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    Dal Lake के पानी का अब खेती में होगा इस्तेमाल, झील में लगाए जाएंगे बायो डाइजेस्टर; ये है पूरा प्रोजेक्ट

    By naveen sharmaEdited By: Shoyeb Ahmed
    Updated: Sat, 09 Sep 2023 08:11 PM (IST)

    कश्मीर में स्थित डल झील के जल को मल से बचाने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के तहत बायो डाइजेस्टर लगाने का पहला चरण शुरू हो चुका है। बायो डायजेस्टर लगने से हाउसबोट से निकलने वाले मानव अपिष्ठ को नष्ट कर झील के पानी का उपयोग सिंचाई में किया जा सकेगा। इसके साथ ही जल को गैस में परिवर्तित भी हो सकेगा। जानें पूरी परियोजना के बारे में।

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    Dal Lake के पानी का अब खेती में होगा इस्तेमाल (फाइल फोटो)

    श्रीनगर, नवीन नवाज। कश्मीर में स्थित डल झील (Dal Lake Kashmir) के पारिस्थितिक संतुलण के संरक्षण और इसके जल को मल से बचाने के लिए बायो डाइजेस्टर लगाने का पहला चरण (Bio Digester Establishment First Phase) शुरू हो गया है। डायजेस्टर हाउसबोट (Houseboat) से निकलने वाले मानव अपिष्ठ (Human Waste) को नष्ट कर झील के पानी को उपयोग योग्य और गैस में परिवर्तित करते हैं। गैस का उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है और पानी का उपयोग सिंचाई के लिए हो सकता है।

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    यह बिल्कुल पर्यावरण अनुकूल है। कश्मीर आने वाले पर्यटकों के लिए डल झील और उसमें स्थित हाउसबोट आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं। यह झील श्रीनगर शहर के पर्यावरण (Environment Of Sri Nagar) के लिए भी जरुरी है। डल झील के संरक्षण और इसके सुंदरीकरण (Conservation and Beautification Of Dal Lake)  के लिए प्रदेश प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। झील के कई हिस्सों में उभरे टापुओं को हटाया गया है, खरपतवार को नियमित रूप से निकाला जा रहा है ताकि झील में जल प्रवाह बेहतर हो सके।

    पर्यावरणविद्धों ने लगाए हाउसबोट वालों पर आरोप

    पर्यावरणविद्धों व अन्य कई संगठनों का आरोप है कि हाउसबोट से निकलने वाली गंदगी ही डल और नगीन झील के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रही है, झील में प्रदूषण को बढा रही है। डल और नगीन झील में लगभग 1200 छोटे बड़े हाउसबोट हैं। इनमें से लगभग 900 ही पंजीकृत बताए जाते हैं।

    डल झील के संरक्षण को अपना मिशन बताने वाले तारिक अहमद पटलू ने कहा कि हम सभी यहां हाउसबोट वालों पर ही डल को बिगाड़ने का आरोप लगाते हैं। यहां पर्यटकों की भीड़ लगातार बढ़ रही है,ऐसे में बायो डाइजेस्टर लगाए जाने जरूरी हैं। लगभग पांच छह वर्ष पहले यहां डीआरडीओ की एक टीम आई थी और यहां कई हाउसबोट का मुआयना किया था। यह टीम तेलबल इलाके में भी गई थी।

    डीआरडीओ की टीम ने की अधिकारियों और हाउसबोट मालिक से चर्चा

    डीआरडीओ की टीम ने हाउसबोट और घरों से डल झील में गिरने वाले सीवरेज व अपिष्ट पर संबधित अधिकारियों और हाउसबोट मालिकों से बातचीत की थी। ताकि वह यहां की जरुरतों के मुताबिक बायो डाइजेस्टर बना सके। उन्होंने उस समय हमें प्रत्येक हाउसबोट के लिए फ्लोटिंग टैंक और बायो डाइजेस्टर उपलब्ध कराने का याकीन दिलाया था। यहां अब लगभग सभी हाउसबोट को सीवरेज पाइप से जोड़ दिया गया है। फलोटिंग टैंक और बायो डाइजेस्टर लगाए जाने हैं। तेलबल इलाके में यह काम पूरा हो गया है।

    जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने दिए थे निर्देश

    जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार डल झील के संरक्षण के लिए मेट्रो मैन ई श्रीधरण के नेतृत्व में गठित विशेषज्ञ समिति के आग्रह पर ही डीआरडीओ ने 2018 में डल झील में सीवरेज के उपचार और झील को मल से बचाने के लिए सहयोग का यकीन दिलाया था। इसके बाद डीआरडीओ की एक टीम ने झील का दौरा किया और हालात को समझा था। फिर झील में फ्लोटिंग बायोडाइजेस्टर का प्रोटोटाइप परीक्षण के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

    तेलबल इलाके में लगाए गए बायो डाइजेस्टर

    झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बशीर अहमद ने दैनिक जागरण को बताया कि वर्ष 2020 में बायोडाइजेस्टर योजना पर सही तरीके से काम शुरु किया गया। पायलट परियोजना के तौर पर तेलबल इलाके में 100 बायो डाइजेस्टर लगाने का काम शुरु किया गया था जो अब पूरा हो गया। अब हम इस परियोजना को और विस्तार देने जा रहे हैं।

    इन इलाकों में लगाए जाएंगे बायो डाइजेस्टर

    आने वाले समय में झील में अन्य हाउसबोटों, झील के भीतरी हिस्सों में स्थिति बस्तियों और नगीन झील में भी बायो डाइजेस्टर लगाए जाएंगे। यह पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल हैं और बायो डाइजेस्टर का आकार भी ज्यादा बड़ा नहीं है, यह हाउसबोट के पतवार क्षेत्र में ही हैं। बायो डाइजेस्टर हाउसबोट व घरों से निकलने वाले अपिष्ट को डल झील में जाने से रोकने में समर्थ हैं। उन्होंने कहा कि तेलबल इलाका सिर्फ इसलिए पहले चुना गया है क्योंकि इस क्षेत्र में कई घरों का सीवरेज सीधा डल में आ रहा था।

    इसके अलावा निशात क्षेत्र में गुप्त गंगा इलाके में भी कलस्टर बायोडाइजेस्टर स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह बायोडाइजेस्टर डीआरडीओ द्वारा विकसित किए गए हैं। कुछ जगहों पर बायो डाइजेस्टर छह वर्ग मीटर के इस्तेमाल किए गए हैं और कुछ जगहों पर इससे छोटे आकार के लगाए गए हैं। यह बायोडाइजेस्टर, सीवेज, गंदे पानी और रसोई के कचरे के लिए हैं, हाउसबोटों के लिए सबसे अच्छा और सबसे व्यावहारिक समाधान हैं।

    उन्होंने बताया कि पायलट परियोजना पूरी हो चुकी है। अब हम इसे आगे विस्तार दे रहे हैं और परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर हम इस वर्ष के अंत तक या फिर अगले वर्ष की शुरुआत में प्रत्येक हाउसबोट के मल से झील को निजात दिला देंगे।

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