नौसेना को मिला साइलेंट 'किलर', उथले पानी में इस्तेमाल होगा स्वदेशी युद्धपोत; क्या हैं खूबियां?
गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड कोलकाता ने भारतीय नौसेना के लिए उथले पानी में इस्तेमाल होने वाले पनडुब्बी रोधी युद्धपोत आईएनएस एंड्रोथ की आपूर्ति की है। यह श्रृंखला का दूसरा युद्धपोत है पहला आईएनएस अर्नाला था। जीआरएसई अब तक 114 युद्धपोतों का निर्माण कर चुका है। आईएनएस एंड्रोथ तटीय इलाकों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम है और यह 88 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से निर्मित है।

राजीव कुमार झा, कोलकाता । देश के अग्रणी युद्धपोत निर्माता रक्षा पीएसयू गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड, कोलकाता रिकार्ड समय में एक के बाद एक अत्याधुनिक स्वदेशी युद्धपोतों का निर्माण व आपूर्ति कर देश की समुद्री सुरक्षा में भारतीय नौसेना व तटरक्षक बल का हाथ लगातार मजबूत कर रहा है।
इसी क्रम में जीआरएसई ने भारतीय नौसेना के लिए तैयार किए जा रहे उथले पानी में इस्तेमाल होने वाले आठ पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों (एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट) की श्रृंखला के दूसरे युद्धपोत 'आईएनएस एंड्रोथ' की शनिवार को आपूर्ति कर एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है।
18 जून को नौसेना में शामिल हुआ था आईएएनएस अर्नाला
जीआरएसई द्वारा इस श्रृंखला के पहले युद्धपोत 'आईएनएस अर्नाला' की इस साल आठ मई को आपूर्ति की गई थी और 18 जून को वह नौसेना में शामिल हुआ था। इसके महज चार माह बाद ही दूसरे पोत की आपूर्ति कर दी गई है। जीआरएसई द्वारा एक बयान में इसकी इसकी जानकारी दी गई। भारतीय नौसेना की ओर से रियर एडमिरल रवनीश सेठ, सीएसओ (टेक), पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) द्वारा 'आइएनएस एंड्रोथ' को स्वीकार किया गया।
अधिकारी ने बताया कि लक्षद्वीप द्वीपसमूह में स्थित एंड्रोथ द्वीप के नाम पर इस पोत का नाम रखा गया है। इस पोत में जीआरएसई द्वारा ही निर्मित एक स्वदेशी 30 मिमी नेवल सरफेस गन (एनएसजी) लगाई गई है। भारतीय नौसेना ने 16 एडवांस्ड एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) के लिए आर्डर दिया था। जिसमें आठ पोत जीआरएसई द्वारा और आठ एक अन्य भारतीय शिपयार्ड द्वारा बनाया जाना है। इन आठ पोतों में से एंड्रोथ को लेकर जीआरएसई दो पोत नौसेना को सौंप चुका है।
युद्धपोत की खासियत
यह पोत तटीय इलाकों में गश्ती क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा, जहां दुश्मन की पनडुब्बियों के छिपे होने की आशंका रहती है, जिसका यह आसानी से पता लगा लेगा। यह पोत 77.6 मीटर लंबा और 10.5 मीटर चौड़ा है। ये पोत तटीय जल क्षेत्रों में निगरानी के साथ खोज तथा हमला करने में भी सक्षम है।
पोत में 88 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री हैं
एक अधिकारी ने बताया कि एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी श्रृंखला के यह पोत लगभग 88 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से निर्मित हैं, जो भारत सरकार के आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया विजन के प्रति जीआरएसई की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। लड़ाकू प्रबंधन प्रणालियों से लैस इस पोत को हल्के टारपीडो तथा पनडुब्बी रोधी राकेटों से भी लैस किया जाएगा।
इस पोत में सात अधिकारियों सहित कुल 57 कर्मियों के रहने की व्यवस्था है। तीन वाटर जेट (समुद्री डीजल इंजनों से सुसज्जित) पोत एंड्रोथ बेहद फुर्तीला और गतिशील है। इस पोत की एक बड़ी खासियत है कि इसे केवल 2.7 मीटर के ड्राफ्ट की आवश्यकता होती है, जिससे यह सतह के नीचे के खतरों की तलाश में आसानी से तटों तक पहुंच सकता है।
वर्तमान में 13 और युद्धपोतों का निर्माण कर रहा जीआरएसई
अधिकारियों ने बताया कि जीआरएसई वर्तमान में 13 और युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है, जिनमें दो पी17ए उन्नत स्टील्थ फ्रि गेट, छह एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी, एक सर्वेक्षण पोत (बड़ा) और चार अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती पोत शामिल हैं। इसके अलावा, यह शिपयार्ड 26 अन्य जहाजों का निर्माण कर रहा है, जिनमें से नौ निर्यात प्लेटफार्म हैं। जीआरएसई को इस वित्तीय वर्ष में पांच नई पीढ़ी के कार्वेट बनाने के लिए एक प्रतिष्ठित अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है।
जीआरएसई अब तक भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और मित्र विदेशी देशों के लिए 114 युद्धपोतों का निर्माण कर चुका है। जो अब तक किसी भी भारतीय शिपयार्ड द्वारा निर्मित और वितरित युद्धपोतों की सबसे अधिक संख्या है।
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