अगले महीने शुरू होगा सबसे बड़ा ड्रोन अभ्यास, एयर मार्शल राकेश सिन्हा ने बताई इसकी अहमियत
मध्य प्रदेश में 6 से 10 अक्टूबर के बीच सशस्त्र सेनाओं का एकीकृत अभ्यास होगा जिसमें ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का परीक्षण किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह सबसे बड़ा अभ्यास है और इसका उद्देश्य देश की हवाई रक्षा क्षमताओं का आकलन करना है। इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के साथ उद्योग भागीदार और अनुसंधान संगठन भी शामिल होंगे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सशस्त्र सेनाओं का बड़ा एकीकृत अभ्यास 6 से 10 अक्टूबर के बीच मध्य प्रदेश में होने जा रहा है। हेडक्वार्टर्स इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (एचक्यू आइडीएस) की तरफ से कोल्ड स्टार्ट नाम के इस अभ्यास में ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का गहन परीक्षण किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे बड़ा अभ्यास माना जा रहा है। इसका मकसद देश की मौजूदा हवाई रक्षा क्षमताओं के प्रभाव को आंकना और उसकी खामियों को ठीक करना है।
एयर डिफेंस सिस्टम पर एक सम्मेलन में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (ओपीएस) के डिप्टी चीफ एयर मार्शल राकेश सिन्हा ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से तमाम सबक मिले और हमें अपने दुश्मन की सैन्य सोच और योजना से आगे रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के अलावा उद्योग भागीदार, अनुसंधान और विकास संगठन और शैक्षणिक संस्थान भी शामिल होंगे। हमारा लक्ष्य बेजोड़ एयर डिफेंस सिस्टम और काउंटर यूएएस (अनमैन्ड एरियल सिस्टम) बनाने का है।
'ड्रोन अब सिर्फ सहायक उपकरण नहीं'
कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने हमें चेतावनी के साथ-साथ यूएएस के खिलाफ हमारी कार्रवाई को तेज करने का अवसर भी दिया है, ताकि अगली मुठभेड़ में हमें कठिन सबक न सीखना पड़े। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि ड्रोन अब सिर्फ सहायक उपकरण नहीं रह गए हैं, बल्कि किसी भी बड़े संघर्ष में उनकी अहम भूमिका है। हमने प्रत्यक्ष रूप से देखा है कि ड्रोन किस तरह से आपरेशनों को आकार देते हैं। ये खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और काइनेटिक आपरेशन में मदद करते हैं। इनसे ये भी पता चला कि दुश्मन के ड्रोन सेना की सुरक्षा और रणनीतिक उद्देश्यों को कैसे खतरे में डाल सकते हैं।
तीनों सेनाओं की भागीदारी वाला ये अभ्यास महीनेभर पहले हुए रण संवाद कार्यक्रम के बाद होने जा रहा है। मध्य प्रदेश के महो में स्थित आर्मी वार कालेज में आयोजित रण संवाद में भी पहली बार तीनों सेनाओं का संयुक्त सेमिनार हुआ था, जिसमें युद्ध, युद्ध सामग्री और युद्ध कौशल पर चर्चा हुई थी।
'दुश्मन ने भी ऑपरेशन सिंदूर से सबक सीखा'
सुदर्शन चक्र में होगी हर तरह की वायु रक्षा प्रणाली एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख (सीआइएससी) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा कि भारत की प्रस्तावित वायु रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र 'सभी वायु रक्षा प्रणालियों में सबसे बेजोड़ होगी। इसमें एंटी-ड्रोन, एंटी-यूएवी और एंटी-हाइपरसोनिक प्रणालियां शामिल होंगी। उन्होंने कहा कि ये प्रोजेक्ट वैचारिक स्तर पर है, जिसके चलते ज्यादा कुछ नहीं बताया जा सकता है, लेकिन इसमें सबकुछ समाहित होगा।
उन्होंने कहा कि दुश्मन ने भी ऑपरेशन सिंदूर से सबक सीखा है, इसलिए हमें सैन्य सोच और योजना में उनसे दो कदम आगे रहना होगा।एयर मार्शल दीक्षित ने किफायती रक्षा प्रणाली पर भी जोर दिया। अजरबैजान-आर्मेनिया संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध का संदर्भ देते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार अपेक्षाकृत सस्ते ड्रोनों ने दूसरे पक्ष की महंगी सैन्य संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि हमने एक 'इनोवेशन एडाप्टेशन साइकिल' बनाई है। भारतीय उद्योग, थिंक टैंक, शिक्षाविदों का काम दो कदम आगे सोचना होना चाहिए, ताकि वे प्रतिद्वंद्वी से आगे रह सकें, क्योंकि यह शतरंज के खेल की तरह है। उन्होंने रक्षा उद्योग से कहा कि 'मेक इन इंडिया' की तर्ज पर 'थिंक इन इंडिया' अवधारणा पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने दुश्मनों के कुछ ऐसे ड्रोन पकड़े, जो काफी उन्नत थे और एआइ और दृश्य विषयों का इस्तेमाल कर रहे थे और अगर उनके जीपीएस को जाम भी कर दिया जाए तो वे अपने लक्ष्य के आसपास पहुंचने की क्षमता रखते थे।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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