समुद्र में 8 महीने की तैनाती के बाद तट पर लौटी INS Vela,जानिए इस पनडुब्बी की खासियत
भारतीय नौसेना को सौंपी गई सबमरीन आईएनएस वेला (INS Vela) में आठ अधिकारी और 35 अन्य कर्मी एक समय में सेवा दे सकते हैं। इसमें सी303 एंटी टारपीडो काउंटर मेजर सिस्टम लगा है। इसके अलावा इसमें 18 टारपीडो हैं।
नई दिल्ली। एएनआइ। आइएनएस वेला-चौथी कलवरी श्रेणी (INS Vela) की पनडुब्बी ने 8.5 महीने की तैनाती के बाद तट पर वापसी की। भारतीय नौसेना के पश्चिमी कमान ने जानकारी देते हुए कहा कि इसने समुद्र में अपने निरंतर संचालन के माध्यम से कई उपलब्धियां दर्ज कीं और हिंद महासागर क्षेत्र में एक सफल मिशन-आधारित तैनाती को भी पूरा किया।
आइएनएस वेला (INS Vela)
भारतीय नौसेना की ताकत में आईएनएस वेला से जबरदस्त इजाफा होगा। भारतीय नौसेना को मिलने वाली ये दूसरी सबसे बड़ी ताकत है। इससे पहले पिछले साल मिसाइल डिस्ट्रोयर आईएनएस विशाखापट्टनम को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था।
बता दें कि वेला नाम से पहले भी एक सबमरीन भारतीय नौसेना का हिस्सा रह चुकी है। ये सबमरीन 1973 में नौसेना में शामिल की गई थी और इसने वर्ष 2010 तक सेवा दी थी। हालांकि ये फोक्सट्राट क्लास की सबमरीन थी, जो रूस में निर्मित थी।
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समुद्र में दुश्मन के उड़ाएगी छक्के
भारतीय नौसेना को सौंपी गई सबमरीन आईएनएस वेला (INS Vela) में आठ अधिकारी और 35 अन्य कर्मी एक समय में सेवा दे सकते हैं। इसमें सी303 एंटी टारपीडो काउंटर मेजर सिस्टम लगा है। इसके अलावा इसमें 18 टारपीडो हैं। साथ ही करीब 30 एंटी शिप मिसाइल और इतनी ही माइंस भी हैं।
आइएनएस वेला की क्या है रफ्तार
67.5 मीटर लंबी और करीब 12.5 मीटर ऊंची ये सबमरीन 20 नाट की स्पीड से समुद्र का सीना चीर कर आगे बढ़ सकती हे। वहीं समुद्र की सतह पर इसकी उच्चतम स्पीड 11 नाट की है। इसको ताकत देने के लिए इसमें चार MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन लगे हैं।
इनकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये दूसरे डीजल इंजन की तुलना में बेहद कम शोर होता है। इसके अलावा इसका डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया है कि समुद्र की गहराई में चलते हुए इसकी वजह से पानी में होने वाला कंपन कम से कम हो।
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