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    AS Dulat: कौन हैं एएस दुलत? कश्मीर पर लिखी किताब, अब चर्चा में... फारूक और वाजपेयी के रहे करीबी

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 05:22 PM (IST)

    रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व प्रमुख एक बार फिर चर्चा में हैं। हमेशा की तरह उनकी किताब में किए दावे को लेकर दुलत ने फिर से सुर्खियां बटोरी हैं। पंजाब के सियालकोट में जन्मे एएस दुलत ने वाजपेयी सरकार के दौरान रॉ के प्रमुख के रूप में काम किया था। रिटायरमेंट के बाद भी वाजपेयी ने उन्हें पीएमओ का हिस्सा बनाया था।

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    दुलत राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल हुए थे (फोटो: जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत की किताब द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई की काफी चर्चा हो रही है। दुलत ने अपनी किताब में धारा 370 और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को लेकर बड़ा दावा किया है।

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    दुलत ने लिखा है कि कश्मीर से धारा 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को फारूक अब्दुल्ला का निजी तौर पर समर्थन था। हालांकि उन्होंने किताब में ये भी दावा किया है कि फारूक इस बात को लेकर नाराज भी थे कि केंद्र सरकार ने फैसले से पहले उन्हें विश्वास में क्यों नहीं लिया। लेकिन ऐसा नहीं है कि दुलत पहली बार चर्चा में आए हों। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से लेकर मुफ्ती मोहम्मद सईद पर टिप्पणी तक, उन्होंने कई बार सुर्खियां बटोरीं।

    आज के एक्सप्लेनर में आपको बताएंगे रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत और उनसे जुड़े किस्सों के बारे में...

    एएस दुलत का जन्म पंजाब के सियालकोट में दिसंबर 1940 में एक सिख परिवार में हुआ था। भारत के विभाजन के समय उनके पिता जस्टिस शमशेर सिंह दुलत परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गए। एएस दुलत ने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से अपनी शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन किया।

    दुलत का रुझान सिविल सर्विस की तरफ हुआ, तो उन्होंने यूपीएससी का इम्तिहान दिया। पहले अटेम्प्ट में तो उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन 1964 में दूसरे प्रयास में उन्होंने एग्जाम क्रैक कर लिया। उन्हें राजस्थान कैडर मिला और बतौर आईपीएस दुलत ने अपनी सेवा देनी शुरू कर दी।

    कश्मीर में बिताया काफी समय

    एएस दुलत ने इंटेलीजेंस ब्यूरो जॉइन कर लिया। 1990 में जब कश्मीर में काफी उथल-पुथल मची थी, तब उन्होंने आईबी में कश्मीर का प्रभार लिया। दुलत ने एक बार कहा था कि 'कश्मीर ने मुझे इंटेलीजेंस का असली खेल समझाया। अगर आप ये खेल जल्दी नहीं समझ पाए, तो कश्मीर जैसी जगह में शायद ही दूसरा मौका मिले।'

    1999 में दुलत ने आईबी छोड़कर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ जॉइन कर लिया, लेकिन कश्मीर से उनका जुड़ाव बना रहा। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में दुलत को रॉ का चीफ बनाया गया। दुलत जब रिटायर हो गए, तो उन्होंने 2004 तक पीएमओ में काम किया।

    कई बार चर्चा में भी रहे

    • अमरजीत सिंह दुलत अपने कार्यकाल के दौरान जितना कभी चर्चा में नहीं रहे होंगे, उससे ज्यादा रिटायरमेंट के बाद रहे हैं। दुलत ने एक बार हैदराबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में पुलवामा हमले को लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए एक तोहफा बताते हुए कहा था कि इसने भारत को पाकिस्तान के आंतकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का अधिकार दे दिया था।
    • दुलत की एक किताब के कारण पाकिस्तान के पूर्व जासूस असद दुर्रानी पर कई बंदिशें लगा दी गई थीं, तब उन्होंने दुर्रानी के पक्ष में बयान दिया था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में दुलत भी शामिल हुए थे। इसे लेकर भाजपा नेता अमित मालवीय ने उन पर निशाना भी साधा था।
    • अपनी किताबों में किए कई दावों को लेकर भी एएस दुलत काफी चर्चा में रहते हैं। कश्मीर पर अपनी एक किताब में दुलत ने दावा किया था कि पीडीपी के पू्र्व प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद और अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी के बीच बेहद करीबी संबंध थे और गिलानी ने ही पीडीपी को बनाने में मुफ्ती की मदद की थी।

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