हाइड्रोजन वाहनों का हब बनेगा झारखंड, टाटा के प्रोजेक्ट को हेमंत सरकार देगी रफ्तार
झारखंड हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण केंद्र बनने की राह पर है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टाटा मोटर्स के दल से मुलाकात की जिन्होंने जमशेदपुर में हाइड्रोजन इंजन और इलेक्ट्रिक वाहनों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को समर्थन दिया। टाटा मोटर्स ने जमशेदपुर में पहला हाइड्रोजन इंजन प्लांट स्थापित किया है और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भी काम कर रही है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड को भविष्य की वाहन प्रौद्योगिकी, विशेषकर हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को टाटा मोटर्स के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जिसमें कंपनी ने जमशेदपुर में हाइड्रोजन इंजन और इलेक्ट्रिक भारी वाहनों के निर्माण में अपनी प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने टाटा मोटर्स के इस ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को राज्य सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है।
भविष्य की तकनीक पर हुई अहम चर्चा
रांची में मुख्यमंत्री के कांके रोड स्थित आवास पर हुई इस बैठक में टाटा मोटर्स के प्रतिनिधिमंडल ने हाइड्रोजन इंजन से चलने वाले ट्रक और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण से जुड़ी अपनी पहलों का ब्योरा दिया।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि कंपनी किस तरह से जमशेदपुर प्लांट में नई तकनीक पर काम कर रही है। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य कंपनी की हरित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं की प्रगति पर चर्चा करना और झारखंड में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विस्तार की रणनीतियों को साझा करना था।
बैठक में मुख्यमंत्री के साथ अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार भी मौजूद रहे। टाटा मोटर्स की ओर से ग्लोबल हेड (गवर्नमेंट अफेयर्स) सुशांत चंद्रकांत नाइक, आपरेशंस के वाइस प्रेसिडेंट विशाल बादशाह और टाटा कमिंस के प्लांट हेड अनितेश मोंगा समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
जमशेदपुर में देश का पहला हाइड्रोजन इंजन प्लांट
टाटा मोटर्स ने अमेरिकी कंपनी कमिंस के साथ मिलकर जमशेदपुर में देश का पहला हाइड्रोजन आंतरिक दहन इंजन (एच 2-आइसीई) निर्माण संयंत्र स्थापित किया है।
टाटा कमिंस प्राइवेट लिमिटेड (टीसीपीएल) के तहत स्थापित इस अत्याधुनिक प्लांट ने इसी साल मार्च 2024 से बी 6.7एच हाइड्रोजन इंजनों का उत्पादन भी शुरू कर दिया है, जिन्हें अब टाटा मोटर्स के ट्रकों में लगाया जाएगा।
इस प्लांट की सालाना उत्पादन क्षमता चार हजार से अधिक हाइड्रोजन इंजन की है। इस विशाल परियोजना को झारखंड सरकार द्वारा 'मेगा-प्रोजेक्ट' का दर्जा दिया गया है, जिससे इसे सरकारी प्रोत्साहन नीतियों का भी लाभ मिलेगा।
सड़कों पर दौड़ रहे हाइड्रोजन ट्रक
टाटा मोटर्स का लक्ष्य अगले 25 से 30 वर्षों में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है। इस लक्ष्य को पाने के लिए कंपनी ने न केवल प्लांट स्थापित किया है, बल्कि अपने हाइड्रोजन ट्रकों का सड़क पर परीक्षण भी शुरू कर दिया है।
देश के प्रमुख माल ढुलाई गलियारों, जिनमें जमशेदपुर, मुंबई-पुणे और दिल्ली-एनसीआर जैसे मार्ग शामिल हैं, पर 16 हाइड्रोजन ट्रकों का 24 महीने तक चलने वाला ट्रायल जारी है। इन परीक्षणों का उद्देश्य वास्तविक भारतीय परिस्थितियों में इन वाहनों के प्रदर्शन का आकलन करना है।
इलेक्ट्रिक भारी वाहनों पर भी पूरा जोर
हाइड्रोजन के साथ-साथ, टाटा मोटर्स इलेक्ट्रिक कमर्शियल वाहनों के क्षेत्र में भी तेजी से काम कर रहा है। कंपनी छोटे इलेक्ट्रिक ट्रकों, जैसे टाटा एस ईवी के साथ लास्ट-माइल डिलीवरी सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
इसके साथ ही, कंपनी देश भर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार कर रही है और अब तक 25 हजार से अधिक पब्लिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर चुकी है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में आसानी हो।
सरकार की नीतियों से मिल रहा बल
झारखंड सरकार की नीतियां भी राज्य में हरित परिवहन को बढ़ावा दे रही हैं। राज्य की 'झारखंड इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022' के तहत इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर ग्राहकों को सब्सिडी और रोड टैक्स में छूट जैसे कई प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टाटा के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि सरकार भविष्य की इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और कंपनी के प्रयासों में पूरा सहयोग करेगी।
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