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    जैसलमेर के सीमावर्ती 56 गांवों में पहली बार पहुंचा इंटरनेट, ग्रामीणों में काफी खुशी का माहौल

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 03:20 AM (IST)

    चार दिन पहले 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीएसएनएल के स्वदेशी 4जी टावरों के उद्घाटन करने के साथ भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जैसलमेर के 56 गांव पहली बार इंटरनेट सेवा से जुड़ गए हैं। इन गांवों में मोबाइल फोन पर बात करना भी मुश्किल था। बीएसएफ की सीमा चौकियों पर भी 4जी नेटवर्क के साथ 49 टावर शुरू हो गए हैं।

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    जैसलमेर के सीमावर्ती 56 गांवों में पहली बार पहुंचा इंटरनेट (सांकेतिक तस्वीर)

     जागरण संवाददाता, जयपुर। चार दिन पहले 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीएसएनएल के स्वदेशी 4जी टावरों के उद्घाटन करने के साथ भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जैसलमेर के 56 गांव पहली बार इंटरनेट सेवा से जुड़ गए हैं। इन गांवों में मोबाइल फोन पर बात करना भी मुश्किल था।

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    अब बॉर्डर से जवान कर सकेंगे वीडियो कॉल

    बीएसएफ की सीमा चौकियों पर भी 4जी नेटवर्क के साथ 49 टावर शुरू हो गए हैं। इससे ग्रामीण व जवान बिना रुके न केवल यू-ट्यूब आसानी से एक्सेस कर सकेंगे, बल्कि वीडियो काल भी कर पाएंगे। नए टावरों को सौर ऊर्जा से ऑपरेट करने की सुविधा भी है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

     91 सीमा चौकियों पर मोबाइल नेटवर्क के टावर लगाए गए

    बीएसएनएल के जोधपुर क्षेत्रीय कार्यालय के महाप्रबंधक एनआर बिश्नोई ने बताया कि जैसलमेर की अभयवाला, टैंक किल, मुरार, विनोद एवं एमकेटी सहित 91 सीमा चौकियों पर मोबाइल नेटवर्क के टावर लगाए गए हैं।

    49 टावरों पर स्वदेशी तकनीक से विकसित 4जी नेटवर्क शुरू कर दिया गया है। बचे टावर अगले एक महीने में चालू हो जाएंगे। सभी अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। बीएसएनएल का यह स्वदेशी 4जी नेटवर्क 5जी में आसानी से अपग्रेड हो सकता है।

    ग्रामीणों में काफी खुशी है

    बीएसएफ राजस्थान फ्रंटियर के महानिरीक्षक एमएल गर्ग ने कहा कि इन टावरों से अंतरराष्ट्रीय सीमा से 200 मीटर दूर तक नेटवर्क की उपलब्धता हो गई है।

    उधर, सीमावर्ती इलाके के जीवराज सिंह की ढाणी, हरनाऊ, करम वाला, झंडा खारा, गणेशाऊ, कोठा आदि गांवों में, जहां चार दिन पहले तक मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा नहीं थी, अब वे 4जी नेटवर्क से जुड़ गए हैं और ग्रामीणों में काफी खुशी है।

     गांवों में लड़कों की शादी में कठिनाई होती थी

    ग्रामीण हुकुम सिंह ने बताया कि गांवों में लड़कों की शादी में कठिनाई होती थी। लड़की के स्वजनों को पता चलता कि गांव में मोबाइल सेवा नहीं है तो वे इन्कार कर देते थे। युवाओं को सरकारी नौकरी के बारे में जानने, फार्म भरने या अन्य कामों के लिए जयपुर, जोधपुर या जैसलमेर जाना पड़ता था। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं पोस्ट आफिस के कर्मचारी भी परेशान थे।