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    ट्रंप प्रशासन के बयानों पर भारत की कूटनीतिक चुप्पी, अमेरिकी राष्ट्रपति का खुद अपने देश में ही हो रहा विरोध

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 10:00 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सलाहकारों द्वारा भारत के प्रति दिए गए बयानों पर भारत सरकार ने चुप्पी साध रखी है। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए हर बयान का जवाब देना उचित नहीं है। ट्रंप प्रशासन में भारत को लेकर नीतिगत स्थिरता का अभाव है। भारत वार्ता के लिए तैयार है।

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    ट्रंप प्रशासन के बयानों पर भारत की कूटनीतिक चुप्पी (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय इकोनमी को 'डेड' कहा, उसके उनके कारोबारी सलाहकार पीटर नवारो ने लगातार भारत को लेकर आपत्तिजनक बयान देना जारी रखा है। लेकिन भारत इन सभी वक्तव्यों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। चुप रहने की यह कूटनीति आगे भी बनी रहेगी।

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    वजह यह है कि भारत के कूटनीतिक नीति निर्धारक यह मान रहे हैं कि दोनों देशों के दीर्घावधि संबंधों के लक्ष्यों को देखते हुए अमेरिका की तरफ से आने वाले हर बयान का जवाब देना सही नहीं होगा।

    ट्रंप प्रशासन में नहीं है स्थिरता

    भारतीय अधिकारी यह भी मानते हैं कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से अभी जिस तरह की बातें आ रही हैं उन्हें भारत को लेकर अमेरिकी सरकार की स्थाई नीति के तौर पर नहीं देखा जा सकता। ट्रंप प्रशासन के भीतर ही भारत को लेकर क्या नीतिगत स्थिरता नहीं है।

    ऐसे में भारत रिश्तों के इस काल के गुजरने का इंतजार कर रहा है और यह भी मान रहा है कि स्थिति में सकारात्मक बदलाव कभी भी आ सकता है। अधिकारियों का कहना है कि हमें इस बात की पक्की सूचना है कि भारत को लेकर ट्रंप प्रशासन की तरफ से हाल हमें जिस तरह के कुछ बयान आये हैं, उससे वहां की सरकार के भीतर के लोग ही बहुत खुश नहीं है।

    पिछले दो दिनों के भीतर पूर्व बाइडन सरकार में एनएसए जैक सुलीवन और ट्रंप के पहले कार्यकाल में एनएसए रहे जॉन बॉल्टन ने वहां के समाचार चैनलों पर ट्रंप की भारत को लेकर नीतियों की बहुत ही कड़े शब्दों में आलोचना की है।

    अमेरिका का पूर्व अधिकारियों ने क्या कहा?

    शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के बाद अमेरिका के तकरीबन सभी समाचार माध्यमों ने कहा है कि भारत, चीन व रूस के बीच नजदीकियां बढ़ने के लिए ट्रंप को ट्रंप को दोषी ठहराया है। अमेरिका के कई पूर्व अधिकारियों ने कहा है कि ट्रंप ने भारत व अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों को सुधारने की 25 वर्षों की कोशिश पर पानी फेर दिया है।

    यह एक वजह है कि भारत आगे बढ़ कर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा।यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अब कारोबारी समझौते के लिए पहल करेगा या नहीं, इस पर उक्त अधिकारी का कहना है कि भारत ने अपनी तरफ से वार्ता को बंद नहीं किया है।

    अगस्त के अंतिम हफ्ते नई दिल्ली में अमेरिकी दल को वार्ता के लिए आना था और उन्होंने नहीं आने का फैसला किया। भारत वार्ता के लिए दरवाजे को खुला रख रहा है लेकिन अगर कारोबारी समझौते पर राष्ट्रीय नीति का सवाल है तो भारत का शीर्ष नेतृत्व यह स्पष्ट कर चुका है कि किसानों, मछुआरों व आम जनता के हितों के साथ समझौता नहीं किया जाएगा। आगे की वार्ता भी इसी नीतिगत दायरे में होगी।

    नवारो का बेतूका बयान

    सनद रहे कि भारत पर हमला करने में अभी सबसे आगे ट्रंप के कारोबारी सलाहकार नवारो हैं। मंगलवार को उन्होंने फिर कहा है कि, “मोदी को पुतिन व चिनफिंग के साथ देखना शर्मनाक है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन पुतिन व चिनफिंग दुनिया के दो सबसे बड़े तानाशाह हैं। मुझे मालूम नहीं है कि वह क्या सोच रहे हैं।''

    नवारो खास तौर पर रूस से तेल खरीदने की भारतीय नीति का विरोध कर रहे हैं। एक दिन पहले उन्होंने कहा है भारत की आम जनता को मालूम नहीं है कि उनकी कीमत पर ब्राह्माण रूस से तेल खरीद कर फायदा कमा रहे हैं।

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