सर्वांगासन: नेत्र दृष्टि, कब्ज, माइग्रेन के साथ अस्थमा के रोगियों के लिए लाभकारी
सर्वांगासन करने से शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है इसलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन में समग्र अंतस्त्रावी ग्रंथियां तंतु एवं मस्तिष्क सहित सारे अंग प्रभावित होते हैं
नई दिल्ली, जेएनएन। International Yoga Day 2020 योगाभ्यास एक ऐसी विधि है जिससे स्वास्थ्य लाभ के साथ मानसिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। इससे कई रोगों में एक साथ लाभ संभव है, कोरोना काल में स्वस्थ रहने का यह बेहतर माध्यम है। इस समय तमाम रोगों से खुद का बचाव भी करना है और कोरोना से लड़ने के लिए खुद को आंतरिक रूप से मजबूत भी करना है। अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह के दौरान आज बात सर्वांगासन के बारे पर।
सर्वांगासन योग क्या है : सर्वा का मतलब होता है सभी। इसका अर्थ हुआ कि वैसा आसन जो शरीर के हर भाग या अंगों को प्रभावित करता हो। यह आसन शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर मजबूत करता है। यह कंधों पर खड़े होने वाला आसन है और इसे उत्तानपादासन एवं विपरीतकरणी मुद्रा का विकसित रूप कहा जा सकता है।
लाभ
- नेत्र दृष्टि को बढ़ाने में सहायक है
- अपच एवं कब्ज से निजात दिलाता है
- अस्थमा के रोगियों के लिए लाभकारी है
- सिर दर्द और माइग्रेन को कम करने में प्रभावी है
- अनिद्रा वाले रोगियों के लिए लाभदायक आसन है
- यह मधुमेह के नियंत्रण के लिए लाभकारी आसन है
- अंत:स्नावी ग्रंथियों के विकारों का उपचार करने में लाभप्रद है
- मेटाबोलिज्म को संतुलित करते हुए वजन को बढ़ने से रोकता है
- बालों से संबंधित परेशानी जैसे सफेद होना, बालों का झड़ना इत्यादि में लाभ पहुंचाता है
विधि
- पीठ के बल लेट जाएं
- हाथों को जांघों के पास रखें
- अब पैरों को पहले 30 डिग्री फिर 60 डिग्री और उसके बाद 90 डिग्री तक ले कर जाएं
- हाथों को दबाकर पांवों को सिर की ओर लाएं
- सहारे के लिए हथेलियां पीठ पर रखें
- अपने शरीर को सीधा इस तरह से करें कि ठोड़ी छाती पर आकर लगे
- अपने हिसाब से इस मुद्रा को धारण करें
- जब नीचे लौटते हैं तो अपने हाथों को नीचे लाएं ताकि शरीर को बगैर किसी चोट के आरंभिक अवस्था में ला सकें
सर्वांगासन करने से शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है इसलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन में समग्र अंत:स्त्रावी ग्रंथियां, तंतु एवं मस्तिष्क सहित सारे अंग प्रभावित होते हैं। सर्वांगासन की पूर्ण अवस्था में ठुड्डी कंठकूप से लग जाने के कारण फेफड़ों के ऊपर जो दबाव पड़ता है, उससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह संतुलित होता है। इस आसन में फेफड़ों को शुद्ध रक्त मिलता है, जिससे उनकी क्षमता में वृद्धि होती है। कोरोना जैसी बीमारी मुख्यत: श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है और इस आसन से श्वसन तंत्र मजबूत होता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सर्वांगासन के बाद मत्स्यासन जरूर करना चाहिए। मत्स्यासन से फेफड़े फैलते हैं, जिससे उनकी क्षमता बढ़ती है और कोरोना से बचाव होता है।
- डॉ. एसएस शर्मा, योग विभागाध्यक्ष, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर