोई प्रविधान

    आइपीसी के तहत धारा 377 में कहा गया है, जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या जानवर के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाता है, उसे (आजीवन कारावास से) दंडित किया जाएगा या 10 साल तक की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा। छह सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से धारा 377 के एक हिस्से को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था। हालांकि, नए बीएनएस विधेयक में अप्राकृतिक यौन संबंध पर कोई प्रविधान नहीं है।

    पुरुषों के लिए अपराध था व्यभिचार

    इसी तरह 27 सितंबर, 2018 को पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से आइपीसी की धारा 497 को निरस्त कर दिया था, जिसके तहत व्यभिचार पुरुषों के लिए एक अपराध था, लेकिन महिलाओं को इसके लिए दंडित नहीं किया जाता था।

    अपराध की श्रेणी से हटा आत्महत्या

    बीएनएस विधेयक में व्यभिचार के अपराध से संबंधित कोई प्रविधान नहीं है। वर्ष 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के पारित होने तक आत्महत्या का प्रयास आइपीसी की धारा 309 के तहत एक दंडनीय अपराध था। बीएनएस विधेयक ने धारा 309 में बड़ा संशोधन करते हुए आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हटा दिया।

    कुछ मामलों में आत्महत्या के प्रयास को अपराध मानती है धारा 224

    मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 की धारा 115 के तहत आत्महत्या के प्रयास को गंभीर मानसिक तनाव का नतीजा माना गया था। बीएनएस विधेयक 2023 में आइपीसी की धारा 309 की तरह आत्महत्या के प्रयास के लिए अलग अपराध का कोई उल्लेख नहीं है। हालांकि, नए विधेयक में धारा 224 है, जो कुछ मामलों में आत्महत्या के प्रयास को अपराध मानती है।

    लोक सेवक पर भी होगी कार्रवाई

    बीएनएस विधेयक की धारा 224 के अनुसार, जो कोई भी किसी लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए मजबूर करने या रोकने के इरादे से आत्महत्या करने का प्रयास करेगा, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

    नाबालिगों से दुष्कर्म पर हो सकती है मौत की सजा

    बीएनएस विधेयक आइपीसी के तहत राजद्रोह के अपराध को निरस्त करने का प्रस्ताव करता है और उन्मादी भीड़ द्वारा की गई हत्या (माब लिंचिंग) तथा नाबालिगों से दुष्कर्म जैसे अपराधों के लिए अधिकतम सजा के रूप में मौत की सजा का प्रविधान करता है।

    आतंकवाद शब्द को किया गया है परिभाषित

    पहली बार आतंकवाद शब्द को बीएनएस विधेयक के तहत परिभाषित किया गया है, जो आइपीसी के तहत नहीं था। बीएनएस विधेयक के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से भारत या किसी अन्य देश में कोई कृत्य करता है, तो उसे आतंकवादी कृत्य माना जाएगा।