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    एकीकृत कमान में तीनों सेनाओं की सर्वोत्तम प्रथाएं होंगी शामिल, CDS ने दिया बड़ा बयान

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 12:30 AM (IST)

    चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सशस्त्र बलों के एकीकरण पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि हर सेना अपनी पहचान बनाए रखेगी और एकीकृत कमान में उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं ने एकजुटता दिखाई। उन्होंने अपनी नई पुस्तक में ऑपरेशन सिंदूर का विवरण देने की बात भी कही। सेनाओं में एकता लाने के सरकार के नजरिए को भी उन्होंने स्पष्ट किया।

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    एकीकृत कमान में तीनों सेनाओं की सर्वोत्तम प्रथाएं होंगी शामिल (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सशस्त्र बलों के एकीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक सेना अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाए रखेगी और एकीकृत कमान में उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा।

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    सीडीएस ने शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर का भी उदाहरण दिया। इस ऑपरेशन के दौरान तीनों सेनाओं-थलसेना, नौसेना और वायुसेना ने अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। जनरल चौहान ने रक्षा थिंक-टैंक यूएसआइ (यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन) द्वारा 14 एवं 15 नवंबर को आयोजित दो दिवसीय भारतीय सैन्य विरासत उत्सव में भाग लिया।

    उन्होंने अपनी नई पुस्तक 'रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट 2: शेपिंग ए फ्यूचर रेडी फोर्स' पर केंद्रित संवाद के दौरान संकेत दिया कि जल्द ही इसका तीसरा खंड भी आ सकता है, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर संबंधी विवरण भी होंगे। तीनों सेनाओं में एकजुटता हासिल करने के सरकार के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद की गई भारत की सैन्य कार्रवाई और इन सटीक हमलों से पहले के दिनों के कुछ उदाहरण दिए।

    कैसे किया गया सारा इंतजाम?

    जनरल चौहान ने कहा कि एकीकरण के दृष्टिकोण के अनुरूप प्रयास जारी हैं। लेकिन, प्रत्येक सेवा अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाए रखेगी। यह हर सेवा की एक विशिष्ट भूमिका होने के कारण महत्वपूर्ण है। हम प्रत्येक सेना से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने का प्रयास कर रहे हैं।

    सीडीएस ने कहा कि 22 अप्रैल से सात मई (ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने की तारीख) के दौरान इस बात का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता थी कि हमें किन साजो-सामान को पश्चिमी सीमा पर ले जाना था। इसके लिए हवाई मार्ग से काफी आवाजाही की आवश्यकता थी। यह काम बिना किसी रुकावट के किया गया। मुझे या सेना प्रमुखों को इसकी जानकारी तक नहीं थी, यह सब वन-स्टार (अधिकारी) लेवल पर किया गया था।

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