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    सिंधु सभ्यता बहती नदी के किनारे नहीं हुई थी विकसित: शोध

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 30 Nov 2017 09:36 AM (IST)

    इस अध्ययन से यह भी जाहिर होता है कि प्राचीन शहरी केंद्रों के फलने-फूलने में किसी बहती नदी की जरूरत नहीं पड़ती थी।

    सिंधु सभ्यता बहती नदी के किनारे नहीं हुई थी विकसित: शोध

    लंदन (प्रेट्र)। भारतीय और ब्रिटिश वैज्ञानिकों के एक दल ने दावा किया है कि आठ हजार साल पुरानी सिंधु सभ्यता किसी बहती नदी के इर्दगिर्द नहीं फली-फूली थी। यह उस जगह के आसपास विकसित हुई थी, जहां से प्रमुख हिमालयी नदी सतलुज हट गई थी। अभी ऐसा माना जाता है कि इस सभ्यता का विकास बहती नदी के आसपास हुआ था।

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    इन्होंने किया अध्ययन 

    ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन के अनुसार सिंधु सभ्यता का ज्यादातर विकास विलुप्त हो चुकी नदी के आसपास हुआ था। इस दावे ने उन विचारों को चुनौती दी है कि प्राचीन सांस्कृतिक सभ्यताओं में शहरीकरण का विकास किस तरह हुआ था?

    इन स्थानों पर मिले हैं साक्ष्य 

    पुरातात्विक साक्ष्यों से जाहिर होता है कि सिंधु या हड़प्पा सभ्यता की कई बस्तियां उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान में घग्गर-हकड़ा नामक नदी के इर्दगिर्द विकसित हुई थी। वैज्ञानिकों का आकलन था कि यह नदी सिंधु शहरी केंद्रों के विकास के समय बहती थी। इनके विकास में इस नदी की सक्रिय भूमिका थी। आमतौर पर यह माना जाता है कि यह हिमालयी नदी जलवायु या भूगर्भीय बदलावों के चलते सूख गई थी। लेकिन नए अध्ययन में पाया गया कि यह हिमालयी नदी सिंधु सभ्यता की शहरी बस्तियों  के विकास के दौर में नहीं बहती थी यह भी जाहिर होता है कि प्राचीन शहरी केंद्रों के फलने-फूलने में किसी बहती नदी की जरूरत नहीं पड़ती थी।

    नए तथ्य आए सामने 

    इस अध्ययन से यह भी जाहिर होता है कि प्राचीन शहरी केंद्रों के फलने-फूलने में किसी बहती नदी की जरूरत नहीं पड़ती थी।

    नई बातें आएंगी सामने 

    इंपीरियल कॉलेज लंदन के पृथ्वी विज्ञान विभाग के शोधकर्ता संजीव गुप्ता ने कहा, ‘यह नतीजे हमारी मौजूदा समझ को चुनौती देते हैं कि प्राचीन सभ्यताओं में शहरीकरण किस तरह शुरू और विकसित हुआ। इसका प्राकृतिक संसाधनों से क्या संबंध था?’ फिलहाल हम इस विषय में और अध्ययन कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस विषय पर और तथ्य सामने आएंगे, जिससे इस सभ्यता और इतिहास के बारे में तमाम नए पहलू उजागर होंगे।

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