Yoga Day: जब तिरुमलाई कृष्णमाचार्य को हिमालय जाने के लिए वायसराय लॉर्ड इरविन से मांगनी पड़ी थी इजाजत
Indias First Modern Yoga Guru Tirumalai Krishnamacharya तिरुमलाई कृष्णमाचार्य को ‘मॉडर्न योग का पितामह’ कहा जाता है। उन्होंने हिमलाय की गुफाओं में योग की बारीकियां सीखी। वह न केवल एक योग गुरु थे बल्कि आयुर्वेद के भी अच्छे-खासे जानकार थे।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क।Tirumalai Krishnamacharya: योगा के जरिए अपनी सांसों और धड़कनों पर काबू कर लेने वाले तिरुमलाई कृष्णामाचार्य आधुनिक युग में योग को फिर से मुख्यधारा में लाने वाली शख्सियतों की गिनती में आते है। वीकेएस अयंगर, के पट्टाभी जोस, ए.जी. मोहन, श्रीवास्ता रामास्वामी, दिलीपजी महाराज जैसे योग गुरु उनके शिष्य थे।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उन्हें एक बार फिर से याद किया जा रहा है। 'आधुनिक योग का पिता' कहे जाने वाले तिरुमलाई कृष्णामाचार्य मैसूर के महाराजा कृष्णराज वाडियार की छत्रछाया में रहे। इस दौरान वह पूरे भारत में घूमे और घर-घर योग को पहुंचाने का काम किया। तिरुमलई कृष्णामाचार्य के बारे में मशहूर था कि वह अपनी हृदय गति पर नियंत्रण पा सकते थे। यह भी माना जाता है कि वह अपनी हृदय गति को जितना चाहे बढ़ा या घटा सकते थे।
आधुनिक योग का जनक किन्हें माना जाता है?
तिरुमलाई कृष्णमाचार्य को ‘मॉडर्न योग का पितामह’ कहा जाता है। उन्होंने हिमलाय की गुफाओं में योग की बारीकियां सीखी। वह न केवल एक योग गुरु थे बल्कि आयुर्वेद के भी अच्छे-खासे जानकार थे। वह महाराजा कृष्णराज वाडियार के पर्सनल योग गुरु थे। महाराजा ने तिरुमलाई को सलाह दी थी कि वह पूरा भारत भ्रमण करें और हर जगह घूम-घूम कर योग का प्रचार करें।
कई मशहूर योग गुरु थे उनके शिष्य
- कृष्णमाचार्य का जन्म 18 नवंबर, 1888 को हुआ था।
- कृष्णमाचार्य अयंगर फैमिली से ताल्लुक रखते थे और उनके पिता भी वेद-उपनिषद के शिक्षक थे।
- 6 वैदिक दर्शनों में डिग्री प्राप्त कर कृष्णमाचार्य ने योग और आयुर्वेद में भी जानकारी हासिल की।
- कई मशहूर योग गुरु उनके शिष्य रह चुके है।
- जब तक कि कृष्णमाचार्य कोमा में नहीं चले गए, तब तक चेन्नई में रहे और पढ़ाया।
- 1989 में 100 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई।
3 महीने पैदल चल कर हिमालय की गुफाओं में पहुंचे थे कृष्णमाचार्य
कृष्णमाचार्य हिमालय की गुफाओं में रहने वाले योगाचार्य राममोहन ब्रह्मचारी से पतंजलि योगसूत्र सीखा। इसके लिए उन्होंने उस वक्त शिमला के वायसराय रहे लॉर्ड इरविन से हिमालय जाने की अनुमति मांगी थी। माना तो यह भी जाता है कि जब लॉर्ड इरविन की तबीयत खराब हुई थी तो कृष्णमाचार्य ने अपने योग थैरिपी के जरिए उन्हें ठीक कर दिया था।
इसके बाद से इरविन उनके मुरीद हो गए थे। सुरक्षित हिमालय की गुफाओं तक कृष्णमाचार्य को पहुंचाने के लिए इरविन ने खुद इंतजाम कराया था। हिमालय की गुफाओं में पहुंचने के लिए कृष्णमाचार्य ने पैदल यात्रा की थी, जिसके लिए उन्हें 3 महीने का समय लगा था। हिमालय की गुफाओं में 7 साल रहकर उन्होंने पतंजलि योग सूत्र का ज्ञान हासिल किया।
योगासनों की एक साइलेंट फिल्म तैयार की
हिमालय से लौटने के बाद जब कृष्णमाचार्य बनारस में रहने लगे, तो उनकी चर्चा हर जगह होने लगी। 1925 में मैसूर के राजा बनारस घूमने आए तो उन्होंने कृष्णमाचार्य के बारे में सुना। राजा ने उन्हें मैसूर आकर रहने का न्यौता दिया। वह मैसूर आए और शादी करके राजा के पर्सनल योग शिक्षक बन गए।
राजा ने उनके लिए जगमोहन पैलेस में योगशाला खुलवाई और इसका जिम्मा कृष्णमाचार्य को सौंपा। वहां, उन्होंने वैदिक योग तकनीकों के साथ पश्चिमी ध्यान की अवधारणा पेश की। कृष्णमाचार्य इतने प्रतिभाशाली थे कि उन्होंने 1938 में योगा के आसनों पर एक साइलेंट फिल्म तैयार कर दी थी।
जब बंद हो गया था योगशाला
1940 में योगशाला के बंद हो जाने के कारण 50 वर्ष के कृष्णमाचार्य पर रोजी-रोटी का संकट आ गया। इस दौरान उन्हें चेन्नई के विवेकानंद कॉलेज में लेक्चरर की पोस्ट ऑफर की गई। 1934 में, कृष्णमाचार्य ने योग मकरंद नामक एक किताब लिखी, जिसे मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित किया गया था। इस किताब में पश्चिमी ध्यान तकनीकों के साथ-साथ योग के उपयोग को बढ़ावा दिया था। हठ योग की अवधारणा, जिसे अब आधुनिक योग कहा जाता है, भारत में पहली बार कृष्णमाचार्य द्वारा प्रचारित किया गया था।
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