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    फुंसुक वांगड़ू से मिलती है 'सोनम वांगचुक' की कहानी, जानें क्यों इन्हें पड़ी 14 करोड़ रुपये की जरुरत

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 11 Jan 2018 02:58 PM (IST)

    अन्वेषक और शिक्षाशास्त्री सोनम वांगचुक कश्मीर में कौशल आधारित विश्वविद्यालय खोलना चाहते हैं। उन्होंने गैर पारंपरिक स्कूल एसईसीएमओएल से क्षेत्र में शिक्षा में बदलाव लाया

    फुंसुक वांगड़ू से मिलती है 'सोनम वांगचुक' की कहानी, जानें क्यों इन्हें पड़ी 14 करोड़ रुपये की जरुरत

    नई दिल्ली (प्रेट्र)। अन्वेषक और शिक्षाशास्त्री सोनम वांगचुक कश्मीर में कौशल आधारित विश्वविद्यालय खोलना चाहते हैं। इसी शिक्षाशास्त्री को आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘3 इडियट्स’ में फुन्सुख वांगडू के रूप में पर्दे पर लाया गया है। उन्होंने गैर पारंपरिक स्कूल एसईसीएमओएल से क्षेत्र में शिक्षा में बदलाव लाया और इंटरमीडियट स्तर तक की परीक्षा में पास करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गई। इससे पहले वांगचुक अपने इस आइडिया का जिक्र टीवी के चर्चित शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में अभिनेता अमिताभ बच्चन के सामने भी कर चुके हैं।

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    इंजीनियर से शिक्षाविद बने वांगचुक ने कहा कि वह लद्दाख में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अलटर्नेटिव नामक विश्वविद्यालय स्थापित करना चाहते हैं। फ्यांग घाटी में यह विवि 200 एकड़ में होगा। लद्दाख हिल काउंसिल ने जमीन आवंटित कर दी है। प्रारंभिक कोष जुटाने के लिए वांगचुक ने क्राउडफंडिंग प्लेटफार्म मिलाप के साथ गठबंधन किया है। 14 करोड़ रुपये में से सात करोड़ क्राउड फंडिंग से जुटा लिया गया है और शेष सात करोड़ कारपोरेट सीएसआर से जुटाया जाएगा।

    थ्री इडियट्स में इस शख्स से प्रेरित था आमिर का किरदार

    आपको आमिर की सुपरहिट फिल्म ‘3 इडियट्स’ तो जरूर याद होगी। इस फिल्म ने ना सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर कई सारे रिकॉर्ड तोड़े थे बल्कि पढ़ाई का एक अलग नजरिया भी लोगों के सामने रखा था। इस फिल्म में आमिर खान, करीना कपूर, आर. माधवन और शरमन जोशी ने कमाल का अभिनय किया था।

     

    इस फिल्म की कहानी मशहूर लेखक चेतन भगत की किताब ‘फाइव प्वाइंट समवन’ से ली गई थी। इस फिल्म में आमिर ने ‘फुंसुख वांगडू’ का किरदार निभाया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये किरदार कोई काल्पनिक किरदार नहीं बल्कि लद्दाख के इंजीनियर सोनम वांगचुक से प्रेरित था।

    सोनम वांगचुक भले ही एक छोटी से जगह में रहते हो, लेकिन उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग से दुनिया को हैरान कर दिया। वांगचुक बर्फ के स्तूप बनाकर पश्चिमी हिमालय के उन इलाकों में खेती के नए तरीके इजाद करने की कोशिश कर रहे हैं, जो पानी की कमी से जूझ रहे हैं।

     

    लद्दाख में अक्सर अप्रैल और मई के महीनों में पानी की समस्या देखी जाती है साथ ही इस मौसम को खेती के लिए सही माना जाता है, ऐसे में किसानों की मदद के लिए वांगचुक ने खेती के नए तरीके ईजाद किए हैं।

     

    वांगचुक को हाल ही में फेमस ‘रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज’ 2016 दिया गया है। सोनम वांगचुक कई समस्याओं के बावजूद लोगों की भलाई और शिक्षा के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वह आधुनिक शिक्षा का मॉडल रखने की लगातार कोशिश कर रहे हैं और काफी हद तक इसमें सफल भी हुए हैं।

    वागंचुक ने जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर लद्दाख के स्कूलों में पढ़ाई पर जोर देते हैं, साथ ही स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं ताकि बच्चों को समझने में आसानी हो।

    1994 में उन्होंने स्कूलों से बाहर कर दिए गए कुछ स्टूडेंट्स को इकट्ठा करके 1,000 युवाओं का संगठन बनाया औऱ इन्हीं की मदद से वागंचुक ने ऐसा स्कूल बनाया, जो स्टूडेंट्स द्वारा ही चलाया जाता है और पूरी तरह सौर ऊर्जा से युक्त है।

     

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