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    Green Hydrogen भविष्य का ईंधन: केंद्रीय मंत्री पुरी बोले- '2030 तक पांच मिलियन टन करेंगे उत्पादन'

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 07:30 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और प्रल्हाद जोशी ने विश्व हाइड्रोजन इंडिया समिट में कहा कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व कर सकता है। भारत 2030 तक वैश्विक बाजार का 10% हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य रखता है। जोशी ने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और दुनिया में तीसरे स्थान पर है।

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    केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में सिर्फ भारत ही वैश्विक नेतृत्व की क्षमता रखता है। यह बात केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने यहां विश्व हाइड्रोजन इंडिया समिट में कही। एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी की तरफ से आयोजित इस सेमिनार में विश्व में ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर के भविष्य और भारत की इसमें संभावनाओं पर विमर्श किया गया।

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    पुरी ने कहा कि, “ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है। भारत स्थानीय मांग, उत्पादन और खपत के लिए अद्वितीय रूप से सक्षम है। 2021 में शुरू की गई राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत भारत 2030 तक वैश्विक बाजार का 10 फीसद हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य रखता है। ग्रीन हाइड्रोजन के वैश्विक आपूर्ति का केंद्र बनने की सारी क्षमता भारत के पास है।”

    'दुनिया में नंबर तीन पर भारत'

    सम्मेलन में जोशी ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि, “भारत ने पिछले एक दशक में नवीकरणीय ऊर्जा में जो प्रगति की है वह परिवर्तनकारी है। भारत जो क्षमता रिनीवेबल सेक्टर में हासिल की है वह ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में भी दोहराने वाला है। आज भारत सौर, पवन व दूसरे रिनीवेबल ऊर्जा क्षेत्र में दुनिया में तीसरे स्थान पर आ गया है।”

    2060 तक इतनी हो जाएगी हाइड्रोजन की मांग 

    सम्मेलन में एसएंडपी ग्लोबल कमोजिटी की अधिशासी निदेशक गौरी जौहर ने बताया कि चीन और भारत दुनिया में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के क्षेत्र में दो सबसे बड़े देश के तौर पर उभर रहे हैं। दुनिया में हाइड्रोडन की मांग वर्ष 2060 तक साढ़े तीन गुणा बढ़ने की संभावना है।

    इस दौरान भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। भारत के कुल ऊर्जा में हाइड्रोजन की हिस्सेदारी मौजूदा 1.3 से बढ़ कर 3 फीसद हो जाएगी और इसका 80 फीसद हिस्सा ग्रीन हाइड्रोजन का होगा। भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की कीमतों में तेजी से कमी आने के संकेत है।

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