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    Srinagar: निर्मल रहेगी डल झील, तैरते सीवेज सिस्टम से जुड़ेंगे हाउसबोट

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Mon, 01 May 2023 05:00 AM (IST)

    झील में फ्लोटिंग सीवेज ट्रीटमेंट नेटवर्क तैयार किया जा रहा है यह अपनी तरह का पहला तैरता नेटवर्क होगा जो सारी गंदगी को पाइप के जरिये निकटवर्ती सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाएगा। आसपास से डल झील में गिरने वाले सीवेज का भी प्रबंधन किया जाएगा।

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    Srinagar: निर्मल रहेगी डल झील, तैरते सीवेज सिस्टम से जुड़ेंगे हाउसबोट

    श्रीनगर, जागरण संवाददाता। विश्व प्रसिद्ध डल झील का जल एक बार फिर निर्मल होगा और देश-विदेश से इसकी खूबसूरती निहारने आने वाले पर्यटकों को अब यह और भी आकर्षित करेगी। डल झील में तैरते हाउसबोट से निकलने वाली गंदगी, सीवेज और अपशिष्ट अब झील में नहीं समाएगा।

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    झील के संरक्षण और इसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। झील में फ्लोटिंग सीवेज ट्रीटमेंट नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, यह अपनी तरह का पहला तैरता नेटवर्क होगा, जो सारी गंदगी को पाइप के जरिये निकटवर्ती सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाएगा। आसपास से डल झील में गिरने वाले सीवेज का भी प्रबंधन किया जाएगा।

    जुलाई तक सभी हाउसबोट पाइपलाइन से जुड़ेंगे

    झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डा. बशीर अहमद बताते हैं कि डल के जल को साफ रखने के लिए हम तैरता नेटवर्क बना रहे हैं। 10 करोड़ रुपये की परियोजना में जुलाई तक सभी हाउसबोट पाइप के नेटवर्क से जोड़ दिए जाएंगे। डल झील विश्व में एकमात्र ऐसी झील है, जिस पर लगभग चार लाख लोगों की आबादी रहती है । इसके भीतर तैरते खेत और बाजार भी है। लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैली डल झील में करीब 1,200 पंजीकृत हाउसबोट हैं और लगभग दो हजार शिकारे हैं। हाउसबोट से निकलने वाला मलदूषित जल और अपशिष्ट झील पर भारी पड़ रहा है।

    ऐसे करता है कार्य

    डा. बशीर के अनुसार झील में स्थित सभी हाउसबोट को 11 क्लस्टर में बांटा गया है। प्रत्येक में 70 से 90 हाउसबोट हैं। झील के पश्चिमी हिस्से में एक क्लस्टर को इस नेटवर्क से जोड़ा जा चुका है। तैरते नेटवर्क में विभिन्न प्रकार की पाइप का प्रयोग हो रहा है। ये पाइप प्रत्येक हाउसबोट से निकलने वाले अपशिष्ट और सीवेज को संप टैंक तक पहुंचाती हैं। संप टैंक में जमा सीवेज और अपशिष्ट को पंप के जरिए एक अन्य पाइपलाइन में डाला जाता है, जो एसटीपी से जुड़ी होती है। झील पर बसे मोहल्लों और आसपास स्थित होटलों से निकलने वाले सीवेज को भी इसके जल में गिरने से रोककर एसटीपी तक पहुंचाया जाएगा।

    कचरे से निपटने को विशेष व्यवस्था झील में प्लास्टिक व अन्य ठोस कचरे को हटाने के लिए चार फ्लोटिंग ट्रैश बूम लगाए गए हैं। ये अवरोधक की तरह कचरे को फैलने से रोकते हैं। सफाई कर्मचारी इनमें जमा कचरे को प्रकृति के अनुरूप वर्गीकृत कर निस्तातरित करते हैं। जम्मू- कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार श्रीनगर शहर में पैदा होने वाले कुल सीवेज का 73 प्रतिशत डल झील या फिर झेलम नदी में जाता है।

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