5 सालों में 300 अरब डॉलर होगी देश की बायो इकोनामी, भारत के युवा बनेंगे परिवर्तन के अग्रदूत- जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बायो-टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने और 2030 तक 300 अरब डॉलर की बायो-इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने एक एडवांस बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब नेटवर्क की शुरुआत की जिसे बायो-टेक्नोलॉजी इनोवेशन और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बताया। बायो-ई3 नीति के तहत यह पहल अर्थव्यवस्था पर्यावरण और रोजगार में सुधार लाएगी। 2014 के बाद से बायो-टेक्नोलॉजी क्षेत्र में स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बायो- टेक्नालाजी से जुड़े सभी क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने सहित देश में एक नई बायो-इकोनामी खड़ी करने में जुटे केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश ने आईटी व कंप्यूटर को अपनाने में भले ही देरी की थी लेकिन बायो-टेक्नालाजी के क्षेत्र में ऐसा नहीं है। हम इस क्षेत्र में अग्रणी है और तेजी से आगे बढ़ रहे है।
अगले पांच सालों में यानी वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र को करीब 300 अरब डालर की इकोनामी बनाने का लक्ष्य रखा है। वैसे भी इस क्षेत्र में 2014 के बाद से काफी प्रगति भी दर्ज हुई है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने इस मौके पर एक एडवांस बायो- मैन्युफैक्चरिंग हब नेटवर्क तैयार करने की पहल का शुभारंभ किया है। साथ ही इसे बायो- टेक्नोलाजी से जुड़े इनोवेशन और अर्थव्यवस्था की दिशा में अहम कदम बताया।
भारत के युवा परिवर्तन के अग्रदूत बनेंगे
यह पहल जैव प्रौद्योगिकी के जरिए अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के क्षेत्र में एक नई छलांग लगाने के लिए तैयार की गई बायो-ई3 ( इकोनामी, इनवायरोमेंट व इम्प्लायमेंट) नीति को प्रभावी तरीके से अमल में लाने की दिशा में है। बायो-ई3 नीति को सरकार ने वर्ष 2024 में मंजूरी दी थी। इस नेटवर्क में प्रयोगशाला सहित इस क्षेत्र से जुड़े अलग-अलग उद्योग शामिल होंगे। सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी से जुड़ी यह पहले भारत को दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा करती है। भारत के युवा इस परिवर्तन के अग्रदूत बनेंगे।
भारत में बायो-टेक्नालाजी का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा
बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब देश के वैश्विक रूप से सशक्त बनाने में भी योजना देंगे। इससे पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता कम हो सकतीहै। बायो-टेक्नालाजी के जरिए हम इसका स्थायी विकल्प तैयार करेंगे। 2014 के बाद से भारत में बायो-टेक्नालाजी का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। 2014 से पहले देश में सिर्फ 50 स्टार्टअप थे, लेकिन अब इनकी संख्या करीब चार हजार हो गई है।
इसके साथ ही देश में पहले से ही 21 से अधिक बायो-फाउंड्रीज हैं, जबकि दुनिया भर में इनकी संख्या लगभग 100 है। इस दौरान बायो-टेक्नालाजी विभाग (डीबीटी) के सचिव राजेश एस. गोखले ने इन पहल को बायो- इकोनामी के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया। इनमें स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, औद्योगिक व एआई आधारित बायो-टेक्नालाजी क्षेत्र शामिल है।
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