बहुत हुआ बचाव... अब काउंटर अटैक कर रहा भारत का एयर डिफेंस सिस्टम, कांप उठेगा पाकिस्तान!
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने अपनी क्षमता साबित की। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर लाहौर में एचक्यू 9 रडार सिस्टम को ध्वस्त कर दिया। भारत को एस-400 बराक-8 मिसाइल और डीआरडीओ की ड्रोन रोधी तकनीक से मजबूत हवाई सुरक्षा मिली है। पाकिस्तान ने जवाबी हमले कर तनाव बढ़ाने की कोशिश की लेकिन भारत के एयर डिफेंस ने उन्हें नाकाम कर दिया।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की कार्रवाईयों के दौरान पाकिस्तान से जारी सैन्य टकराव में भारत के एयर डिफेंस प्रणाली की हुई परख से यह साफ हो गया कि भारत न केवल अपने हवाई क्षेत्र का बचाव करने में ही सक्षम है, बल्कि उन पर पूरी तरह नियंत्रण भी रखता है।
भारतीय सेनाओं ने अपने हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करते हुए तत्काल त्वरित तथा सटीक जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के अंदर लाहौर में उसके एचक्यू 9 रडार सिस्टम को ध्वस्त कर उसके बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना इसका प्रमाण है।
भारत को मिला मतबूत आसमानी कवच
भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को हाल के वर्षों में हासिल कई रडार तथा रक्षा प्रणालियों के गुच्छे से मजबूत आसमानी कवच मिली है। इसमें एकीकृत काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (यूएएस) ग्रिड, एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम, बराक-8 मिसाइल, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और डीआरडीओ की ड्रोन रोधी तकनीकें हैं। वास्तव में ये सभी एक साथ मिलकर भारत के एयर डिफेंस के लिए एक हवाई ढाल बना रही हैं।
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान तथा पीओकेजे में नौ आतंकी ठिकानों पर की गई भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने जवाबी हमलों के जरिए तनाव बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया है, मगर भारत के एयर डिफेंस ने इन सबको नाकाम कर दिया। जबकि अपने संरक्षण में चल रहे आतंकी ठिकानों के नष्ट होने की बौखलाहट में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों पर मिसाइल हमले करके तनाव बढ़ाने का प्रयास किया मगर उसके हर एक मिसाइल को मारा या बेअसर कर दिया गया।
सामरिक रणनीति
साफ है कि एयर डिफेंस सिस्टम में कहीं कोई गैप होता और पाकिस्तानी मिसाइल किसी एक सैन्य प्रतिष्ठान तक पहुंच जाता तो सैन्य तनाव की वर्तमान स्थिति में काफी इजाफा हो सकता था। इससे साफ है कि सैन्य टकराव की स्थिति में मजबूत एयर डिफेंस केवल रक्षा और जवाबी प्रहार के लिहाज से ही नहीं सामरिक रणनीति की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है।
इसी दृष्टि से पिछले कुछ वर्षों के दौरान एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए कुछ अहम रक्षा खरी सौदे हुए हैं जिसमें सबसे बड़ा 2018 में पांच एस-400 ट्रायम्फ स्क्वाड्रन के लिए रूस से करीब 35000 करोड़ रुपये का सौदा है।एस 400 जिसे सुदर्शन का भारतीय नाम दिया गया उसके जिसमें से तीन स्क्वाड्रन फिलहाल पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात किए जा चुके हैं।
वहीं, बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एमआर-एसएएम) को भी सीमावर्ती इलाकों की रखवाली के लिए तैनात किया जा चुका है। इजरायल से बराक के लिए 2017 में 2.5 बिलियन डॉलर का रक्षा सौदा हुआ था। स्वदेशी आकाश मिसाइल बैटरियां और डीआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर-ड्रोन सिस्टम भी एयर डिफेंस की मजबूती में अपनी भूमिका निभा रहा है।
आधुनिक युद्ध में टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तो दुनिया के सामने साफ हो गई है। भारत और पाकिस्तान के ताजा सैन्य टकराव के दौरान ड्रोन से सामरिक निशाना साधने की कोशिशें भी इसका साफ प्रमाण है। ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के दौरान भारत ने भी आत्मघाती ड्रोन लोइटरिंग मुनिशन का इस्तेमाल किया।
इन ड्रोनों ने विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ सटीक हमले किए जिससे पाकिस्तान सेना का सुरक्षा तंत्र भी हैरान रह गया। 2021 से सेनाओं ने लोइटरिंग मुनिशन ड्रोन को हासिल करना शुरू कर दिया था, जबकि कराची और लाहौर में पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को लक्ष्य बनाते हुए नष्ट करने के लिए इजरायली मूल के हारोप ड्रोन ने अपनी काबिलियत साबित की।
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